नेपाल की सियासत में रविवार को नाटकीय मोड़ आ गया। यहां सत्तारूढ़ गठबंधन को उस वक्त पर करारा झटका लगा, जब प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल प्रचंड के बीच पीएम पद को लेकर सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दलों ने पुष्प कमल दहल को अपना समर्थन दिया।
दहल ने राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें अपनी पीएम उम्मीदवारी का आवेदन सौंपा। दहल ने नेपाल के राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उन्हें पीएम पद के लिए निर्दलीय सांसदों समेत 169 सांसदों का समर्थन हासिल है। इसके बाद राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पुष्प कमल दहल प्रचंड को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। नेपाल राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के पुष्प कमल दहल कल शाम 4 बजे (स्थानीय समयानुसार) नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
.रोटेशन के आधार पर आधार पर उनके बाद केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री बनेंगे
2015 में संविधान लागू होने के बाद से अब तक नेपाल में 5 बार प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं.
1954 में नेपाल के चितवन में जन्मे पुष्प कमल दहल 18 वर्ष की उम्र में ही माओवादी आंदोलन से जुड़ गए थे. नेपाल की शाही सरकार ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया तो करीब 12 सालों तक उन्हें अंडर ग्राउंड रहना पड़ा. 1990 के दशक में माओवादियों संग सरकार के समझौते के बाद वो बाहर आए और 1992 में नेपाली कम्युनिष्ट पार्टी के महासचिव बनाए गए.
2008 में वे पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन मधेश आंदोलन के चलते 9 महीने के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा. 2016 में प्रचंड ने दूसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, लेकिन फिर संविधान को लेकर हुए बवाल के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. इस बार वो ढाई साल के लिए पीएम बन गए हैं.
प्रचंड पिछले 16 साल से नेपाल में किंगमेकर की भूमिका में रहे हैं. 2002 में देउबा सरकार ने उनपर इनाम घोषित किया था. दो बार प्रधानमंत्री रहे प्रचंड 2008 से अब तक 6 बार पाला बदल चुके हैं. प्रचमड की पार्टी नेपाल के तराई इलाकों में गहरा असर रखती है जो कि भारत से जुड़ा हुआ है. भारत के दोस्त देउबा अब विपक्ष में बैठेंगे।