नीतीश कुमार के अति पिछड़ा विरोधी रवैया के कारण निगम चुनाव टलने का खतरा , भारतीय जनता पार्टी,भारतीय जनता पार्टी बिहार, श्री नीतीश कुमार के अति पिछड़ा विरोधी रवैया के कारण निगम चुनाव टलने का खतरा
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 30 नवम्बर 2022 : पटना : 30.11.2022 पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज यहां आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि सीएम नीतीश कुमार की जिद के कारण बिहार का निकाय चुनाव कानूनी दांवपेच में फंस गया है। उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव में राजनैतिक पिछड़ेपन की पहचान हेतु सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट हेतु एक Dedicated Independent Commission बना बनाया जाना था ।
• परंतु नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आयोग को ही Dedicated Commission अधिसूचित कर दिया ।
• इसमें अध्यक्ष सहित सभी सदस्य जेडीयू-आरजेडी के वरिष्ठ नेता थे ।
• भाजपा यह मांग कर रही थी कि किसी सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमीशन गठित किया जाए ताकि वह निष्पक्ष पारदर्शी बिना भेदभाव के काम कर सकें।
• जेडीयू-आरजेडी समर्थित आयोग द्वारा जल्दबाजी में रिपोर्ट दाखिल करने के चक्कर में संपूर्ण निकाय क्षेत्र का सर्वे करने के बजाय नगर निगम में 7, नगर परिषद में 5 एवं नगर पंचायत में मात्र 3 वार्ड में ही सर्वे का निर्णय लिया ।
• पटना नगर निगम में 75 वार्ड है परंतु मात्र 7 वार्ड और वह भी मात्र 21 प्रगणक द्वारा कराया जा रहा है।
• कमीशन को सभी ओबीसी का सर्वे कर उसमें राजनैतिक पिछड़ापन के आधार पर रिपोर्ट देनी थी, परन्तु केवल ईबीसी का ही वह भी आधा अधूरा सर्वे कराया जा रहा था।
• बनाया गया आयोग ना तो पारदर्शी था और ना ही निष्पक्ष था ।
• इन्हीं सब कारणों से न्यायाधीश सूर्यकांत और जे.जे. महेश्वरी की खंडपीठ ने ईबीसी कमीशन को Dedicated Commission के रूप में अधिसूचित करने पर 28 नवंबर को रोक लगा दी।
• संविधान की धारा 243 (U) में निकाय की पहली बैठक से 5 वर्ष की अवधि तक ही निकाय का कार्यकाल होगा
• निकाय का चुनाव अवधि पूरे होने के पूर्व या भंग होने के 6 माह के भीतर कराए जाने का संवैधानिक प्रावधान है।
• परंतु बिहार में बड़ी संख्या में निकायों का चुनाव एक-डेढ़ वर्ष से लंबित है ।
• नीतीश कुमार की जिद के कारण बिहार का निकाय चुनाव कानूनी दांवपेच में फंस गया है ।
• तेजस्वी यादव नगर विकास मंत्री हैं परंतु उन्हें अति पिछड़ों एवं विभाग से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं है।Supreme court के आदेश में typographical mistake है। Extremely Backward की जगह Economically Backward टाइप हो गया है। क्या बिहार में कोई Economically Backward कमीशन है ? तो फिर कोर्ट ने किस कमीशन पर रोक लगायी ? बिहार सरकार की फिर फ़ज़ीहत होने वाली है।
तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला
बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे. बिहार में 261 नगर निकाय है। इसमें 19 नगर निगम, 88 नगर परिषद और 154 नगर पंचायत है।
