किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने कई जानकारी
रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 01 नवम्बर 2021 : तिलौथू : तिलौथू प्रखंड कार्यालय परिसर में बिहार सरकार के निर्देशानुसार प्रखंड स्तरीय रबी फसल कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार ने की। बिहार सरकार कृषि विभाग के अंतर्गत कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण आत्मा के द्वारा प्रखंड परिसर में आयोजित रबी महा अभियान सह प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीडीओ संजय कुमार ने कहा कि प्रखंड में किसानों के तैयार फसल को रखने के लिए किसी भी तरह का कोल्ड स्टोरेज नहीं है। इसके लिए सर्वप्रथम एक कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था करना बहुत जरूरी है। जिसके लिए मैं प्रयासरत हूं तथा सोन के तटवर्ती इलाकों में होने वाले कटाव को रोकने के लिए मेरे द्वारा वन विभाग व सोन बांध परियोजना को पत्र लिखा गया है। इसके लिए मेरे द्वारा सोन तट पर बांस का पेड़ लगाने के लिए सरकार को प्रपोजल दिया गया है। इसके लिए सोन बांध एवं वन विभाग द्वारा स्वीकृति भी मिल गई है। बहुत जल्द डेहरी से तिलौथू तक सोन के तटीय इलाकों में बांस का पौधा लगाया जाएगा। जिससे सोन कटाव को रोका जा सकता है। डेहरी से तिलौथू तक दस हजार बांस के पौधे लगाए जाएंगें। बिक्रमगंज कृषि विज्ञान केंद्र से आए हुए कृषि वैज्ञानिक रमाकांत सिंह ने महिला व पुरुष कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले खेतों में पराली प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसके लिए किसान जागरूक हो और खेतों में पराली को ना जलाया जाए। इससे खेत की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है। पराली प्रबंधन के लिए खेत में बिखरे पड़े अपशिष्ट पदार्थों को एक भट्टी में जलाएं और उसके चारकोल को खेतों में छिड़काव करें जिससे खेत की उर्वराशक्ति भी बरकरार रहेगी। धान में लगने वाले रोगों के विषय में भी कृषि वैज्ञानिक ने विस्तार से किसानों के बीच जानकारी रखी। उन्होंने बताया कि धान में लगने वाले कीड़ा जिसे कटुवा रोग कहते हैं। जो जड़ को ही काट देता है । इसके लिए एक टंकी पानी में डायनाट्रेन सुरेन नामक दवा का घोल मिलाकर छिड़काव किया जाता है। धान में एक रोग लग जाता है जिससे हम लेढा रोग कहते हैं। इससे बचने का सबसे सरल उपाय है कि बीज को ही हम उपचारित करके बीजारोपण करें। मक्का व चना में फंगस रोग लग जाता है। इसके लिए इमिडाकलो प्रेड नामक दवा का छिड़काव किया जाता है । बीज को गाय के मूत्र में आधे घंटे डूबा कर भी हम बीज का उपचार कर सकते हैं। सबसे ज्यादा धान के पौधों में क्षति पहुंचाने वाले जंगली घास होते हैं। जिस पर किसान ध्यान नहीं देते। जो दुब और मोथा घास उग आते हैं। इन्हें नष्ट करने के लिए मेक्सलफरन नामक दवा का छिड़काव किया जाता है। इस तरह से किसान घास को नष्ट कर काफी उन्नत किस्म के धान और गेहूं का उत्पादन कर सकते हैं। इस कृषि चौपाल का संचालन कृषि समन्वयक दिनेश मिश्रा ने किया। इस मौके पर प्रखंड तकनीकी प्रबंधक अखिलेश कुमार पांडे, सीओ कुमार भारतेंदु, आत्मा अध्यक्ष किसान प्रेम, प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी, जीविका के पदाधिकारी एवं वन विभाग के पदाधिकारी, कृषि समन्वयक अनुज कुमार, राजेश कुमार, सोनू कुमार, राम लखन पासवान समेत महिला कृषक समूह के महिलाएं भी उपस्थित थे।
