रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 16 जून 2021 : लोक जनशक्ति पार्टी में मौजूदा संकट के लिए चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि चिराग पासवान ने बीजेपी की भूमिका पर चुप्पी साध ली है। एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी के नेताओं ने जिस तरह एलजेपी को तोड़ने में दिलचस्पी दिखाई, उसके बाद इस बात को कहने में उन्हें कोई संदेह नहीं कि नीतीश कुमार एलजेपी को नुकसान पहुंचाने में दिलचस्पी रखते हैं। हालांकि जेडीयू नेताओं की भूमिका सामने देखने को मिली है। चिराग पासवान से जब यह पूछा गया कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने खुद को राम का हनुमान बताते हुए बीजेपी को राम की तरह बताया था चिराग से जब यह पूछा गया कि क्या वह बीजेपी से मदद मांगेंगे, तो उन्होंने बस इतना कहा कि हनुमान को राम से अगर मदद मांगने पड़े तो फिर काहे का राम और काहे के हनुमान।

चिराग पासवान ने कहा कि उनका नीतीश कुमार से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है और नीतीश कुमार की नीतियों और सिद्धांतों का विरोध करते हैं। नीतीश कुमार जिस तरह सरकार चला रहे हैं, इस पर उनको ऐतराज है। चिराग ने कहा कि बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट के एजेंडे को वह एनडीए में शामिल करवाना चाहते थे। लेकिन नीतीश कुमार ने उनकी एक नहीं सुनी। ऐसे में विधानसभा चुनाव लड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता था। वह अपनी पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों पर ही राजनीति करेंगे ना कि किसी दूसरे के। लोक जनशक्ति पार्टी में मौजूदा संकट के लिए एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को भी जिम्मेदार ठहराया है। चिराग पासवान ने बताया है कि वह कभी परिवार के अंदर चल रही चीजों को राजनीतिक तौर पर सामने नहीं लाना चाहते थे। लेकिन अपने पिता की मौत के बाद ऐसे कई मौके आए, जब चाचा पशुपति कुमार पारस ने परिवार से लेकर पार्टी तक को तोड़ने की कोशिश की।

चिराग पासवान ने कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते उनकी यह जिम्मेदारी थी कि वह कभी न कभी कोई सख्त कदम उठाएं। चिराग पासवान ने कहा कि जिस वक्त में मालूम पड़ा कि पशुपति पारस ने संसदीय दल का नेता चुने जाने का दावा पेश करते हुए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपा है। उन्होंने उनसे बातचीत करने की कोशिश की। उनकी मां रीना पासवान ने भी पारस अंकल से बात करने का प्रयास किया लेकिन पशुपति पारस ने उन लोगों से बातचीत नहीं की। चिराग पासवान ने कहा कि आखिरकार मजबूरी में राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने चाचा पशुपति पारस समेत पांच सांसदों को पार्टी से बाहर करने का फैसला किया और वह भी संवैधानिक तरीके से पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर फैसला लिया गया। पार्टी को मजबूत बनाने के लिए और अनुशासन बनाए रखने के लिए यह फैसला किया गया।

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