
By Rohtas Darshan Digital Desk | चाईबासा | Updated: October 31, 2025 :
झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में बुधवार को जनाक्रोश चरम पर
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा और सरायकेला में बुधवार को आम जनजीवन ठप रहा।
भारी वाहनों के लिए ‘नो एंट्री’ टाइमिंग तय करने की मांग को लेकर हुए पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में भाजपा और आदिवासी सामाजिक संगठनों ने जिला बंद का आह्वान किया था, जिसका व्यापक असर दोनों जिलों में देखा गया।
सुबह से ही बाजार, दुकानें, स्कूल और परिवहन सेवाएं ठप रहीं।
चाईबासा शहर, चक्रधरपुर, सोनुआ, मनोहरपुर, जगन्नाथपुर और आनंदपुर प्रखंडों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा।
बंद के दौरान सड़कें सुनसान, टायर जलाकर जताया आक्रोश
सुबह 8 बजे से ही भाजपा कार्यकर्ता और आदिवासी संगठनों के सदस्य सड़कों पर उतर आए।
चाईबासा के ताम्बो चौक, सदर बाजार, बस स्टैंड और शहीद पार्क इलाके में दुकानों को बंद करा दिया गया।
सड़क पर जगह-जगह टायर जलाए गए, जिससे एनएच-320डी (चक्रधरपुर-राउरकेला मार्ग) घंटों जाम रहा।
टाटा-रांची, किरीबुरू और ग्रामीण मार्गों पर बसों का संचालन ठप हो गया।
स्कूल-कॉलेजों में उपस्थिति बेहद कम रही, कई शिक्षण संस्थानों ने सुरक्षा कारणों से छुट्टी घोषित कर दी।
पृष्ठभूमि: मंत्री आवास घेराव के दौरान हुआ था लाठीचार्ज
यह बंद उस घटना की पृष्ठभूमि में हुआ है जो सोमवार रात को सामने आई थी।
स्थानीय लोग मंत्री दीपक बिरुआ के आवास का घेराव करने निकले थे, ताकि ‘नो एंट्री’ नियम लागू करने की अपनी मांग रख सकें।
लेकिन पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए लाठीचार्ज किया, जिससे भगदड़ और पत्थरबाजी की स्थिति बन गई।
इस घटना में कई लोग घायल हुए और 17 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था।
स्थानीय संगठनों का आरोप है कि कुछ युवक अब भी लापता हैं, और पुलिस उनकी गिरफ्तारी या गायब होने की बात छिपा रही है।
भाजपा और आदिवासी संगठनों ने हेमंत सोरेन सरकार को घेरा
घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर पुलिसिया दमन का आरोप लगाया।
भाजपा नेताओं और कई आदिवासी संगठनों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, मधु कोड़ा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा और पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई ने मंगलवार को चाईबासा पोस्ट ऑफिस चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष गंगोत्री कुजुर ने कहा —
“हेमंत सरकार ने आदिवासियों की आवाज दबाने का काम किया है।
पुलिस के बल पर जनता की मांगों को कुचलने का प्रयास लोकतंत्र पर हमला है।”
राजनीतिक विश्लेषण: चुनावी वर्ष में बढ़ी तनाव की रेखा
झारखंड में 2025 विधानसभा चुनाव करीब हैं, ऐसे में यह घटना राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मानी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आदिवासी इलाकों में भाजपा की सक्रियता और सरकार विरोधी माहौल राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
चाईबासा, सरायकेला और खूंटी जैसे जिले जहां आदिवासी आबादी बहुल है, वहां पुलिस दमन के विरोध ने “सरकार बनाम जनता” का नया नैरेटिव तैयार कर दिया है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम, पुलिस सतर्क
प्रदर्शन को देखते हुए डीएसपी स्तर के अधिकारी सड़कों पर तैनात किए गए।
चाईबासा शहर के प्रमुख चौराहों पर रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और झारखंड जगुआर यूनिट की तैनाती की गई।
एसपी अमित कुमार ने बताया कि —
“स्थिति नियंत्रण में है, किसी बड़े उपद्रव की सूचना नहीं है।
प्रशासन संवाद के माध्यम से स्थिति सामान्य करने की कोशिश कर रहा है।”
मांगें: नो एंट्री का समय तय करो, दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करो
बंद समर्थकों ने अपनी मांगों का लिखित ज्ञापन भी सौंपा।
उनकी प्रमुख मांगें —
1. चाईबासा शहर में भारी वाहनों के लिए ‘नो एंट्री टाइमिंग’ तय किया जाए।
2. लाठीचार्ज के दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाए।
3. गायब प्रदर्शनकारियों को सुरक्षित वापस लाया जाए।
4. आदिवासी महिला प्रदर्शनकारियों के साथ हुई दुर्व्यवहार की जांच हो।


