आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 06 अप्रैल 2022 : दावत (रोहतास) : प्रखंड क्षेत्र के बभनौल ग्राम में सात दिवसीय शतचंडी यज्ञ के दौरान तीसरे दिन भारत के राष्ट्रीय संत जीयर स्वामी महाराज जी का आगमन हुआ। उन्होंने मां यक्षिणी भवानी और पवनसुत हनुमान की आरती के बाद उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भगवान के स्वरूप का वर्णन किया।उन्होंने कहा कि कलयुग में केवल मूर्ति के दर्शन और पूजन करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जो मूर्ति की पूजा नहीं करता हो। किसी न किसी रूप में वह मूर्ति की पूजा जरूर करता है। चाहे वह चंद्र को पूजता हो या, तारा को, रेड क्रॉस हो या कोई चबूतरा हो। 50 हजार करोड़ वर्ष से सनातन धर्म के लोग मूर्ति की पूजन अर्चन करते आ रहे हैं। मूर्ति पूजन पर उन्होंने बल देते हुए बताया कि प्राचीन काल से एकलव्य के द्वारा मूर्ति पूजा कर के विश्व का सबसे बड़ा धनुर्धारी बने, और ज्ञान प्राप्त किया गया वह प्रत्यक्ष रुप से कौरव और पांडव को भी प्राप्त नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि वेदों में भी मूर्ति पूजन 8 प्रकार की विधियां बताई गई है l आगे उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही महिला सशक्तिकरण है जब एक युद्ध में राजा दशरथ की पत्नी कैकई ने अपनी अंगुली को धुरी बनाकर अपने पति राजा दसरथ को विजयी बनाई। ऐसा उदाहरण महिला सरस्वती का सशक्तिकरण का एक प्राचीन उदाहरण है।आज हमारे देश की सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत हैं। प्राचीन काल महिलाएं पुरुषों के साथ युद्ध क्षेत्र में जाती थी। स्वच्छता में ईश्वर का वास होता है जो मनुष्य अपने आसपास साफ सुथरा करता है या अपने शरीर को भी साफ सुथरा रखता है उसमें भी ईश्वर का वास होता है। कलियुग में केवल भगवान का नाम लेने और भगवान के मूर्ति के दर्शन करने से सारे पाप दूर हो जाते है।इस मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष गुप्तेश्वर चौधरी, आचार्य ब्रिज किशोर पाण्डेय,रामजी तिवारी,जगदीश नारायण दूबे, डॉ प्रकाश चतुर्वेदी नरेन्द्र चौबे सहित हजारों लोग उपस्थित थे।

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