आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 25 अक्टूबर 2022 : दीपावली के पावन अवसर पर कोल भील चेरो खरवारो के बीच यदुनाथपुर जंगल एवं सोन के तराई के बीच श्री जीयर स्वामी जी महाराज के सानिध्य में श्री लक्ष्मी नारायण विवाह महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। जिसमें हजारों की संख्या में काफी दूर-दूर से महिला तथा पुरुषों ने आकर हिस्सा लिया। यज्ञ समिति के तरफ से भव्य तरीके से प्रसाद की व्यवस्था की गई थी।काशी मथुरा बनारस से आए आचार्य लोगों के मंत्रोचार से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। विधि-विधान से श्री लक्ष्मी नारायण भगवान का विवाह उत्सव संपन्न हुआ। जिसमें मांगलिक कार्यों के साथ मांगलिक गीत भी गाए गए। जिसे देखने हेतु काफी संख्या में लोगों की भीड़ लगी रही।
स्वामी जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि घर में श्री लक्ष्मी नारायण भगवन की कृपा बनाए रखने के लिए व्यक्ति को मन तथा आचरण को पवित्र रखना चाहिए। जिसका जितना ही सुंदर विचार होगा अच्छा आचरण होगा और मन पवित्र होगा उस पर श्री लक्ष्मी नारायण भगवान की कृपा बनी रहती है।
भागवत कथा अनुष्ठान पूर्वक सुनने पर कल्याण होता है। कथा सुनने के समय संसारिकता से अलग एकाग्रचित्त होने पर फल प्राप्ति होती है। भगवान की कृपा होने पर पति-पत्नी में मधुरता रहती है। यदि पत्नी कर्कशा हो और घर में बच्चों की किलकारी भी नहीं हो, तो सुख-शांति नहीं रहती । उन्होंने कहा कि जो पाप दुराग्रह के साथ हो, वह महापाप है। ब्राह्मण, गाय, परिजन और महापुरुषों की हत्या और विश्वासी के साथ विश्वासघात करना महापाप की श्रेणी में आता है। शराब पीने, जुआ खेलने, हत्या करने और न्यायालय में मुकदमा करने वाले की सम्पति प्रायः नष्ट हो जाती है। इन कारणों से प्राप्त गरीबी का समाज उपहास करती है, क्योंकि अपनी गरीबी और बेबसी का कारण भी ये स्वयं होते हैं। ऐसे लोगों के प्रति किसी का दयाभाव नहीं होता। ये साधन का दुरुपयोग और दुराग्रह युक्त पाप के भागी होते है। उन्होंने कहा कि मांस, मनुष्य के लिए उचित नहीं। मांस खाने के लिये परपोषी जीवों का कुतर्क नहीं देना चाहिए। मुनष्य के शरीर की संरचना परपोषी जीवों से अलग है। अगर मुनष्य छः माह कच्चा माँस खा ले तो चर्म रोग के साथ ही उसका पाचन तंत्र बुरी तरह कुप्रभावित हो जाएगा। अपने स्वार्थ और गलत इच्छा की पूर्ति के लिए कुतर्क का सहारा नहीं लेनी चाहिए।