राज्यपाल ने हिन्दी सेवी विदुषियों और विद्वानों का किया सम्मान, हुई राष्ट्रभाषा संगोष्ठी,

पं सुरेश नीरव की अध्यक्षता में आयोजित हुआ विराट कवि सम्मेलन ।

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 03 अप्रैल 2022 : पटना। अब और कोई देर किए विना भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी घोषित हो। इस संकल्प के साथ बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय ४१वाँ महाधिवेशन रविवार को संपन्न हो गया। समारोह के मुख्य अतिथि और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ व वरिष्ठ चिंतक वेद प्रताप वैदिक ने इस अवसर पर हिन्दी सेवी विदुषियों और विद्वानों को विविध नामित उपाधियों से अलंकृत किया। खचाखच भरे सम्मेलन सभागार को संबोधित करते हुए, डा वैदिक ने कहा कि हिन्दी के बल पर ही भारत विश्व शक्ति तथा विश्व-गुरु बन सकता है। यह अंग्रेज़ी के बल पर संभव नही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को हिन्दी के विकास, प्रचार-प्रसार और विस्तार के लिए बड़े फ़ैसले लेने होंग़े। सभी भारतीयों को भी अपनी ओर से चेष्टा करनी चाहिए। अपने हस्ताक्षर हिन्दी में करने चाहिए। बैंकों में हस्ताक्षर हिन्दी में करें।अपने अध्यक्षीय संबोधन में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता के ७५ वर्ष व्यतीत हो जाने के पश्चात भी देश की अपनी कोई भाषा भारत की सरकार के कामकाज की औपचारिक भाषा नहीं बन पायी है। आज भी केंद्रीय सरकार की कामकाज की औपचारिक भाषा अंग्रेज़ी है। यह समस्त भारतवासियों के लिए वैश्विक लज्जा का विषय है। यह अधिवेशन प्रस्ताव पारित कर भारत की सरकार से, देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी घोषित करने का विनम्र आग्रह करता है।केंद्रीय हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने कहा कि हिन्दी को विज्ञान और तकनीक की भाषा बनाई जानी चाहिए। जब तक ज्ञान-विज्ञान की भाषा के रूप में इसे प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी, हिन्दी का विकास अधूरा है। देश के सिर्फ़ सात प्रतिशत अंग्रेज़ी जानने वाले लोग देश के सभी शीर्ष पदों पर अधिकार जमाए बैठे हैं। आज के प्रथम वैचारिक सत्र में हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के अध्यक्ष और देश के विख्यात विद्वान प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि देश में हुए नवीन सर्वेक्षण से विदित होता है कि भारत में ३६ सौ से अधिक भाषाएँ और बोलियाँ प्रचलन में हैं। दक्षिण भारतीय हिन्दी प्रचार समिति की पूर्व कुलपति प्रो राम मोहन पाठक ने कहा कि भाषा भाव और भावनाओं का विषय है। हिन्दी तमाम विरोध के बाद भी लगातार बढ़ रही है। अटल बिहारी वाजपेयी विश्व विद्यालय के संकायाध्यक्ष डा आर बालशंकर ने कहा कि, दक्षिण और उत्तर का सदियों से प्राचीन और गहरा संबंध रहा है। केरल में हिन्दी की प्रगति बहुत तेज है। आने वाले दो दशकों में यह दक्षिण भारत में सबसे अधिक हिन्दी बोलने वाला राज्य हो जाएगा। केरल के चार करोड़ की आबादी में ४० लाख लोग हिन्दी बोलते हैं। यह भ्रामक प्रचार है कि दक्षिण में हिन्दी का विरोध है। इस सत्र में डा मेहता नगेंद्र द्वारा संपादित पत्रिका हरित वसुंधरा का लोकार्पण भी किया गया।प्रथमसत्र के पश्चात देश के शीर्षस्थ कवि पं सुरेश नीरव की अध्यक्षता में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें देश भर से आए ५० से अधिक कवियों ने अपनी कविताओं से इस महाधिवेशन को गरिमा प्रदान की। पं नीरव ने अपनी इन बहुचर्चित पंक्तियों से बिहार की दिव्य संस्कृति और शक्ती का आह्वान किया कि “ये बिहार तो भारत के सम्मान का गायक है/ संस्कृति की धरोहर का अनुपम गायक है।” देश के शीर्षस्थ कवियों में से एक पं बुद्धिनाथ मिश्र ने हिन्दी की जयकार इन पंक्तियों से की कि “जय होगी/ निश्चय जय होगी/ भारत की धरती पर इसकी जनभाषा की ही जय होगी।”समापन समारोह को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार तथा चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र ने भी अपने मूल्यवान विचार व्यक्त किए ।कवि सम्मेलन का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा समापन समारोह का संचालन डा शंकर प्रसाद ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने किया। विभिन्न सत्रों में वरिष्ठ कथाकार और सम्मेलन के उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, नृपेंद्रनाथ गुप्त, बीरेन्द्र कुमार यादव, डा सीमा रानी, प्रो सुशील कुमार झा, डा ध्रुब कुमार,तथा डा कल्याणी कुसुम सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।महाधिवेशन के दोनों दिनों के विभिन्न सत्रों में निम्नलिखित विदुषियों और विद्वानों को सम्मानित किया गया;-

