नोखा। करवा चौथ का व्रत बुधवार को विधि-विधान के साथ परंपरागत तरीके से मनाया गया। इस अवसर पर सुहगन महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखा तथा चन्द्रोदय के बाद विधिवत पूजा-अर्चना के साथ चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित कर पति को चलनी से दर्शन कर आशीर्वाद लिया। व्रतियों ने स्नानादि से निवृत्त होने के बाद व्रत का संकल्प लिया तथा पूरे दिन निर्जला उपवास रखा। इस बीच महिलाएं मेहंदी व चूड़ी आदि पहनकर सोलह शृंगार कीं व शाम को चन्द्र उदय होने पर पर श्री गौरी-गणेश भगवान की पूजा कर करवा व्रत की कथा श्रवण कर पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत का समापन कीं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखंड सौभाग्य के लिए सौभग्यवती महिलाएं इस व्रत का अनुष्ठान करती हैं।

द्रौपदी ने किया था व्रत

आचार्यों के मुताबिक इस व्रत का वर्णन महाभारत में मिलता है। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर धनुर्धारी अर्जुन की दीर्घायु के लिए द्रौपदी ने यह व्रत रखा था। पौराणिक आख्यानों के अनुसार महाभारत युद्ध में विजय पाने के लिए अर्जुन ने नीलगिरी पर्वत पर तपस्या की। उनकी तपस्या में आने वाले सभी विघ्न -बाधाओं को दूर करने तथा उनकी लंबी आयु के लिए द्रौपदी ने कारवा चौथ का व्रत रखा था। आचार्य श्रीकृष्णानंद जी पौराणिक ने बताया कि पूर्ण श्रद्धा व विधि के साथ इस व्रत को करने से व्रति को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा सुख-सौभाग्य व धन-धान्य की वृद्धि होती है।

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