रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | मुंबई | Updated: 12 दिसंबर 2025: देश की प्रमुख वित्तीय जांच एजेंसी CBI ने गुरुवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए Reliance ADA Group की कंपनी रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL), उसके प्रमोटर्स/डायरेक्टर्स और अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल साज़िश, धोखाधड़ी, जालसाजी, और बैंक को गलत नुकसान पहुंचाने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया है।

यह कार्रवाई यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (पूर्व में आंध्रा बैंक) द्वारा दी गई विस्तृत शिकायत के आधार पर की गई, जिसमें बैंक ने RHFL पर 228.06 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।

कैसे शुरू हुआ मामला – बैंक की शिकायत से CBI FIR तक

यूनियन बैंक की शिकायत के अनुसार:

• RHFL को दिए गए करोड़ों के लोन का सही उपयोग नहीं किया गया।

• खातों में गंभीर अनियमितताएँ पाई गईं।

• लोन को बैक-डोर तरीकों से शेल कंपनियों में डायवर्ट किया गया।

• वित्तीय दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया गया।

इन गंभीर आरोपों के आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने RHFL के खाते को—

• 30 सितंबर 2019: NPA (Non-Performing Asset) घोषित किया

• 10 अक्टूबर 2024: Fraud Account घोषित किया

इसके बाद बैंक ने CBI से मामले की जांच की मांग की।

CBI ने मामले को गंभीरता से लेते हुए:

• IPC की धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं

• और PC Act की प्रावधानों

के तहत केस दर्ज किया।

RHFL पर कितना बकाया? 18 बैंकों से 5572 करोड़ का लोन

CBI के अनुसार RHFL ने यूनियन बैंक समेत लगभग 18 बैंकों/वित्तीय संस्थानों/एनबीएफसी से कुल 5572.35 करोड़ रुपये उठाए थे।

आरोप है कि:

• इन धनराशियों का बड़ा हिस्सा वास्तविक उपयोग में नहीं लाया गया

• फर्जी कंपनियों को लोन की तरह दिखाकर बिना जोखिम वाले खातों में डाल दिया गया

• कंपनी ने झूठे कागजात देकर कर्ज लिया

• लोन की राशि डायवर्ट कर समूह की अन्य फर्मों में भेजी गई

यह मामला कॉर्पोरेट फ्रॉड की श्रेणी में आता है, जो पिछले एक दशक में भारत की सबसे गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में गिना जा सकता है।

CBI की बड़ी छापेमारी – अनमोल अंबानी के घर तक पहुंची जांच

जांच के हिस्से के रूप में CBI ने मुंबई के विशेष CBI न्यायाधीश से सर्च वॉरंट लिया और 9 दिसंबर 2025 की सुबह बड़े स्तर पर तलाशी अभियान शुरू किया।

जिन जगहों पर CBI की रेड हुई:

1. रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के 2 आधिकारिक दफ्तर

इन परिसरों से वित्तीय लेन-देन से जुड़े दस्तावेज, हार्ड डिस्क, डिजिटल रिकॉर्ड और ईमेल बैकअप जब्त किए गए।

2. अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी का आवास

यह छापा सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि—

• अनमोल अंबानी RHFL से जुड़े रणनीतिक फैसलों में शामिल रहे हैं

• वे कुछ वर्षों तक RHFL की सलाहकार चर्चाओं का हिस्सा भी रहे थे

(जांच के अनुसार उनकी भूमिका की अभी पुष्टि नहीं हुई है)

3. RHFL के पूर्व CEO और पूर्णकालिक निदेशक

रवींद्र सुधालकर का आवास**

जिन पर आरोप है कि उन्होंने—

• लोन मंजूरी प्रक्रिया में अनियमितता की

• कंपनी के प्रमोटर समूह के निर्देश पर गलत वित्तीय रिपोर्ट तैयार की

CBI ने इन परिसरों से:

• कई आपत्तिजनक दस्तावेज

• वित्तीय रिकॉर्ड

• लेन-देन की फाइलें

• डिजिटल डाटा

जब्त की हैं।

तलाशी जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे होने की उम्मीद है।

फ्रॉड कैसे हुआ? जांच एजेंसियों की शुरुआती आशंकाएँ

CBI सूत्रों का कहना है कि RHFL ने:

1. Shell Companies का उपयोग किया

• फर्जी कंपनियों को लोन की तरह दिखाकर राशि डायवर्ट की

• इन कंपनियों का कोई वास्तविक कारोबार नहीं था

2. Group-Level Fund Transfer

• RHFL के नाम पर मिले लोन को समूह की अन्य कंपनियों को फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया गया

3. फर्जी दस्तावेज बनाए गए

• बैलेंस शीट

• ऑडिटेड रिपोर्ट

• प्रोजेक्ट रिपोर्ट

• एसेट वैल्यूएशन रिपोर्ट

4. बैंक को Misrepresentation किया

• गलत वित्तीय स्थिति दिखाकर लोन बढ़वाया गया

अनिल अंबानी समूह की वित्तीय चुनौतियों की पृष्ठभूमि

पिछले कुछ वर्षों में रिलायंस ADA समूह ने—

• भारी कर्ज

• टेलिकॉम व्यवसाय का नुकसान

• वित्तीय निगरानी एजेंसियों की जांच

• निवेशकों का भरोसा टूटना

—जैसी चुनौतियों का सामना किया है।

RHFL और Reliance Commercial Finance दोनों ही 2019 से लगातार जांच के घेरे में हैं।

आगे क्या? CBI की जांच से क्या हो सकता है

विशेषज्ञों के अनुसार जांच के बाद निम्न संभावनाएँ हैं—

✔ निदेशकों और अधिकारियों की गिरफ्तारी

यदि CBI को पर्याप्त सबूत मिलते हैं।

✔ संपत्ति कुर्की (ED भी शामिल हो सकती है)

फंड डायवर्ज़न मनी-लॉन्ड्रिंग केस बन सकता है।

✔ फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट का खुलासा

जिसमें जिम्मेदार लोगों के नाम सामने आएंगे।

✔ अन्य बैंकों की शिकायतें भी बढ़ सकती हैं

क्योंकि 5572 करोड़ रुपये का कर्ज कई संस्थानों का है।

निष्कर्ष

CBI द्वारा RHFL पर दर्ज किया गया यह मामला भारत के कॉर्पोरेट इतिहास की बड़ी वित्तीय जांचों में से एक बन सकता है। अनमोल अंबानी के घर तक छापेमारी पहुँचने से यह जांच और भी संवेदनशील हो गई है।

अब पूरा देश CBI की आगे की कार्रवाई पर नज़र रखे हुए है।

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