मुंबई: देश की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े अहम दस्तावेज़ – पासपोर्ट – के साथ छेड़छाड़ का एक गंभीर मामला मुंबई के लोअर परेल स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK) से सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार और दस्तावेजी धोखाधड़ी के इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक जूनियर पासपोर्ट असिस्टेंट (सत्यापन अधिकारी) और एक निजी एजेंट शामिल हैं। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि इन दोनों आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से पासपोर्ट जारी किए और इसके बदले रिश्वत ली।

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2023-24 की साजिश का खुलासा

CBI के अनुसार, यह आपराधिक साजिश 2023-2024 के बीच रची गई। आरोप है कि पासपोर्ट सेवा केंद्र में तैनात एक सत्यापन अधिकारी ने कुछ निजी एजेंटों के साथ मिलकर फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और बैंक विवरण जैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कई लोगों को अवैध तरीके से पासपोर्ट जारी कर दिए।

जांच में सामने आया कि सात आवेदकों ने जो दस्तावेज जमा किए थे, वे पूरी तरह से फर्जी थे। इनके द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर या तो बंद थे या अमान्य पाए गए।

तत्काल योजना में मिलीं गंभीर अनियमितताएं

CBI ने यह भी पाया कि तत्काल पासपोर्ट योजना’ के तहत जारी किए गए कई पासपोर्ट्स में पुलिस सत्यापन प्रक्रिया को दरकिनार किया गया था। आवेदनों में दर्ज पते फर्जी निकले और सत्यापन रिपोर्ट नकारात्मक थी, लेकिन फिर भी पासपोर्ट जारी कर दिए गए।

डिजिटल सबूतों से रिश्वतखोरी का पर्दाफाश

CBI के हाथ लगे चैट्स और डिजिटल साक्ष्यों से यह साबित हुआ कि आरोपी पासपोर्ट अधिकारी और एजेंट के बीच लगातार संवाद हुआ करता था। इन बातचीतों में रिश्वत की मांग, लेन-देन और फर्जी पासपोर्ट तैयार करने की योजना का उल्लेख था। दोनों आरोपियों ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया और लगातार टालमटोल करते रहे, जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

अदालत में पेशी और पुलिस हिरासत

गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को गुरुवार को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 2 जून तक पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

CBI की जांच जारी, अन्य आरोपियों की तलाश

CBI ने इस गहरी साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए जांच तेज कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला सिर्फ दो लोगों तक सीमित नहीं है, और इस नेटवर्क में और भी लोग शामिल हो सकते हैं।

निष्कर्ष

इस खुलासे ने न केवल पासपोर्ट प्रणाली की पारदर्शिता और सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि सरकारी तंत्र में कुछ लोग लालच में आकर देश की सुरक्षा से भी समझौता कर सकते हैं। CBI का यह कदम निश्चित रूप से एक बड़ा संदेश है कि इस तरह की गड़बड़ियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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