रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : करगहर(रोहतास)। मानव शरीर ईश्वर की श्रेष्ठ रचना है।मानव शरीर पाने के लिए स्वर्ग में बैठे देवता भी तरसते है।देवताओं को तो जाने दो स्वंय परमात्मा भी भारत में किसी माता के उदर से जन्म लेने के लिए हर क्षण लालायित रहते हैं।किन्तु राम जैसा पुत्र पाने के लिए कौशल्या जैसी माता और दशरथ जैसा पिता होना चाहिए।उक्त बातें गुरुवार को सिरिसियाँ गाँव में आयोजित 11 दिवसीय रामचरित मानस महायज्ञ में अपने प्रवचन के दौरान आचार्य प्रोफेसर विष्णुदत्त त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि भारत ऋषी-मुनि,तपस्वी-त्यागी महापुरुषों का देश है। सीता सावित्री,अनुसुईया मदालसा गार्गी जैसे भक्त आदर्श नारियों का देश है।लेकिन आज भौतिकता की चकाचौंध में भारत के पुरूष और नारी दोनो का ही रास्ता बिगड़ गया है।लोग अपने मूल स्वरूप से विमुख हो गए हैं। पैसे की चाहत में जिंदगी में इतने भागदौड़ कर रहे हैं कि मानवरूपी शरीर धारण कर वे अपने वास्तविक कर्मो से कोशों दूर चले गए हैं।जिससे आज का इंसान हर पल भय के साये तले जीवन जीने को मजबूर हैं।चाहे वह कितना ही धनवान व पुरूषार्थी क्यो न हो ।उन्होंने कहा कि इस भय व हतासा भारी जिंदगी से छुटकारा पाने के लिए हमे ईश्वर के सरण में जाना पडेगा और ईश्वर की प्राप्ति के लिए मानव का शरीर सरल माध्यम है।भारत देश के अलावा कहीं गंगा-यमुना,संत और कहीं चरित्र नही है यहाँ के संतों तपस्वी व त्यागियों की तुलना में भगवान भी कभी-कभी छोटे पड जाते हैं।यहाँ कितने धर्म आते हैं पलते हैं और काल के प्रवाह में नष्ट हो जाते हैं।हमे अपने गौरव व स्वाभिमान को बचाना और सम्भालना बहुत जरूरी है।क्योंकि इस समय नकल की आंधी चल रही है और हर प्रकार से पश्चाताप ब्यवस्थाएं हमारे जीवन में विष घोल रही है।

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