आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 15 फरवरी 2022 : डेहरी-ऑन-सोन । डेहरी अनुमंडलीय विधिक संघ परिसर में “राइट टू एजुकेशन फोरम और फाइट इनइक्वलिटी एलायंस (फिया)इंडिया” एवं जन अधिकार फाउंडेशन,महिला दलित कल्याण सेवा संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से ” बढ़ती असमानता और शिक्षा का मौजूदा परिदृश्य” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।सेमिनार का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि डिहरी अनुमंडलीय विधिक संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री उमाशंकर पांडे एवं मुख्य अतिथि डेहरी जिला पार्षद श्री अजय सिंह कुशवाहा एवं आर टी ई फोरम के प्रदेश सह संयोजक श्री राजीव रंजन राज द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। सेमिनार का संचालन आर टी ई फोरम के जिला संयोजक सुजीत कुमार जबकि धन्यवाद ज्ञापन महिला दलित कल्याण सेवा संस्थान के सचिव किरण देवी ने की ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह जिला परिषद अजय सिंह कुशवाहा ने कहा कि अभी हाल ही में जारी ऑक्सफैम की असमानता रिपोर्ट ने बताया है कि 2021 में कोविड महामारी के दौरान भारतीय समाज में गैरबराबरी तेजी से बढ़ी है। कोरोना काल के इस दौर में जहाँ 84 प्रतिशत घरों की आमदनी तेजी से घटी, वहीं देश के 100 सबसे संपन्न परिवारों की सम्पत्ति बढ़ कर 57.3 लाख करोड़ रूपया हो गई। रिपोर्ट बताती है कि देश के 98 सबसे धनी एवं सम्पन्न व्यक्तियों की कुल सम्पत्ति देश के 55.2 करोड़ लोगों की कुल सम्पत्ति के बराबर है। खरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर सन 2021 में 142 हो गई। जब समाज में असमानता इस कदर बढ़ रही हो तो, जाहिर है समाज के एक बड़े हिस्से में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर गरिमापूर्ण जीवन जीने के मौलिक अधिकार भी बुरी तरह प्रभावित होंगे। इन गंभीर मसलों पर चर्चा करते हुए गैरबराबरी के खिलाफ मुहिम को निरंतर चलाने की आवश्यकता महसूस की गई। तय किया गया कि नागरिक समाज समेत शिक्षा-स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न हितधारक अपनी मांगों को पंचायत के साथ-साथ, विधायकों, सांसदों और नीति-निर्माताओं,अधिवक्ताओं तक ले जाएँगे। वहीं डिहरी अनुमंडलीय विधिक संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री उमाशंकर पांडे ने कहा कि “राइट टू एजुकेशन फोरम” जहां शिक्षा अधिकार कानून, 2009 के क्रियान्वयन और शिक्षा से जुड़े मसलों को लगातार उठाता रहा है। वहीं “ फिया (फाइट इनइक्वलिटी एलायंस)- इंडिया” द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है कि समाज में मौजूद और निरंतर बढ़ती गैरबराबरी को समाप्त किया जाए। बता दें कि 1 फरवरी 2022 को पेश केन्द्रीय बजट 2022-23 ने “समग्र शिक्षा अभियान के लिए पिछले साल के 31050 करोड़ रुपये के मुक़ाबले 2022-23 में 6333 करोड़ की मामूली बढ़ोत्तरी के साथ 37383 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं, जो शिक्षा क्षेत्र की बदहाली को देखते हुए न के बराबर है। बालकुपोषण की चिंताजनक समस्या के बावजूद, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (पूर्व मिड डे मील योजना) का बजट पिछले साल के 11,500 करोड़ रुपये से भी घटा कर 10233.75 करोड़ कर दिया गया है। कोविड-19 महामारी के बाद से हाशिए के समुदायों के बच्चों, विशेषकर लड़कियों की शिक्षा पर काफी खराब असर हुआ है। देश में तकरीबन एक करोड़ लड़कियों पर स्कूली शिक्षा से बाहर हो जाने का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन माध्यमिक स्कूलों में पढ़नेवाली लड़कियों को प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय योजना (नेशनल स्कीम फॉर इनसेंटिव टू गर्ल्स फॉर सेकंडरी एजुकेशन) जैसे प्रयासों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इस बजट का सारा ज़ोर ऑनलाइन शिक्षा एवं डिजिटल माध्यम से पढ़ाई पर है जो मौजूदा असमानता को और तेजी से बढ़ाएगा और शिक्षा के निजीकरण एवं बाजारीकरण को बढ़ावा देगा। शिक्षा में गैरबराबरी मानव मूल्यों को समग्रता में प्रभावित करती है तथा समाज में अशिक्षित व्यक्ति को दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में जिंदगी जीने को मजबूर करती है।
गौरतलब है कि सामाजिक- शैक्षणिक असमानता के इन प्रमुख बिन्दुओं के मद्देनजर राइट टू एजुकेशन फोरम, फिया–इंडिया एवं अन्य ग्रासरूट संगठनों के साथ मिलकर गैरबराबरी के खिलाफ राज्यव्यापी स्तर पर इस अभियान को संचालित कर रहा है। धन्यवाद ज्ञापन महिला दलित कल्याण सेवा संस्थान के सचिव सह वार्ड पार्षद किरण देवी ने किया । इस अवसर पर वरीय अधिवक्ता रामनाथ राम,चंद्रिका प्रसाद(नोटरी), अधिवक्ता कमलकांत सिन्हा,दीनेशवर पासवान अधिवक्ता,पुनम कुमारी अधिवक्ता, अंकिता कुमारी अधिवक्ता ने सहित दर्जनों अधिवक्ता विचार प्रकट किए।

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