अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति। नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 10 अप्रैल 2023 : श्रीमद भागवत गीता के चौथे अध्याय में श्री कृष्ण ने कर्म प्रधानता पर बल दिया है और उसी को अनुकरण करते अपने गुरु के द्वारा लिया गया सत्संकल्प को पूर्ण करने के लिए जीयर स्वामी जी महाराज बिना किसी सन्देह के अपने कार्यो को नित्य नवीन क्रियान्वित करते जा रहे हैं | परम पूज्य श्री त्रिदंडी स्वामी जी अक्सर कहा करते थे की शिक्षा से बढ़कर संसार में कुछ नहीं, ज्ञान ही ऐसा धन है जिससे संसार में प्रकाश का पदार्पण होगा और इसलिए पचास के दशक से ही उन्होंने रामानुज सम्प्रदाय के उतर भारत में गुरुकुल की परम्परा को पुनर्जीवित किया और इसका उदाहरण चरित्र वन बक्सर और कौशलेश सदन अयोध्या है और हमेसा कहते “आचार्यो वेदों संपनाः” आचार्यों को वेद का ज्ञान होना ही चाहिए और वेद ही विज्ञान है तो आधुनिक काल में सरकार से मान्यता प्राप्त महाविद्यालय , विश्वविद्यालय के लिए जमीन जुटाना कागज बनवाना और गुरु के नाम पर आधुनिक गुरुकुल स्थापित करवा देना कोई चना चबेना नहीं है कोई बच्चों का खेल नहीं है दृढ संकल्प उच्चकोटी की सोच और सदैव लगनशील होने का प्रमाण है, कि एक दो दिन में पूज्य श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के नाम पर श्री त्रिदंडी देव डिग्री महाविद्यालय शाहपुर गौतम नगर भोजपुर बिहार का उद्घाटन हो जाएगा और यह संप्रदाय के लिए गौरव की बात होगी अब इसमें आधुनिक तकनीक से शिक्षा दिया जायेगा और परमपूज्य स्वामी जी महाराज वहां सूक्ष्म रुप में विद्यमान होंगे यह हमारी प्रतिष्ठा है |

श्री जीयर स्वामी जी महाराज जी अपने गुरु के नाम को विख्यात करने के लिए अपनी झोली खोले कमंडलु टाँगे चटर चटर के आवाज़ करते खड़ाऊं पहने संसार को नापने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं चार बाई चार के झोपड़ी में रहने वाले कंद मूल के आहार करने वाले महाराज जी बच्चों के उच्च शिक्षा के लिए जीजान लगाए हैं अथक प्रयास कर रहे हैं |भोजपुर जिला के जगदीशपुर अनुमंडल में शाहपुर ब्लॉक के  गौतम नगर का उद्घाटन एवम् श्री त्रिदण्डी स्वामी डिग्री महाविद्यालय , परमानपुर, पीरो,  भोजपुर का शिलान्यास, मान्यता प्राप्त (अंगीभूत इकाई)डिग्री कॉलेज अपने आप में अद्भुत होगा और इस पर सरकार की नजर होगी |

जो कृति स्थापित करता है उसका नाम होता ही है जो समाज के लिए अग्रणी होता है उसकी पदचाप बनती ही है और जो ध्वज उठा कर निर्विकार चलता है तो विजय होना सुनिश्चित होता ही है, धुन के पक्के श्री स्वामी जीयर जी महाराज त्रिदण्ड धारण किये विद्या का अलख जगाने का विगुल फुका तो ध्वनि से श्री त्रिदंडी देव प्रतिवादी भयंकराचार्य रामानुजाचार्य केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का अंकुरण प्रस्फुटित हुआ है जिसे जल वायु अग्नि से पालित पोषित कर वृक्ष का रुप देने का कार्य अपनी गति से चलना शुरु कर दिया है और उम्मीद  है बाबा विश्वामित्र के पावन धरती बक्सर बिहार भारत में स्थापित हो जायेगा  गुरु की कृपा से। |

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