
R D News Network : 20 October 2025 : New Delhi : दीपावली के मौके पर अयोध्या की जगमगाहट किसी स्वर्गीय महल से कम नहीं होती। लेकिन अयोध्या में एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल भी है, जहां भगवान राम के छोटे भाई भरत ने अपने भाई के वनवास के दौरान 14 साल कठोर तपस्या की और वहीं से अयोध्या का शासन चलाया।
त्रेतायुग में मां कैकयी के कहने पर भगवान राम ने भरत को सिंहासन सौंपते हुए वनवास स्वीकार किया था। उस समय भरत का मन सबसे अधिक व्यथित था। उन्होंने राज्य का लालच त्यागकर भगवान राम की चरण पादुका को सिंहासन पर रखकर अयोध्या पर राज किया।
भरत ने अयोध्या से दूर नंदीग्राम में अपना स्थान लिया। यहाँ बने भरत कुंड में उन्होंने वियोग में 14 साल कठोर तपस्या की। इस कुंड में 27 तीर्थों का जल है, जिसका धार्मिक महत्व अत्यंत अधिक है। माना जाता है कि भगवान राम के अयोध्या लौटने पर इसी जल से उनका अभिषेक किया गया।
भरत कुंड में छोटे मंदिर में आज भी भगवान राम की चरण पादुका चिन्ह स्वरूप विराजित हैं। मंदिर के प्रांगण में स्थित वट वृक्ष के नीचे बैठकर भरत ने तपस्या की थी। कहा जाता है कि वृक्ष की लटाएं कभी जमीन को नहीं छूतीं। इसी वट वृक्ष के नीचे भरत ने हनुमान जी पर बाण चलाया था, और मूर्छित हनुमान को वृक्ष की लटाओं ने उठाया था।
दीपावली के अवसर पर नंदीग्राम में भरत के तपस्या स्थल पर विशेष पूजा और आयोजन होते हैं। देशभर के भक्त यहां दूर-दूर से भगवान राम और भरत के निश्छल प्रेम को देखने और श्रद्धा निवेदित करने आते हैं।


