
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | पटना | Updated: 24 नवंबर 2025: बिहार की नई एनडीए सरकार में विभागों के बंटवारे के बाद राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को गृह विभाग दिए जाने पर सीपीआई (ML) लिबरेशन ने तीखे आरोप लगाए हैं। पार्टी के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने दावा किया कि भाजपा ने नीतीश कुमार से गृह मंत्रालय “छीन लिया” है और राज्य अब “बुलडोजर शासन” की तरफ बढ़ रहा है।
वे रविवार, 23 नवंबर को हाजीपुर में भाकपा (माले) नेता विशेश्वर प्रसाद यादव की श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा— “अब बिहार में कानून नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बुलडोजर का राज होगा। हमारी पार्टी जनता के अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए पूरी मजबूती से लड़ाई लड़ेगी।”
बिहार ‘खतरनाक राजनीतिक दौर’ में प्रवेश कर चुका – भट्टाचार्य
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि 2025 के विधानसभा चुनाव अभूतपूर्व अनियमितताओं से प्रभावित हुए हैं। उनका कहना है कि चुनाव आयोग और प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
उन्होंने दावा किया—
• मतदाता सूची से लगभग 70 लाख नाम हटाए गए
• करीब 20–25 लाख नए नाम जोड़े गए
• जिससे अनेक बूथों पर मतदाताओं का संतुलन बदल गया
उन्होंने कहा कि “पूरी चुनावी प्रक्रिया जनता के भरोसे की कसौटी पर खरी नहीं उतरती।”
महिला मतदाताओं को लुभाने के आरोप
वाम नेता ने सत्तारूढ़ गठबंधन पर यह भी आरोप लगाया कि:
• महिला मतदाताओं को 10-10 हजार रुपये देकर प्रभावित किया गया
• विभिन्न योजनाओं के नाम पर चुनाव से पहले 30,000 करोड़ रुपये बांटे गए
• चार साल तक योजनाएं उपेक्षित रहीं, फिर अचानक चुनाव से पहले सक्रिय कर दी गईं
भट्टाचार्य ने कहा— “यह लोकतंत्र और मतदाता दोनों के प्रति धोखा है, और आने वाले समय में सामाजिक उत्पीड़न और बढ़ सकता है।”
लेबर कोड पर भी तीखा विरोध
चुनाव बाद लागू होने वाले नए श्रम कानूनों को भी उन्होंने “मजदूर विरोधी” बताया।
उन्होंने कहा कि:
• अब कार्य समय 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया
• हड़तालें लगभग असंभव कर दी गई हैं
• रोजगार की सुरक्षा कमजोर हो गई है
उन्होंने घोषणा की कि: “26 नवंबर – संविधान दिवस पर प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया जाएगा।”
राजनीतिक संकेत स्पष्ट – लड़ाई अब और तेज होगी
नई सरकार के गठन के साथ ही:
• भाजपा के बढ़ते प्रभाव
• सम्राट चौधरी की प्रशासनिक भूमिका
• वाम दलों की राजनीतिक नाराजगी
स्पष्ट संकेत देते हैं कि बिहार की राजनीति आने वाले दिनों में और अधिक टकरावपूर्ण होने जा रही है। मौजूदा परिस्थिति में विपक्ष इसे लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की लड़ाई के रूप में देख रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे कानून और प्रशासनिक सख्ती की जरूरत बता रहा है।


