रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | गोरखपुर | Updated: 9 नवंबर 2025: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रदेशभर में ‘एकता यात्रा’ का शुभारंभ करते हुए बड़ा ऐलान किया।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हर विद्यालय और शैक्षणिक संस्थान में ‘वंदे मातरम’ का गायन अनिवार्य किया जाएगा।

सीएम योगी ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि “हर नागरिक के मन में भारत माता और अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव जागृत हो सके।”

 “जो वंदे मातरम का विरोध करता है, वह राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता”

सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कहा —

“वंदे मातरम वह गीत है जिसने आजादी की लड़ाई में भारत की चेतना को जगाया। लेकिन कांग्रेस ने तुष्टिकरण की नीति अपनाकर इस राष्ट्रगीत में संशोधन करने का प्रयास किया। आज भी कुछ लोग इसका विरोध करते हैं, जबकि कोई भी व्यक्ति, मत या मजहब राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता।”

उन्होंने समाजवादी पार्टी के एक सांसद द्वारा वंदे मातरम गाने से इनकार करने पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि — “ये वही लोग हैं जो जिन्ना को सम्मान देने वाले कार्यक्रमों में शामिल होते हैं, लेकिन लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती के आयोजन से दूरी बनाए रखते हैं।”

सरदार पटेल की जयंती और वंदे मातरम के 150 वर्ष का संगम

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर है कि

लौह पुरुष सरदार पटेल की 150वीं जयंती और ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने का पर्व एक साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि — “1876 में ‘वंदे मातरम’ का उद्भव हुआ था और तब से यह गीत आजादी का मंत्र बन गया।

हर क्रांतिकारी, बच्चा, युवा और महिला इस गीत से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ा था।”

 कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप

सीएम योगी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि “कांग्रेस ने पहले ‘वंदे मातरम’ के छंदों में संशोधन किया और फिर इसे सांप्रदायिक बताने की कोशिश की। 1923 में मोहम्मद अली जौहर ने कांग्रेस अधिवेशन में वंदे मातरम के गायन का विरोध किया और मंच छोड़ दिया — अगर कांग्रेस ने तब राष्ट्रभक्ति का सम्मान किया होता, तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता।”

 ‘वंदे मातरम’ को बताया भारत माता की उपासना का प्रतीक

सीएम योगी ने कहा कि यह गीत किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि धरती माता की उपासना का प्रतीक है।

उन्होंने कहा — “भारत का ऋषि परंपरागत रूप से धरती को माता मानता है। अगर कोई व्यक्ति, मत या मजहब राष्ट्र से ऊपर खुद को रखता है, तो वह न राष्ट्रभक्त है और न ही भारत के आदर्शों का प्रतिनिधि।”

 मुख्य घोषणाएँ एक नजर में

राजनीतिक विश्लेषण

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, सीएम योगी का यह कदम
धार्मिक-सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को सशक्त करने और विपक्ष के “सेक्युलर नैरेटिव” को चुनौती देने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
वंदे मातरम को अनिवार्य करना शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रभक्ति और अनुशासन के प्रतीक के रूप में भी प्रचारित किया जा रहा है।

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