क्रम संख्या एवं अलंकरण का नाम :  चयनित विदुषी/विद्वान

आचार्य शिव पूजन सहाय सम्मान : प्रो.राम मोहन पाठकराष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सम्मान : पं सुरेश नीरव महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान : डा राघवन बालशंकरगोपाल सिंह नेपाली सम्मान : डा कुमार अरुणोदय फणिश्वर नाथ रेणु स्मृति सम्मान : पद्मश्री डा जगदीश प्रसाद सिंह रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान : के एस भारद्वाज पं राम दयाल पांडेय स्मृति सम्मान :  डा राज नारायण शुक्ल,केदार नाथ मिश्र प्रभात सम्मान : डा नरेश कुमार विकलडा मृदुला सिन्हा स्मृति सम्मान : डा कल्याणी कबीरमहाकवि आरसी प्रसाद सिंह सम्मान : डा देवेंद्र तोमर पं छविनाथ पांडेय स्मृति सम्मान : श्री राम बालक सिंह आचार्य नलिन विलोचन शर्मा सम्मान : डा तपेश्वर नाथ प्रसाद पं मोहन लाल महतो वियोगी सम्मान :  डा राम प्रवेश सिंहराजा राधिका रमण प्रसाद सिंह सम्मान :  श्री प्रभंजन भारद्वाज आचार्य कलक्टर सिंह केशरी स्मृति सम्मान : श्री राजेंद्र राजपं जनार्दन प्रसाद झा द्विज सम्मान : श्री शंकर कैमुरी लक्ष्मी नारायण सिंह सुधांशु स्मृति सम्मान : डा कृष्ण कुमार नाज़राम गोपाल शर्मा रूद्र सम्मान : श्री जगत प्रकाश शर्माआचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री स्मृति सम्मान : श्री मधुरेश नारायणबाबा नागार्जुन सम्मान : श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी मेजर बलबीर सिंह भसीन स्मृति सम्मान : सरदार महेन्दर पाल सिंह ढिल्लनकविवर पोद्दार रामावतार अरुण सम्मान : श्री अशोक श्रीवास्तव कुमुदउर्मिला क़ौल साहित्य साधना सम्मान : डा राखी उपाध्यायबच्चन देवी हिंदी सेवी सम्मान : प्रो माला मिश्र आचार्य देवेंद्र नाथ शर्मा स्मृति सम्मान : डा प्रणव शास्त्री, पीलीभीतअंबालिका देवी सारस्वत-साधना सम्मान : डा अलका आनंद आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव स्मृति सम्मान : डा सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह प्रकाशवती नारायण सम्मान : डा कल्याणी सिंह रामधारी प्रसाद विशारद सम्मान : प्रो ओम् प्रकाश मण्डल कामता प्रसाद सिंह काम सम्मान : श्री उमेश कुमार पाठक रविकुमारी राधा स्मृति सम्मान : डा माला प्रसाद डा कुमार विमल सम्मान : श्री चंद्रभानु आर्य अनूप लाल मंडल स्मृति सम्मान : डा नलिनी रंजन