
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | नई दिल्ली। | Updated: 17 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने रविवार को दिल्ली में बड़ी समीक्षा बैठक की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने बिहार प्रदेश नेताओं के साथ लंबी बैठक कर हार के कारणों पर चर्चा की। इस मंथन में न सिर्फ कांग्रेस की रणनीतिक कमियों पर बात हुई, बल्कि महागठबंधन की राजनीति और नेतृत्व को लेकर भी गंभीर सवाल उठे।
कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से हार की 7 बड़ी वजहें मानीं — जिनमें सबसे प्रमुख रही आरजेडी और तेजस्वी यादव की भूमिका।
1. आरजेडी ने कांग्रेस को ‘डंपिंग ग्राउंड’ वाली सीटें दीं
कांग्रेस नेताओं ने खुलकर माना कि सीट बंटवारा ही हार की सबसे बड़ी जड़ था।
● 61 सीटों में से 23 ऐसी थीं जहां कांग्रेस या RJD वर्षों से जीत ही नहीं पाई थी।
● 15 सीटों पर दोनों दल सिर्फ कभी-कभार जीते थे।
● जीतने लायक सिर्फ 14 सीटें मिलीं — जिनमें से कांग्रेस ने 6 जीतीं।
नेताओं के अनुसार, “RJD ने अपनी कमजोर सीटें कांग्रेस के खाते में डालकर हमें चुनावी मैदान में कमजोर कर दिया।”
2. तेजस्वी को सीएम फेस बनाने का दबाव भारी पड़ा
बैठक में स्वीकार किया गया कि RJD लगातार तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम चेहरा घोषित करवाने पर अड़ी रही। कांग्रेस का कहना है —
● गठबंधन का नेता चुनाव बाद सर्वसम्मति से तय होना था
● लेकिन RJD ने “नेतृत्व थोपने” की राजनीति की
इसके नतीजे में—
● सवर्ण और मुस्लिम वोटों में भारी नाराजगी
● मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा ओवैसी और जेडीयू की ओर चला गया
● दलित वोटों में भी सेंध लगी
3. नीतीश कुमार के मुकाबले तेजस्वी की छवि फीकी
कांग्रेस की रिपोर्ट कहती है — “तेजस्वी अब भी नीतीश कुमार की अनुभव और प्रशासनिक क्षमता के सामने कमजोर चेहरे के रूप में दिखते हैं।”
नीतीश के शासन मॉडल पर आलोचना के बावजूद—
● स्थिरता
● अनुभव
● प्रशासनिक पकड़
इन पहलुओं ने नीतीश को बढ़त दिलाई।
4. तेजस्वी देर से चुनाव मोड में आए, मुद्दे जनता तक नहीं पहुंचे
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव 5 साल विपक्ष में रहने के बावजूद चुनावी तयारी से दूर रहे।
● आख़िरी दिनों में वादों की बाढ़
● 18–18 रैलियां सिर्फ “उम्मीदवार जिताओ” अपील तक सीमित
● रोजगार, पलायन, किसान संकट जैसे मुद्दों को पहले से नहीं उछाला गया
राहुल गांधी ने भी कहा कि “तेजस्वी ने मुद्दों के लगातार फॉलो-अप में गंभीरता नहीं दिखाई।”
5. बीजेपी का मजबूत ग्राउंड मैनेजमेंट और ‘जीविका मॉडल’
कांग्रेस ने स्वीकार किया कि बीजेपी ने इस बार बेहद आक्रामक ग्राउंड स्ट्रैटेजी अपनाई —
● सैकड़ों कार्यकर्ता दूसरे राज्यों से बिहार भेजे
● बूथ-स्तर पर संसाधन और फंडिंग
● चुनाव के दौरान भी ‘जीविका दीदियों’ को 10,000 रुपये तक की सहायता
महिला वोटरों में इसका बड़ा असर पड़ा। कांग्रेस ने चुनाव आयोग की निगरानी पर सवाल उठाए, पर कोई कार्रवाई न हो सकी।
6. वोट चोरी और EVM पर कांग्रेस व RJD की रणनीति ढीली
बैठक में कांग्रेस ने माना—
● वोट चोरी और EVM गड़बड़ी को प्रभावी मुद्दा नहीं बनाया जा सका
● RJD बड़े दल होने के बावजूद आक्रामकता नहीं दिखा पाई
● ममता बनर्जी की तरह इस मुद्दे को जन आंदोलन में नहीं बदला
एक नेता ने कहा, “राजद चुप रहा, और इसी वजह से विपक्ष का बड़ा मुद्दा जनता तक आधा-अधूरा पहुंचा।”
7. कांग्रेस अब आंकड़ों के साथ लड़ाई लड़ेगी — दिसंबर में बड़ी रैली
हार के बाद कांग्रेस की नई रणनीति —
● SIR, EVM और वोटिंग डेटा का विश्लेषण
● राज्यवार गड़बड़ियों के आंकड़े सार्वजनिक करना
● INDIA गठबंधन को फिर सक्रिय करना
सूत्र बताते हैं कि दिसंबर में दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस विशाल रैली कर “चुनाव चोरी” के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगी।
राहुल गांधी व खरगे ने लालू प्रसाद और तेजस्वी से बातचीत कर आगे की रणनीति पर सहमति बनाने की कोशिश भी शुरू कर दी है।


