रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 14 जुलाई 2021 : पटना। बिहार विधानमंडल का 26 जुलाई से शुरु हो मॉनसून सत्र के पहले विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज विधानसभा के स्पीकर विजय सिन्हा को एक पत्र लिख नीतीश सरकार को घेरा है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि विपक्ष के विधायक विधानसभा आने से डर रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि बिहार के सभी विपक्षी विधायकों ने मुझसे कहा है कि 23 मार्च 2021 को जो विधानसभा के भीतर घटना हुई थी, उस मामले में स्पीकर से कार्रवाई की मांग की जाए। विधायक विधानसभा आने से डर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में कहा कि 23 मार्च को जिस तरह सदन के भीतर विधायकों को बलपूर्वक मारने और जानवरों की तरह पटकने का कु-कृत्य किया गया, वो शर्मनाक है। इस मामले की जांच के लिए मैंने पहले भी आपको पत्र लिखा हूं और मेरी अब भी यही मांग है कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो और विधायकों को सदन में आने पर सुरक्षा की गारंटी दी जाए, जिससे वे निर्भीक होकर सदन में सवाल पूछ सके ।
पिछले सत्र के दौरान विपक्ष के भारी विरोध और हंगामा के बाद पुलिस के बल पर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 सदन में पेश कर पारित हुआ था । सदन के अंदर विधेयक पर हंगामा करते हुए विपक्षी विधायकों ने स्पीकर को उनके चैंबर में बंधक बना लिया था। विधानसभा के इतिहास में पहली बार पुलिस को विधानसभा के अंदर बुलाया गया था। उसके पहले स्पीकर को उनके चैम्बर में बंधक बनाने के लिए निकास द्वार पर विधायक उग्र प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद और डीएम और एसपी दल बल के साथ वहां पहुंचे थे। काफी हंगामा के बाद पुलिसकर्मियों ने विधायकों को विधानसभा से बाहर निकालना शुरु किया। इसमें कोई विधायकों को पुलिस के धक्के खाने पड़े थे। पुलिसकर्मियों ने बल का भी प्रयोग किया। इस घटनाक्रम की स्पीकर ने कडे शब्दों में न सिर्फ निंदा की थी बल्कि विधायकों के अशोभनीय आचरण की जांच सदन की आचार समिति को सुपुर्द करने के साथ दोषी पुलिसकर्मियों की पहचान कर कार्रवाई का भी निर्देश दिया था।आचार समिति में मामला जांचा है । वहीं पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है। उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी विपक्ष के रवैये की कडी भर्त्सना के साथ विधेयक के विरोध के औचित्य को सिरे से खारिज कर दिया था। हंगामा के दूसरे दिन विपक्ष ने सदन में विधायकों के साथ पुलिसिया कार्रवाई के विरोधस्वरूप सदन की कार्यवाही का वहिष्कार किया था।
