टाटा की 18 हजार करोड़ रुपये की बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी का नकद भुगतान करना शामिल है

रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 10 अक्टूबर 2021 : दिल्ली : 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया था.। सरकार अब सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी सौ फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है.। जिसमें एयर इंडिया की एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है।

टाटा की 18 हजार करोड़ रुपये की बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी का नकद भुगतान करना शामिल है।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मंत्रियों के एक समूह ने 4 अक्टूबर को एयर इंडिया के लिए विजेता बोली को मंजूरी दी।

साल 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट को पास किया और टाटा संस से एयरलाइन में मालिकाना हक खरीद लिया था। परंतुजेआरडी टाटा 1977 तक चेयरमैन के तौर पर बने रहे। रतन टाटा  ने एयर इंडिया की बोली टाटा संस  के जीतने पर बधाई दी और ट्वीट किया वेलकम बैक, एअर इंडिया! इसी के साथ उन्होंने एयर इंडिया की 1932 में शुरुआत करने वाले विजनरी बिजनेसमैन जेआरडी. टाटा का एअर इंडिया के साथ एक फोटो और मेसेज भी शेयर किया। अपने संदेश में रतन टाटा ने लिखा कि एयर इंडिया का टाटा समूह के पास लौटना एक अच्छी खबर है। ये स्वीकार करने वाली बात है कि एयर इंडिया को फिर से बनाने में बहुत मेहनत लगेगी। साथ ही एविएशन मार्केट में इससे टाटा समूह को पहुंच बढ़ाने का ठोस अवसर मिलेगा। खुश होंगे।
एअर इंडिया के जनक जेआरडी टाटा को याद करते हुए उन्होंने लिखा कि एक समय था, जब उनके नेतृत्व में एयर इंडिया दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइंस थी। टाटा के पास मौका है कि एयर इंडिया को ये पहचान दोबारा दिलाए। अगर, हम ऐसा कर पाते हैं तो जेआरडी टाटा खुश होंगे। हम सरकार के भी शुक्रगुजार हैं कि उसने हाल में कई इंडस्ट्री को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने की नीति अपनाई है।

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