रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | नई दिल्ली | Updated: 13 नवंबर 2025: पाकिस्तान की राजनीति और सत्ता संतुलन में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है। 27वें संविधान संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद जनरल असीम मुनीर अब तीनों सेनाओं के प्रमुख बन गए हैं — यानी पाकिस्तान के नए सर्वेसर्वा। नेशनल असेंबली में यह संशोधन 234 मतों के समर्थन से पारित किया गया। संशोधन के बाद मुनीर अब चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) के रूप में कार्यभार संभालेंगे और 27 नवंबर से उनका नया कार्यकाल शुरू होगा।

इस पद के साथ उन्हें परमाणु हथियारों की कमान, सैन्य नीति निर्धारण, और रक्षा-संबंधी सभी रणनीतिक निर्णयों पर अंतिम अधिकार प्राप्त हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट से शक्तियां छीनी गईं, बना नया “फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट”

इस संशोधन का सबसे विवादित हिस्सा है — सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों में कटौती और “फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट (FCC)” का गठन। अब संविधान से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई यही नई अदालत करेगी। साथ ही, जजों की नियुक्ति का अधिकार अब सरकार के हाथ में होगा।

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इस संशोधन में आखिरी क्षणों में बदलाव किया गया, जिसके तहत मौजूदा चीफ जस्टिस याह्या अफरीदी अपने पूरे कार्यकाल तक पद पर बने रहेंगे। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद ही नया प्रावधान लागू होगा।

अब परमाणु हथियारों की कमान भी मुनीर के पास

अब तक नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम की निगरानी करती थी,

जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते थे। लेकिन संशोधन के बाद अब इस अथॉरिटी पर भी जनरल मुनीर का नियंत्रण होगा। यानी पाकिस्तान में सेना अब प्रत्यक्ष रूप से देश की राजनीति, न्यायपालिका और रक्षा नीति — तीनों पर हावी हो गई है।

 विपक्ष का विरोध और सड़क पर आंदोलन की तैयारी

संशोधन के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) खुलकर मैदान में आ गई है। पीटीआई नेताओं ने न केवल संसद सत्र का बहिष्कार किया, बल्कि बिल की प्रतियां फाड़कर विरोध प्रदर्शन भी किया। वहीं, तहरीक तहफ्फुज-ए-आइन-ए-पाकिस्तान नामक संगठन ने संविधान की रक्षा के लिए जन आंदोलन का ऐलान किया है। हालांकि आंदोलन की तारीख अभी तय नहीं की गई है।

मुख्य बिंदु एक नज़र में

पाकिस्तान की संसद ने 27वें संविधान संशोधन को मंजूरी देकर जनरल असीम मुनीर को देश का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बना दिया है। वह अब तीनों सेनाओं के प्रमुख और परमाणु कमान के प्रमुख होंगे। संशोधन के तहत सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां घटाई गईं और नया फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट बनाया गया। विपक्ष ने इसे पाकिस्तान के लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है।  इमरान खान की पार्टी और कई विपक्षी संगठन अब जन आंदोलन की तैयारी में हैं। पाकिस्तान में यह कदम सेना के राजनीतिक नियंत्रण को और गहराने वाला माना जा रहा है।

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