रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे ऊपर धन सिंह रावत का नाम है.देहरादूनः बीजेपी मुख्यालय में सुबह 10 बजे पार्टी विधानमंडल दल की बैठक, CM पद पर होगा फैसला

त्रिवेंद्र सिंह रावत को बीजेपी की ओर से केंद्रीय स्तर पर कोई भूमिका दी जा सकती है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने यह जानकारी दी है।

उत्तराखंड के सिर्फ एक सीएम एनडी तिवारी ही पूरा कर पाए कार्यकाल

रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : उत्तराखंड के 20 वर्ष के इतिहास में 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने से पहले कुर्सी गंवाने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में रावत का स्थान आठवां है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च, 2017 को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और केवल 9 दिन बाद वह अपनी सरकार के 4 साल पूरे करने वाले थे, लेकिन आज उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

प्रदेश में पहली निर्वाचित सरकार के मुखिया के रूप में 2002 में कमान संभालने वाले कांग्रेस के दिग्गज नारायण दत्त तिवारी ही वह एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। 9 नवंबर, 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी बने लेकिन एक साल में ही उन्हें लेकर प्रदेश बीजेपी में इतना असंतोष बढ़ा कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें हटाकर भगत सिंह कोश्यारी को राज्य की कमान सौंप दी। फरवरी, 2002 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी के हारने के साथ ही कोश्यारी भी सत्ता से बाहर हो गए।

खंडूरी ने नैतिक जिम्मेदारी ले दिया था इस्तीफा

कोश्यारी के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले तिवारी के कार्यकाल के दौरान भी उन्हें हटाए जाने चर्चाएं चलती रहीं लेकिन उनके कद और अनुभव के सामने उनके विरोधियों की इच्छाएं कभी परवान नहीं चढ़ सकीं और उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। वर्ष 2007 में कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हटे। उसके बाद सत्ता में आई बीजेपी ने पूर्व फौजी भुवनचंद्र खंडूरी पर भरोसा जताया लेकिन 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के हाथों प्रदेश की सभी पांचों सीटें गंवाने से क्षुब्ध होकर उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया।

निशंक भी पूरा नहीं कर पाए अपना कार्यकाल

खंडूरी की जगह आए वर्तमान केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और 2012 के विधानसभा चुनावों से कुछ माह पहले मुख्यमंत्री पद पर फिर खंडूरी की वापसी हो गई। विधानसभा चुनाव जीतकर 2012 में सत्ता में आई कांग्रेस ने विजय बहुगुणा पर दांव खेला लेकिन 2013 की केदारनाथ आपदा ने उनके मुख्यमंत्री पद की बलि ले ली और उनकी जगह हरीश रावत को प्रदेश की कमान सौंपी गई। हालांकि, रावत भी वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव हारकर मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल हो गए।

उत्तराखंड में कई विधायकों के त्रिवेंद्र सिंह रावत के कामकाज के तरीके से खुश न होने के चलते यह फैसला लिया गया है। इसके अलावा उन पर प्रशासनिक तौर पर बहुत ज्यादा दक्ष न होने के भी आरोप लग रहे थे। सूबे में 2022 में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में उन्हें हटाने का फैसला पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर दोनों हो सकता है।

जानकारी के मुताबिक त्रिवेंद्र सिंह रावत से नाराज 22 से 25 विधायकों ने संयुक्त रूप से इस्तीफा देने की योजना बना ली थी। अगर ऐसा होता तो आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में एक नकारात्मक संदेश जाता। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व यह जोखिम नहीं उठा सकता था। इसी को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस्तीफा देने के आदेश दिए।

देहरादून,09 मार्च। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे के बाद रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि ये मेरे जीवन का स्वर्णिम अवसर है. विगत चार सालों में पार्टी ने मुझे मुख्यमंत्री के तौर पर सेवा करने का मौका दिया.रावत ने कहा कि मुझे ये स्वर्णिम अवसर मेरी पार्टी ने दिया. मैंने देव भूमि के मुख्यमंत्री के रूप में 4 साल तक काम किया. मैं छोटे से गांव से आता हूं. मैंने सोचा भी नहीं था कि पार्टी मुझे इतना बड़ा सम्मान देगी. पार्टी ने विचार किया और सामूहिक रूप से निर्णय किया कि किसी और को मौका दिया जाए. आइए आपको बतातें है क्या है त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी…

सरकार में शामिल कई विधायकों का यह आरोप था कि मुख्यमंत्री उनसे मिलते नहीं है. उनका यह भी आरोप था कि उनकी सरकार में सुनी नहीं जाती है ऐसे में जनता की समस्याओं का समाधान कैसे हो. सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड में दिल्ली के जो वरिष्ठ नेता और सांसद थे उनसे भी त्रिवेंद्र सिंह रावत की एक तरह की दूरी बन गई थी . बताया जाता है उनकी राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से भी काफी समय से बातचीत बंद थी.

मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब अटकलों का बाजार गर्म है कि उनकी जगह प्रदेश के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ले रहे हैं. हालांकि राजनीति संभावनाओं का खेल है और कुछ भी होने से इनकार नहीं किया जा सकता. अभी फिलहाल 4 नामों की चर्चा सत्ता की गलियारों में है. पर इन सबसे इतर कोई छुपा रुस्तम भी साबित हो सकता है. कल बुधवार को दस बजे पार्टी मुख्यालय पर भारतीय जनता पार्टी विधानमंडल की बैठक है. जिन लोगों के नाम की चर्चा चल रही है उनमें सतपाल महाराज, अजय भट्ट, धन सिंह रावत और अनिल बलूनी का नाम लिया जा रहा है.

भाजपा नेता रमन सिंह और दुष्यंत गौतम विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए हैं. ये लोग विधायक दल के नए नेता का चुनाव कराएंगे. बताया जा रहा है कि रमन सिंह छत्तीसगढ़ से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं और वे वहीं से सीधा देहरादून के लिए रवाना हो जाएंगे.

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