रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | बिहार | Updated: 19 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस अब अंदरूनी सफाई की प्रक्रिया में जुट गई है। पार्टी ने चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन की वजह मतदाताओं के मूड या गठबंधन की रणनीति को नहीं माना, बल्कि पार्टी के भीतर मौजूद असंतोष और भीतरघात को इस हार की सबसे बड़ी वजह बताया है।

प्रदेश कांग्रेस ने सभी उम्मीदवारों को पत्र लिखकर पूछा है कि चुनाव के दौरान किसने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए, किसने अंदरखाने दगाबाजी की और किसने उम्मीदवारों के खिलाफ काम किया। इसी के साथ सदाकत आश्रम में प्रस्तावित धरना और आलाकमान के खिलाफ बगावत करने वाले 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है।

हार की समीक्षा और भीतरघातियों की तलाश

कांग्रेस ने माना कि चुनाव अभियान के दौरान कई नेताओं ने—

•             टिकट वितरण पर सवाल उठाए

•             प्रचार के दौरान आधिकारिक लाइन से हटकर बयान दिए

•             दबाव समूह बनाकर संगठन को नुकसान पहुँचाया

•             कुछ ने अपने ही उम्मीदवारों के खिलाफ काम किया

इन्हीं आरोपों की जांच के लिए उम्मीदवारों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। उनसे कहा गया है कि:

•             किस नेता ने क्या बयान दिया?

•             किसने दगाबाजी की?

•             किसकी वजह से सीट कमजोर पड़ी?

प्रदेश नेतृत्व इन रिपोर्टों की समीक्षा के बाद पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नेताओं की सूची तैयार करेगा और अनुशासन समिति कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाएगी।

अनुशासन समिति सख्त, सजा हो सकती है भारी

कांग्रेस की अनुशासन समिति इस बार किसी को “माफ” करने के मूड में नहीं है।

संभावित कार्रवाई में शामिल हैं—

•             संगठन से पद हटाना

•             छह वर्षों तक पार्टी से निष्कासन

•             चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध

पार्टी का मानना है कि लगातार चुनावी असफलताओं के बाद सख्त कार्रवाई ही संगठन को दोबारा मजबूत कर सकती है।

43 नेताओं को नोटिस – टिकट बेचने से लेकर नेतृत्व पर हमला तक

21 नवंबर को बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को हटाने की मांग करते हुए सदाकत आश्रम में धरने की घोषणा करने वाले 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस मिला है।

इन पर आरोप हैं—

•             चुनाव के दौरान सार्वजनिक मंचों से पार्टी के खिलाफ बयान

•             टिकट “बेचे जाने” का आरोप

•             संगठन पर हमला

•             नेतृत्व को चुनौती देना

इन नेताओं को 21 नवंबर दोपहर 12 बजे तक लिखित जवाब देना है, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई स्वतः लागू हो जाएगी।

नोटिस पाने वालों में कई बड़े नाम शामिल हैं—

•             पूर्व मंत्री अफाक आलम

•             पूर्व विधायिका वीणा शाही

•             पूर्व MLA बंटी चौधरी

•             पूर्व MLC अजय कुमार सिंह

•             पूर्व विधायक छत्रपति यादव

•             पूर्व प्रवक्ता आनंद माधव

असंतुष्ट नेताओं का पलटवार – “नेतृत्व डरा हुआ है”

नोटिस जारी होने के बाद बागी नेताओं की प्रतिक्रिया और तीखी हो गई है।

उनका आरोप है—

•             टिकट बेचा गया

•             संगठन में RSS बैकग्राउंड के लोगों को जगह दी गई

•             असंतोष जताने वालों को निकालने की साजिश हो रही है

उन्होंने धरने की तारीख 22 से बदलकर 21 नवंबर कर दी है और कहा कि कांग्रेस नेतृत्व अपनी विफलता छुपाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन असली सच्चाई जल्द सामने आएगी।

 अब आगे क्या?

कांग्रेस अब इस हार को “संगठन सुधार” के मौके के रूप में देख रही है। अनुमान है कि—

•             फरवरी तक पार्टी में बड़े बदलाव

•             टिकट वितरण की प्रक्रिया में सुधार

•             नेतृत्व शैली में बदलाव

•             संगठनात्मक पुनर्गठन

आने वाले दिनों में बिहार कांग्रेस की राजनीति और भी दिलचस्प हो सकती है, क्योंकि लड़ाई अब मैदान में नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर लड़ी जा रही है।

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