रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | बिहार | Updated: 20 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने एक ऐतिहासिक सच्चाई को फिर साबित कर दिया – अब बिहार का चुनाव महिलाएँ तय करती हैं। जो शक्ति कभी राजनीति की परिधि पर खड़ी मानी जाती थी, वह अब चुनावी खेल की दिशा बदलने वाली निर्णायक ताक़त बन चुकी है। और इस बार तो आँकड़े ही चीख-चीखकर कह रहे हैं – बिहार की राजनीति में महिला मतदाता अब किसी से कम नहीं, बल्कि पुरुषों से कई कदम आगे हैं।

10 साल का सफर – कैसे बदल गई तस्वीर?

यह बदलाव रातों-रात नहीं आया। एक दशक में बिहार की राजनीति ने धीरे-धीरे एक क्रांतिकारी रूप धारण किया।

•             2010 में पुरुष और महिला मतदाताओं में केवल 3% का अंतर था।

•             2015 में यह फासला बढ़कर 7% हो गया।

•             2020 में थोड़ा घटकर 5% हुआ।

•             2025 में महिलाओं ने शानदार वापसी करते हुए लगभग 9% की बढ़त हासिल कर ली!

यानी पिछले तीन चुनावों में महिलाओं ने लगातार पुरुषों से अधिक मतदान किया, और अब वे एक संगठित, सजग और प्रभावशाली वोटर समूह के रूप में उभर चुकी हैं।

कौन जीता, किसे मिला कितना समर्थन?

2025 में पुरुष और महिला दोनों वोटरों ने एनडीए को मजबूत बढ़त दी, लेकिन महिलाओं ने एनडीए की किस्मत को निर्णायक रूप से चमका दिया।

सर्वे के अनुसार वोटिंग पैटर्न – सीधे और साफ़

गठबंधन              महिलाओं का समर्थन       पुरुषों का समर्थन

एनडीए  48%     46%

महागठबंधन       37%     39%

अब ज़रा पिछला चुनाव देखिए:

•             2020 में एनडीए को

o            38% महिला

o            36% पुरुष वोट मिला था।

यानी महिलाओं ने न सिर्फ समर्थन बढ़ाया बल्कि एनडीए को नई चुनावी जान दे दी।

महागठबंधन अपने पुराने आंकड़ों से बाहर ही नहीं निकल पाया –उसे महिला वोटरों को आकर्षित करने में सबसे बड़ी हार मिली, और इसका सीधा असर सीटों पर दिखाई पड़ा।

आखिर महिलाएँ एनडीए की तरफ क्यों झुकीं?

इस चुनाव में जादू चलाया कल्याणकारी योजनाओं ने, खासकर उन नीतियों ने जो सीधे महिलाओं की जिंदगी तक पहुँचीं।

सबसे असरदार कदम:

•             मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना – 10,000 रुपये की सीधी सहायता

•             पंचायत में महिलाओं को 50% आरक्षण

•             सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण

•             साइकिल और छात्रवृत्ति योजनाएँ

•             गरीब तबकों की बेटियों को यूनिफॉर्म

इन योजनाओं ने नीतीश सरकार की छवि को महिलाओं की नजर में सिर्फ “सरकार” नहीं, बल्कि “परिवार जैसा भरोसा” बना दिया।

आँकड़े दिखाते हैं— प्रभाव गहरा था

•             62% महिलाओं ने कहा कि उन्हें या उनके परिवार को योजना से लाभ मिला।

•             लाभ पाने वाली 55% महिलाओं ने एनडीए को वोट दिया।

•             यहाँ तक कि 36% गैर-लाभार्थियों ने भी एनडीए को चुना।

महागठबंधन का समीकरण बिल्कुल उल्टा निकला—जहां लाभार्थियों में से सिर्फ 31% उसके साथ गए। यानी “डायरेक्ट बेनिफिट” ने डायरेक्ट वोट में बदलकर दिखा दिया कि नीतियाँ भी चुनाव लड़ती हैं—और जीतती भी हैं।

लोग सरकार के काम से खुश हैं—खासतौर पर महिलाएँ

लोकमत ने भी महिलाओं का दृष्टिकोण साफ़ कर दिया:

•             54% महिलाओं ने कहा कि वे सरकार के काम से पूरी तरह संतुष्ट हैं,

o            पुरुषों में यह आंकड़ा 50% था।

आंशिक रूप से संतुष्ट लोगों को जोड़ लें:

•             80% महिलाएँ

•             73% पुरुष

सरकार के काम को सकारात्मक मानते हैं।

और नेतृत्व की बात आए तो:

•             50% महिलाओं ने नीतीश कुमार को अपना पसंदीदा मुख्यमंत्री कहा,

•             पुरुषों में यह आंकड़ा 43% रहा।

यानी नीतीश कुमार के प्रति महिलाओं का भरोसा और मजबूत हुआ है।

मतदान में महिलाएँ आगे, पर उम्मीदवार कम

यह चुनाव एक विरोधाभास भी दिखाता है—

•             लड़कियाँ वोट करने में आगे,

•             लेकिन उम्मीदवार बनने में अभी भी पीछे।

•             2025 में मैदान में उतरे

o            2,357 पुरुष उम्मीदवार,

o            जबकि केवल 258 महिलाएँ।

•             जीतकर आईं 29 महिला विधायक,

o            2020 की तुलना में थोड़ा ज्यादा, लेकिन निर्णायक बदलाव अब भी बाकी।

नतीजा – बिहार की राजनीति अब “महिला युग” में प्रवेश कर चुकी है

बिहार के 2025 चुनावों ने इतिहास बदल दिया:

✔ महिलाएँ अब सिर्फ वोट नहीं डालतीं—

वे सरकार चुनती हैं।

✔ पार्टियों को अब उन्हें “साइलेंट वोटर” नहीं,

“निर्णायक जनशक्ति” मानना होगा।

✔ महिला-सशक्तिकरण की योजनाएँ

अब राजनीति की सबसे ताक़तवर क़ुंजी बन चुकी हैं।

और सबसे बड़ा संदेश—

👉 जो बिहार की महिलाओं का दिल जीतेगा, उसी के पास सत्ता की चाबी होगी।

बिहार का राजनीतिक समीकरण बदल चुका है— अब यह सिर्फ चुनाव नहीं, महिलाओं का नेतृत्व, जागरूकता और राजनीतिक उभार की कहानी है। और अब सभी दलों के सामने चुनौती साफ़ है: बिहार में सत्ता का रास्ता अब महिलाओं की इच्छा से होकर जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! Copyright Reserved © RD News Network