ब्रजनन्दन सहाय मोहन प्रेमयोगी स्मृति सम्मान : श्री प्रेमेंद्र कुमार मिश्रहास्य रसावतार पं जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी सम्मान : श्री ओम् प्रकाश पाण्डेय प्रकाशडा राम प्रसाद सिंह लोक-साहित्य-साधना सम्मान : डा अमल सिंह भिक्षुकपं प्रफुल्ल चंद्र ओझा मुक्त सम्मान : श्री सुनील कुमार डा मिथिलेश कुमारी मिश्र साहित्य साधना सम्मान  : नीतू सुदीप्ति नित्या डा सुभद्रा वीरेंद्र स्मृति सम्मान : सुश्री सोनी सुगंधा विदुषी किशोरी देवी स्मृति सम्मान : डा लक्ष्मी सिंहरघुवीर नारायण स्मृति सम्मान : बाल कृष्ण उपाध्यायडा सीताराम दीन स्मृति सम्मान : श्री अरुण कुमार श्रीवास्तव पीर मुहम्मद मूनिस सम्मान : मो नसीम अख़्तर चतुर्वेदी प्रतिभा मिश्र साहित्य साधना सम्मान : डा अलका वर्मा पं हंस कुमार तिवारी सम्मान : श्री सुशील ठाकुर डा भगवती शरण मिश्र स्मृति सम्मान : श्री कनक किशोर , राँचीश्री उपेन्द्र महारथी कला-साधना सम्मान : डा दिनेश दिवाकर डा मुरलीधर श्रीवास्तव शेखर स्मृति सम्मान : श्री देवेंद्र सिंह आज़ाद पं रामचंद्र भारद्वाज स्मृति सम्मान : ई गणेश जी बाग़ी डा एस एन पी सिन्हा स्मृति सम्मान : श्री प्रशांत करण रामेश्वर सिंह कश्यप सम्मान : श्री अनिमेष कुमार सिंह डा शांति जैन स्मृति सम्मान : डा अनिता शर्मामहँथ धनराजपुरी सम्मान : श्री धनंजय जयपुरी श्री विजय अमरेश स्मृति सम्मान : डा अकेला भाई डा काशी प्रसाद जायसवाल सम्मान : श्री निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव डा दीनानाथ शरण स्मृति सम्मान : डा वीरेंद्र कुमार दत्ता डा वीणा श्रीवास्तव स्मृति सम्मान : कुमारी राधा शैलेंद्र डा वीणा कर्ण स्मृति सम्मान : श्रीमती कात्यायिनी सिंह पं रामनारायण शास्त्री स्मृति सम्मान : श्री अभिलाष दत्ता श्रीमती गिरिजा वर्णवाल स्मृति सम्मान : श्रीमती संगीता सागर श्री बलभद्र कल्याण स्मृति सम्मान : श्री हरिनन्दन साह डा उषा रानी सिंह स्मृति सम्मान : श्रीमती अनीता मिश्र सिद्धिराज कुमार प्रेमी स्मृति सम्मान :  श्री मुशर्रफ़ परवेज नृत्यर्षि डा नगेंद्र प्रसाद मोहिनी स्मृति सम्मान : नृत्यांगना अनु सिन्हा श्रीमती शैलजा बाला स्मृति सम्मान : डा मीना कुमारी परिहार मान्याडा बबिता कुमारी : साहित्य सम्मेलन कौस्तुभ मणि सम्मानडा अमर पंकज : साहित्य शार्दूल सम्मान

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