हाईकोर्ट ने अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने से फिलहाल रोक लगाने के आदेश

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 04 अक्टूबर 2022 : पटना : बिहार में 10 एवं 20 अक्टूबर को इस महीने होने वाले 224 नगर निकायों के  चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट ने आज फैसला सुनाया है। कोर्ट  ने  अति पिछड़ी जातियों के लिए 20% आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने से फिलहाल रोक लगाने के आदेश दिए हैं। ऐसे में 10 और 20 अक्टूबर को निकायों की इन सीटों पर मतदान हो नहीं हो पाएगा। सिर्फ अनारक्षित और सामान्य महिला वाली सीटों पर ही मतदान हो सकेगा। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती। राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व में जारी चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक स्थानीय निकायों में पहले चरण की वोटिंग 10 अक्टूबर और दूसरे चरण की 20 अक्टूबर को प्रस्तावित है। अब इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था। हाईकोर्ट बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो आदेश दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया।

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती। राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व में जारी चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक स्थानीय निकायों में पहले चरण की वोटिंग 10 अक्टूबर और दूसरे चरण की 20 अक्टूबर को प्रस्तावित है। अब इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था। हाईकोर्ट बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो आदेश दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया।  हाईकोर्ट बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो आदेश दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया।

मुद्दे: सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये तीन जांच के प्रावधान :

सुप्रीम कोर्ट ने तीन जांच के प्रावधान के तहत राज्य को प्रत्येक स्थानीय निकाय में ओबीसी के पिछड़ेपन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के आलोक में प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत बताई है. साथ ही, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ओबीसी के लिए इस तरह के आरक्षण की सीमा में कुल सीटों की संख्या के 50 प्रतिशत को पार नहीं कर पाये.

कोर्ट ने कहा :

ऐसी स्थिति में कोर्ट ये आदेश देती है कि

1. राज्य चुनाव आयोग, ओबीसी श्रेणी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटों के रूप में मानते हुए फिर से चुनाव की अधिसूचना जारी करे औऱ तब चुनाव कराये. हमारा ये निर्देश माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर आधारित है.

 2. राज्य निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय के रूप में अपने कामकाज की समीक्षा करे, वह बिहार सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है.

3. बिहार राज्य सरकार स्थानीय निकायों, शहरी या ग्रामीण चुनावों में आरक्षण से संबंधित एक व्यापक कानून बनाने पर विचार कर सकता है, ताकि राज्य को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप लाया जा सके.

4. इस फैसले की एक प्रति .बिहार के मुख्य सचिव और राज्य चुनाव आयुक्त को कार्रवाई करने के लिए भेजी जाये.

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