
By Rohtas Darshan Digital Desk | Updated: October 31, 2025 | Mumbai : मुंबई के पवई इलाके में गुरुवार को हुआ बंधक कांड एक बड़ा मोड़ ले चुका है।
आरए स्टूडियो में 17 बच्चों सहित 19 लोगों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्या अब इस पूरी घटना के केंद्र में है।
पुलिस जांच में सामने आया है कि आर्या ने यह नाटकीय कदम अपने ₹2 करोड़ बकाया भुगतान की वसूली के लिए उठाया था, जो महाराष्ट्र के पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल में जारी “स्वच्छता मॉनिटर” परियोजना से जुड़ा था।
घटना में आर्या की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि सभी बंधकों को पुलिस ने सुरक्षित बचा लिया।
2 करोड़ बकाया का विवाद — “सरकारी भुगतान अटका हुआ था”
सूत्रों के मुताबिक, पुणे निवासी रोहित आर्या ने वर्ष 2023 में महाराष्ट्र शिक्षा विभाग के लिए “स्वच्छता मॉनिटर” नामक प्रोजेक्ट पर काम किया था।
यह परियोजना “मेरा स्कूल, सुंदर स्कूल” अभियान का हिस्सा थी।
लेकिन, काम पूरा होने के बावजूद उसका लगभग ₹2 करोड़ का भुगतान रोक दिया गया।
कई बार विभागीय स्तर पर संपर्क करने के बाद भी जब भुगतान नहीं हुआ, तो आर्या मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो गया।
गुरुवार को उसने इस मुद्दे को “सुना जाए” इसके लिए बंधक नाटक रचा, जिससे अधिकारियों और मीडिया का ध्यान उसकी ओर खिंच सके।
कैसे रचा गया बंधक नाटक
पुलिस के अनुसार,
• घटना गुरुवार दोपहर 1:45 बजे शुरू हुई।
• आर्या ने पवई स्थित आरए स्टूडियो में 17 किशोरों और दो वयस्कों को बंधक बना लिया।
• उसके पास एयर गन, केमिकल और लाइटर था।
• उसने धमकी दी कि अगर उससे बात नहीं की गई, तो वह स्टूडियो में आग लगा देगा।
पुलिस उपायुक्त दत्ता नलावडे ने बताया कि
“रोहित आर्या मानसिक रूप से अस्थिर लग रहा था। जब उसने पुलिस पर एयर गन से फायर किया, तो जवाबी कार्रवाई में गोली चली और उसकी मौत हो गई।”
बंधकों ने शौचालय की खिड़की से इशारा कर राहगीरों को मदद के लिए बुलाया, जिसके बाद पुलिस ने 30 मिनट तक चला ऑपरेशन चलाकर सभी को सुरक्षित बाहर निकाला।
वीडियो संदेश में कहा—‘मैं आतंकवादी नहीं, मजबूर हूं’
घटना के दौरान आर्या ने एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उसने कहा —
“मैं न आतंकवादी हूं, न अपराधी। मुझे आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया है। मैं सिर्फ अपनी बात सुनवाना चाहता हूं।”
उसका मकसद था कि वह पूर्व मंत्री दीपक केसरकर और विभागीय अधिकारियों से सीधे बात कर सके।
केसरकर का बयान — “मेरा नाम बेवजह घसीटा जा रहा”
पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने इस मामले में कहा कि उनका नाम “बेकार में घसीटा जा रहा है”।
उन्होंने कहा —
“रोहित आर्या ने ‘स्वच्छता मॉनिटर’ नामक एक योजना प्रस्तुत की थी, जिसे हमने ‘मेरा स्कूल सुंदर स्कूल’ अभियान में शामिल किया था।
लेकिन कुछ प्रत्यक्ष लेनदेन उसने स्वयं किए थे। उसे विभाग से बात कर समाधान निकालना चाहिए था, बंधक बनाना कोई रास्ता नहीं।”
केसरकर ने कहा कि इस पूरे मामले में विभागीय प्रक्रिया और प्रोटोकॉल के तहत भुगतान किया जाना चाहिए था।
राजनीतिक एंगल: विपक्ष ने कहा — “भ्रष्टाचार और देरी से उपजा है यह संकट”
इस घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में भी हलचल मचा दी है।
विपक्षी दलों ने सरकार और शिक्षा विभाग पर हमला बोलते हुए कहा कि —
“यह घटना दर्शाती है कि सरकारी परियोजनाओं में ठेकेदारों को भुगतान में कितनी देरी और भ्रष्टाचार है।”
कांग्रेस और राकांपा ने आरोप लगाया कि
“सरकार की संवेदनहीनता और अफसरशाही की लापरवाही ने एक युवा उद्यमी को यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।”
कुछ नेताओं ने तो जांच आयोग गठित करने की मांग भी की है, ताकि इस “ठेका घोटाले” के पीछे के असली चेहरों का खुलासा हो सके।
मानसिक स्वास्थ्य और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और प्रशासनिक असंवेदनशीलता से जुड़ा है।
सरकारी भुगतान में देरी, ठेकेदारों पर ब्यूरोक्रेटिक दबाव, और भ्रष्टाचार — ये सभी मिलकर ऐसे हादसों की जमीन तैयार करते हैं।
घटना के बाद क्या अगला कदम?
मुंबई पुलिस ने इस मामले में एडीजी स्तर की जांच के आदेश दिए हैं।
वहीं, शिक्षा विभाग ने कहा है कि
“भुगतान से संबंधित सभी फाइलों की समीक्षा की जाएगी और यदि किसी स्तर पर लापरवाही पाई गई, तो कार्रवाई होगी।”


