1982 में जब मैं आईएएस था तब वे सड़क पर थे पांच छह सांसदों से कैसे बनेंगे प्रधानमंत्री जदयू के कई नेता हैं संपर्क में

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 12 सितम्बर 2022 : पटना । जदयू से इस्तीफा देने के बाद लगातार मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि वह मेरी औकात की बात करते हैं, लेकिन यह बात वह भी जानते हैं कि मेरी औकात उनसे ज्यादा है। 

बिहार में जनसंपर्क यात्रा के दूसरे दिन आरा में श्री सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार मेरी हैसियत की बात करते हैं कि तो मैं बता दूं कि 1982 में जिस वक्त वह सड़क की खाक छान रहा थे। उस समय मैं गांव में बैठकर यूपीएससी की परीक्षा पास कर चुका था। उन्होंने कभी ऐसी परीक्षा नहीं दी होगी। इंजीनियरिंग करने के बाद एक बार नेवी की परीक्षा दी थी,लेकिन उसमें भी वह फेल  हो गए थे। श्री सिंह सोमबार को धनपुरा, आरा बस स्टैंड, धोबी घाट, जीरो माइल, रामनरेश नगर,उदवंतनगर, गड्हनी, चारपोखरी,नागराव, पीरो, सहेजनी, हसन बाजार, विजन वर्ल्ड स्कूल विक्रमगंज पुहंचेंगे जहां उनका दिन के भोजन का कार्यक्रम हुआ। वहां से निकलकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सिंह विक्रमगंज थाना चौक, संझौली, नोखा, अगरेर, सासाराम, कझाव, रामपुर चौर, बड्डी, आलमपुर, पिठीआंव, विलासपुर, उर्दा,चेनारी, सवार, नरहट्टर, बेलाव, उदवार के रास्ते भभुआ पहंचे जहां उनका रात्रि विश्राम हुआ । इस दौरान श्री सिंह का आमलोगों के द्वारा जनता के द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान आरसीपी ने कहा कि वह कहते हैं कि उन्होंने मुझे नेता बनाया है, लेकिन वह पैदाइशी नेता नहीं बने थे। वह बताएं कि 1977 में उनकी क्या हैसियत थी, 1980 में चुनाव हार गए थे। वह कहते हैं कि वह जननेता हैं। लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया है।

आरसीपी ने इस दौरान नीतीश कुमार पर गद्दार होने का आरोप भी लगा दिया। आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने एक बार नहीं तीन बार बिहार की जनता के साथ गद्दारी की है, उन्हें धोखा दिया है, वह बात करते हैं मैंने उनके और जदयू के साथ गद्दारी की है। असली गद्दार कौन है, यह प्रदेश की जनता अच्छे से जानती है।

आरसीपी सिंह ने कहा कि आज वे भले ही जदयू में नहीं हूं। लेकिन प्रखंड स्तर पर अब भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मेरे साथ खड़े हैं, उन्हें पता है कि उनके साथ कौन खड़ा है। उन सभी से संपर्क करने की कोशिश में लगा हूं। आरसीपी सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के लिए सबसे जरुरी है संख्या बल, आपके पास सांसद कितने हैं, यह भी निर्भर करता है। अभी वह जिस पार्टी के साथ हैं, अगर उनके साथ चुनाव लड़ने जाते हैं, तो बिहार की 40 सीटों में से उनके हिस्से में कितनी सीटें आएंगी। 10-11 सीटें मिलेंगी, उनमें कितनी सीटें आएंगी, यह वक्त बताएगा। लेकिन कुछ सांसदों वाली पार्टी के नेता को कोई कैसे अपना प्रधानमंत्री चुन सकता है। जबकि दूसरे राज्यों में कई प्रादेशिक पार्टियां है, जिनका उन राज्यों में अपना जनाधार है, वह किसी दूसरी पार्टी के साथ अपना जनाधार क्यों बांटेंगी, यह समझा आसान है। इस दौरान उनके साथ शिक्षाविद डॉ कन्हैया सिंह, डॉ विपिन यादव, शशि भूषण प्रजापति, कमलेश सिंह, जीतेंद्र नीरज, अमर सिन्हा, डॉ ललिता, शंकर पटेल, रोहन प्रजापति, विशन कुमार बिट्टू, अमित कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता शामिल थे।

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