
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | पटना | Updated: 19 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद पार्टी विधायक दल की बैठक में एक बार फिर सम्राट चौधरी को नेता और विजय कुमार सिन्हा को उपनेता चुन लिया गया है। इस फैसले के साथ दोनों नेताओं के उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
• बिहार में EBC और राजपूत समाज से बड़ी संख्या में विधायक जीतकर आए
• कई नए चेहरे भी मजबूत दावेदार थे
• जातीय समीकरण बेहद बदले हुए हैं
फिर भी बीजेपी ने एक बार फिर कुशवाहा समाज के सम्राट चौधरी और भूमिहार समाज के विजय सिन्हा पर भरोसा क्यों जताया?
क्या यह अमित शाह की रणनीति है?
क्या बीजेपी भविष्य के चुनावों के लिए जातीय आधार को मजबूत करना चाहती है?
राजनीतिक शक और विश्लेषण इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
किसका चला दिमाग? अमित शाह की मास्टर स्ट्रैटेजी
बीजेपी नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरा फैसला गृह मंत्री अमित शाह की रणनीतिक सोच के अनुसार लिया गया है।
इसके पीछे मुख्य कारण हैं—
✔ निरंतरता बनाए रखना
सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा—
• विपक्ष में लगातार आक्रामक रहे
• नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में सफल
• संगठन और कैडर पर मजबूत पकड़
उनकी जोड़ी ने एनडीए के जीत मॉडल को बार-बार साबित किया, इसलिए शाह ने “विनिंग कॉम्बिनेशन” बदलने का जोखिम नहीं लिया।
जातीय समीकरण का बड़ा खेल
बीजेपी ने इस फैसले से सवर्ण + ओबीसी बैलेंस को एक बार फिर स्थिर किया है।
✔ सम्राट चौधरी – कोइरी/कुशवाहा + ओबीसी प्रतिनिधित्व
कुशवाहा बिहार की सबसे बड़ी ओबीसी जातियों में से एक है।
यह परंपरागत रूप से नीतीश कुमार के वोटबैंक में गिनी जाती थी।
सम्राट चौधरी को आगे रखकर बीजेपी—
• इस वोटबैंक पर स्थायी पकड़ बनाना
• OBC नेतृत्व को मजबूत संदेश देना
• EBC और अन्य पिछड़ी जातियों में मजबूत प्रभाव पैदा करना
— चाहती है।
✔ विजय सिन्हा – भूमिहार + पारंपरिक सवर्ण आधार
भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण वर्ग बिहार में बीजेपी के सबसे स्थिर और वफादार वोट बैंक रहे हैं।
विजय सिन्हा को बरकरार रखकर बीजेपी ने स्पष्ट संदेश दिया—
• सवर्ण समाज का सम्मान कायम
• सरकार के शीर्ष स्तर पर मजबूत प्रतिनिधित्व
• संगठन में स्थिर नेतृत्व
EBC को टॉप पोस्ट क्यों नहीं?
हालाँकि इस बार EBC नेताओं की बड़ी संख्या जीती है, फिर भी उन्हें डिप्टी सीएम जैसी भूमिका नहीं मिली।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो—
• बीजेपी भविष्य में EBC को नए नेतृत्व के रूप में तैयार कर रही है
• लेकिन फिलहाल स्थिर और आजमाए हुए चेहरों को तवज्जो दी गई
• ताकि सरकार और गठबंधन में किसी तरह की अस्थिरता न आए
कोइरी–भूमिहार कॉम्बिनेशन – बीजेपी की दीर्घकालिक योजना
दोनों नेताओं को दोबारा चुनना सिर्फ “वर्तमान की राजनीति” नहीं, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव तक का प्लान है।
इस फॉर्मूले से—
• बीजेपी का जातीय आधार व्यापक होता है
• विपक्ष के पारंपरिक वोटबैंक को तोड़ा जा सकता है
• नीतीश के ओबीसी–EBC प्रभाव को चुनौती मिलती है
• एनडीए सरकार को पाँच साल के लिए मजबूत नेतृत्व मिलता है
निष्कर्ष
बीजेपी का यह फैसला—
• संगठनात्मक स्थिरता
• जातीय समीकरण
• नेतृत्व के अनुभव
• अमित शाह की “लॉन्ग गेम”
— इन सभी तत्वों का मिला–जुला परिणाम है।
बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में इस फैसले के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।


