
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | पटना | Updated: 15 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भले ही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) एक भी सीट न जीत पाई हो, लेकिन यह साफ हो गया है कि पार्टी ने चुनावी मैदान में बड़ा असर छोड़ा है।
शाम 6:30 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार जन सुराज को 15 लाख से अधिक वोट मिले, जो लगभग 3% वोट शेयर है। यह प्रदर्शन बताता है कि पार्टी ने बिहार के युवाओं और नए वोटरों के बीच मजबूत पैठ बनाई है।
कई सीटों पर बिगाड़ा समीकरण
जन सुराज के वोटों ने कई सीटों पर सीधे महागठबंधन और NDA के नतीजों को प्रभावित किया। पार्टी का वोट शेयर इतना रहा कि जीत–हार का अंतर इन्हीं वोटों पर टिक गया।
✔ 1. चेरिया बरियारपुर
यहाँ जन सुराज के मजबूत वोट बैंक ने राजद उम्मीदवार सुशील कुमार को पीछे धकेला। इसका लाभ JDU को मिला और वह अप्रत्याशित रूप से सीट जीत गई।
✔ 2. शेरघाटी
यहां जन सुराज ने राजद प्रत्याशी प्रमोद वर्मा की जीत की संभावना खत्म कर दी। वोटों के बिखराव का फायदा लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार को मिला।
✔ 3. जोकीहाट
इस सीट पर जन सुराज के वोटों से JDU के मंजर आलम पिछड़ गए। वोट विभाजन ने AIMIM को बढ़त दिलाई और वह सीट जीत गई।
✔ 4. चनपटिया
बीजेपी के उमाकांत सिंह यहां जन सुराज की वजह से पीछे हो गए। कांग्रेस यहाँ बढ़त में रही और जन सुराज के हजारों वोट निर्णायक रहे।
32 सीटों पर 10,000 से ज्यादा वोट
जन सुराज ने बिहार की राजनीति को चौंकाया है। 32 विधानसभा सीटों पर JSP को 10,000 से अधिक वोट मिले।
यह किसी नए क्षेत्रीय दल के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
क्या जन सुराज बनेगी तीसरी ताकत?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज भविष्य में बिहार की राजनीति में एक मजबूत तीसरी शक्ति बन सकती है।
जन सुराज के प्रभाव के कारण:
• युवाओं में लोकप्रियता
• स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता
• 238 सीटों पर व्यापक उपस्थिति
• पारंपरिक वोटबैंक को चुनौती
• सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए चिंता का विषय
PK का दावा हुआ आंशिक रूप से सही
प्रशांत किशोर ने शुरुआत में दावा किया था कि उनकी पार्टी 150 सीटें जीतेगी। बाद में उन्होंने कहा कि
“या तो हम सबसे ऊपर होंगे या सबसे नीचे—बीच का रास्ता नहीं होगा।” हालांकि सीटें तो नहीं मिलीं, लेकिन 3% वोट शेयर और 32 सीटों पर प्रभाव ने PK के “नई राजनीति” के प्रयोग को निर्णायक पहचान दे दी है।


