
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | नई दिल्ली | Updated: 14 नवंबर 2025: पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद राजनीतिक और न्यायिक संकट गहरा गया है। इस संशोधन के जरिए फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को असाधारण शक्तियाँ प्रदान कर दी गई हैं, जिसके तहत उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज घोषित किया जाएगा और उनका पद अब न तो सीमित अवधि वाला होगा और न ही हटाया जा सकेगा। इस कदम को पाकिस्तान के लोकतंत्र और संविधान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
संशोधन के तुरंत बाद, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीश—जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस अतहर मिनल्लाह—ने इस्तीफा दे दिया। दोनों जजों ने कहा कि उन्होंने जिस संविधान की रक्षा की शपथ ली थी, “वह अब अस्तित्व में नहीं है।” उनका कहना है कि यह संशोधन लोकतांत्रिक ढांचे पर सीधा हमला है और सेना की शक्ति को अबाध कर देता है।
विधेयक को प्रधानमंत्री की कैबिनेट और संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिली, जिसके बाद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी इसे हस्ताक्षर कर कानून बना दिया। संशोधन के बाद मुनीर पाकिस्तान के तीनों सेनाओं और परमाणु निर्णय लेने की प्रक्रियाओं पर अंतिम नियंत्रण रखेंगे। आलोचकों का कहना है कि इससे देश में सैन्य वर्चस्व और बढ़ेगा और लोकतांत्रिक संस्थाएँ पूरी तरह कमजोर हो जाएँगी।
पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते तनाव, आलोचनाओं और जनता के विरोध के बावजूद, मुनीर को और शक्तिशाली बनाकर पाकिस्तान की राजनीति में नई अस्थिरता पैदा हो गई है। विपक्ष पहले ही इसे “संविधान की हत्या” करार दे चुका है।


