तेलंगाना ने 2014 और कर्नाटक ने 2015 में जातीय जनगणना कराई थी

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 01 जून 2022 : पटना । बिहार में जातीय जनगणना होगी।आज यहां हुई  सर्वदलीय बैठक  के बाद सीएम नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि  इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है।सर्वदलीय बैठक के पश्चात् सभी दलों के नेताओं की उपस्थिति में मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी जाति आधारित गणना पर विचार-विमर्श करने के लिएसर्वदलीय बैठक हुई है। आज सर्वसम्मति से यह निर्णय हुआ है कि बिहार में जाति आधारितगणना की जाएगी। हर लोगों के बारे में पूरी जानकारी ली जाएगी और इसके लिए बड़े पैमानेपर और तेजी से काम किया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से इसमें मदद दी जाएगी।गणना कार्य में लगाए जानेवाले लोगों की ट्रेनिंग करा दी जाएगी। आज जो बातचीत हुई हैइसी के आधार पर बहुत जल्दी कैबिनेट का निर्णय होगा। इसके लिए राशि का प्रबंध कियाजायेगा। कैबिनेट के जरिए ये सब काम बहुत जल्दी कर दिया जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना की जाएगी उसके बारे में विज्ञापन भीप्रकाशित किया जाएगा ताकि एक – एक चीज को लोग जान सकें। विधानसभा के सभी दलोंकी उपस्थिति में सर्वसम्मति से इस पर आज निर्णय हुआ है। काम शुरू होगा तो लोगों कोइसकी जानकारी दी जाएगी ताकि सब लोगों को ये मालूम रहे कि एक – एक काम किया जारहा है। समाचार पत्रों एवं मीडिया में भी इस बात को प्रचारित किया जाएगा ताकि सभी लोगइसके बारे में जान सकें। कैबिनेट के माध्यम से यह भी हमलोग तय कर देंगे कि यहपूरा का पूरा काम एक तय समय सीमा के अंदर हो। उन्होंने कहा कि जब यह कहा गयाकि जाति आधारित गणना राष्ट्रीय स्तर पर नहीं होगी, इसे राज्य स्तर पर ही करना होगा तोहमलोगों ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस पर विचार करने का निर्णय लिया । उपचुनाव,स्थानीय निकाय का चुनाव वगैरह आ जाने से सर्वदलीय बैठक करने में थोड़ा वक्त लग गया।मुख्यमंत्री ने कहा कि सब दलों की सहमति थी कि आज एक जून को बैठक बुलाईजाए तो आज बुलाई गई। आपस में बातचीत हो गई है लेकिन जल्द ही इसे कैबिनेट सेपारित कर सब कुछ प्रकाशित कर दिया जाएगा। इसमें समय सीमा का भी पता चल जाएगा।सबलोगों का, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों, पूरा का पूरा इसका आंकलन कियाजाएगा। हमलोगों का मकसद है लोगों को आगे बढ़ाने का, जो पीछे है, उपेक्षित है, उसकीउपेक्षा न हो। सब आगे बढ़ें। इन सब चीजों को ही ध्यान में रखकर हमलोगों ने तय कियाऔर इसका नामकरण जाति आधारित गणना किया गया है। सारे दलों को भी एक – एक कामकी जानकारी दी जाएगी। आप तो जानते हैं कि अलग-अलग जाति में अनेक उपजातियां हैं।जाति और उपजाति सभी की गणना की जाएगी। हमलोगों का मकसद है सभी का विकासकरना, उन्हें आगे बढ़ाना । कोई पीछे न रहे इसलिये इसे ठीक ढंग से कराया जायेगा। एकबात जान लीजिए, सबलोगों की गिनती हो जाएगी। जो कुछ भी किया जाएगा उसके बारे मेंविज्ञापन भी दिया जाएगा। सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रचारित किया जाएगा। एक–एकचीज लोगों की जानकारी में रहेगी। ये कहा गया कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना नहींहोगी लेकिन राज्य सरकार कर सकती है। आज सभी राज्य इस पर विचार कर रहे हैं। अगरसभी राज्यों में यह हो जाएगा तो राष्ट्रीय स्तर पर ऑटोमेटिक हो जाएगा। हमलोग जातीयगणना को बिहार में बहुत अच्छे ढंग से करना चाहते हैं।सीएम नीतीश ने कहा कि जातीय जनगणना कराने वाले लोगों को पहले ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रस्ताव कैबिनेट से पास होने के बाद तय समय पर जातीय जनगणना करायी जाएगी। सभी दलों की सहमति से यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि  समय सीमा के अंदर जातीय जनगणना करवायी जाएगी। जातियों के उपजातियों की भी जनगणना होगी। कैबिनेट में इसके लिए प्रस्ताव लाया जाएगा। सभी धर्मों की जातियों की जनगणना होगी।


संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा-  जिन दलों के विधायक विधानसभा में नहीं है उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है।  जातीय जनगणना के माध्यम से योजना बनाने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है। वहीं राज्यों को ये छूट मिली है कि अगर वो चाहें तो अपने खर्चे पर सूबे में जातीय जनगणना करा सकते हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में पीएम से मिला था शिष्टमंडल : जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव की पहल पर ही पिछले साल 23 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से शिष्टमंडल मिला था लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा के जरिए  जातिगत जनगणना कराने से साफ मना कर दिया । 


जातीय जनगणना को लेकर सरगर्मी तेज: तेलंगाना ने 2014 और कर्नाटक ने 2015 में जातीय जनगणना कराई थी।बिहार में वोट के लिहाज से ओबीसी और ईबीसी बड़ा वोट बैंक है। दोनों की कुल आबादी 52 फीसदी के आसपास माना जाता है। इसमें सबसे अधिक यादव जाति का वोट है जो 13 से 14% के आसपास अभी मान जा रहा है। जहां तक जातियों की बात करें तो 33 से 34 जातियां अति पिछड़ा वर्ग में आती है। ऐसे तो जातीय जनगणना सभी जातियों की होगी लेकिन जेडीयू और आरजेडी की नजर ओबीसी और ईबीसी जाति पर ही है। दोनों अपना वोट बैंक इसे मानती रही है1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुई: 1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुई है। इसलिए अनुमान पर ही बिहार में जातियों की आबादी का प्रतिशत लगाया जाता रहा है। बिहार में ओबीसी में 33 जातियां शामिल है तो वही ईबीसी में सवा सौ से अधिक जातियां हैं। ओबीसी और ईबीसी की आबादी में यादव 14 फीसदी, कुर्मी तीन से चार फीसदी, कुशवाहा 6 से 7 फीसदी, बनिया 7 से 8 फीसदी ओबीसी का दबदबा है। इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग में कानू, गंगोता, धानुक, नोनिया, नाई, बिंद बेलदार, चौरसिया, लोहार, बढ़ई, धोबी, मल्लाह सहित कई जातियां चुनाव के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं।

https://youtu.be/dtGfLMsY2Ww

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