आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 26 नवम्बर 2022 : संस्कृति अलग होता है व्यवहार अलग होता है। व्यवहार सबसे किया जाएगा। लेकिन संस्कृति शास्त्र की आज्ञा अनुसार ही किया जाएगा। इसीलिए बताया गया है कि अपने कुल में गोत्र में शादी विवाह नही कीजिए। अपनी जाति में कीजिए। वैज्ञानिकों का भी कहना है कि यदि अंतरजातिय विवाह होता है शरीर में  रहने वाले हार्मोन है,कीटाणु है, उसके अनुसार संतान पर उसका प्रभाव होता है। व्यवहार पुरे दुनिया से करीए। लेकिन शास्त्र के अनुसार समर्पण की भावना रखीए। बैर किसी से नही होना चाहिए। लेकिन मर्यादा संस्कृति के अनुसार जीवन जीने की कोशिश करेंगे। यह बाताया गया है।

सत्य के समान दुसरा कोई तप नही है

परोपकार,दया के समान दुसरा कोई धर्म नही है। और सत्य के समान दुसरा कोई तप नही है। सदाचार  के समान दुसरा कोई व्रत नही है। इन तीन बातों के ध्यान रखना चाहिए। सदाचार, सत्य, दया का बड़ा महत्व है।

बेटा बेटी के जन्म के ग्यारहवां या बारहवें दिन नामकरण कर देना चाहिए।

शास्त्र का नियम है कि लड़का या लड़की के जन्म लेने के बाद नियम तो यह है कि माता पिता ही नामकरण करें। यदि पुरोहित करेंगे, कोई और रिश्तेदार नामकरण करेंगे तो यह भी ठीक है। ग्यारहवां या बारहवें दिन नामकरण हो जाना चाहिए।     कन्याओं का नाम लक्ष्मी संबंधी नाम रखिए और बालकों का नाम भगवान संबंधी रखिए। क्योंकि बेटा, बेटी के पुकारने के बहाने तो भगवान का नाम आ गया न। यह विचार कर भगवान संबंधी नाम रखना चाहिए।

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