दारु पीने के पक्षधर कुछ लोग मेरे खिलाफ बोलते रहते हैं। जो खुद को ज्यादा काबिल, पढ़ा लिखा और विद्वान समझते हैं लेकिन ऐसे लोग काबिल नहीं हो सकते हैं। बिहार के विकास के लिए काफी काम किया गया है लेकिन फिर भी कुछ लोग इसकी चर्चा नहीं कर फिजूल की बातें करते रहते हैं।

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 22 फरवरी 2022 : भागलपुर। समाज सुधार यात्रा पर यहां कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम आने के लिए आप सबको धन्यवाद देता हूं और अभिनंदन करता हूं। आज 5 जीविका दीदियों ने अपनी बातों को उल्लेख किया है, यह सुनकर अच्छा लगा है। 9 जुलाई 2015 को पटना में जीविका के एक कार्यक्रम महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आवाज उठाना शुरु कर दिया था उसके बाद मैं वापस माइक पर आया और मैंने कहा कि अगर आपलोगों ने फिर से सेवा का • मौका दिया तो बिहार में शराबबंदी लागू करेंगे। उसके तीन माह बाद ही बिहार में विधानसभा का चुनाव था। बिहार की जनता ने पुनः हमलोगों को काम करने का मौका दिया और हमने 20 नवंबर को शपथ ली। शपथ लेने के बाद 26 नवंबर को ही मीटिंग बुलाकर शराबबंदी को लेकर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। पहले 1 अप्रैल 2016 को ग्रामीण इलाके में देशी और विदेशी शराब पर हमलोगों ने रोक लगायी, जबकि शहरी इलाकों नगर निगम और नगर परिषद में अभी विदेशी शराब बंद नहीं करने का निर्णय लिया गया था। हमने सोचा कि गांव में इतना अभियान चलाया गया है और शहर में नहीं चलाया गया है तो बाद में इसको हम देखेंगे लेकिन शहरों में महिलाएं, युवक-युवतियों, कई जगहों पर पुरुषों ने भी शराब की आवंटित नों खोले जाने पर कड़ा विरोध जताया। इसके बाद 4 अप्रैल को हमने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और 5 अप्रैल 2016 को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी। हमने सभी प्रमण्डलों में जाकर लोगों से बातचीत करने का निर्णय लिया। वर्ष 2016 में सबसे पहले हम यहीं आये थे। हम शराबबंदी को लेकर जगह-जगह जाकर महिलाओं का अनुभव जानते थे। उस समय हम 9 जगहों पर गये महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर काफी प्रसन्नता व्यक्त की थी। एक जगह पर एक महिला ने अपनी आप बीती सुनाई कि मेरे पति काम से लौटते थे दारू पीकर आते थे, मारपीट करते थे, हंगामा करते थे। परिवार में सभी को बुरा लगता था, देखने में खराब लगते थे। अब जब शराबबंदी हो गई तो बाजार से सब्जी लेकर आते हैं और घर में आते हैं तो मुस्कुराते हैं और घर के काम में भी सहयोग करते हैं। वे अब देखने में अच्छे लगते हैं। दारु पीने के पक्षधर कुछ लोग मेरे खिलाफ बोलते रहते हैं। जो खुद को ज्यादा काबिल, पढ़ा लिखा और विद्वान समझते हैं लेकिन ऐसे लोग काबिल नहीं हो सकते हैं। बिहार के विकास के लिए काफी काम किया गया है लेकिन फिर भी कुछ लोग इसकी चर्चा नहीं कर फिजूल की बातें करते रहते हैं। केरल राज्य में एक समुदाय शराबबंदी के पक्ष में था, जिन्होंने हमें वहां बुलाया था। शराबबंदी के बाद तरह-तरह के सवाल उठने लगे। कुछ लोग तरह-तरह के सवाल खड़े करने लगे कि शराबबंदी के बाद पर्यटक अब बिहार नहीं आयेंगे। हमने कहा कि पर्यटक यहां दारु पीने नहीं बल्कि बिहार की ऐतिहासिक धरोहरों को देखने और समझने आते हैं। शराबबंदी के बाद 1 करोड़ 60 लाख से ज्यादा लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया। वर्ष 2018 के बाद अभी हाल ही में इसका अध्ययन कराया गया तो यह आंकड़ा सामने आया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के बाद बिहार की स्थिति में काफी सुधार आया है। बिहार की पहले क्या हालत थी। शाम के बाद घर से निकलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। सड़कें काफी जर्जर थीं। चाहकर भी कोई कहीं जा नहीं पाता था। हमें याद है कि बाद लोकसभा क्षेत्र से हम सांसद थे और केंद्र सरकार में मंत्री थे। बाद लोकसभा क्षेत्र में टाल का इलाका है। जहां एक दिन में 12 किलोमीटर तक हम पैदल चला करते थे। हमलोगों ने गांव-गांव को पक्की सड़कों से जोड़ने का निर्णय लिया। महीने के तीन सोमवार को हम जनता की शिकायत सुनते हैं। केंद्र में श्रद्धेय अटल जी की सरकार ने सभी गांवों एवं शहरों में काफी सड़कें बनाई। कई बड़ी-बड़ी सड़क परियोजनाओं शुरु करने का निर्णय लिया गया। इनमें से कई सड़क परियोजनाएं अब पूरी हो चुकी हैं और बाकी बची परियोजनाओं पर काम तेजी से चल रहा है। सभी क्षेत्रों में विकास का काम तेजी से किया जा रहा है। आप सब चिंता नहीं कीजिए, एक-एक चीज का हम ध्यान रखते हैं। बिहार के राजधानी पटना पहुंचने के लिए पहले हमलोगों ने 6 घंटे का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे अब हासिल करने के बाद अब 5 घंटे में राजधानी पटना पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया सुदूर इलाकों से है। इसके लिए बड़ी संख्या में सड़कें एवं पुल-पुलियों का निर्माण कराया जा रहा है। हमलोगों ने यह भी तय कर दिया है कि अब सिर्फ सड़कें, पुल-पुलियों या भवनों का निर्माण करना ही नहीं है बल्कि उनके मेटेनेंस का काम भी संबद्ध विभाग करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में शिक्षा की काफी बुरी स्थिति थी। पांचवी क्लास से आगे लड़कियां आगे नहीं पढ़ पाती थीं। अपनी बेटियों को लोग आगे पढ़ा नहीं पाते थे। 5वीं कक्षा के बाद उनको जो कपड़े चाहिए थे, वो देने की स्थिति नहीं थे, जिसकी वजह से बहुत कम लड़के लड़की ही आगे पढ़ पाते थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से हमलोगों ने पोशाक योजना की शुरुआत की। इसके बाद हमलोगों ने 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की भी शुरुआत की। उस समय इस तरह की योजना पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी कहीं नहीं थी। घर के काम से अब साइकिल लेकर लड़कियां अपने माता पिता को लेकर बाजार जाने लगीं। जीविका दीदियों को कहेंगे कि इसे भूलियेगा मत। पहले पुरानी बातों की चर्चा होती थी लेकिन जब से सोशल मीडिया आया है, नई-नई बातें प्रचारित होने लगी हैं। लोग पुरानी चीजों को भूल जाते हैं। लड़कों की मांग पर उनके लिए भी साइकिल योजना शुरु कर दी गई। अब सभी स्कूली बच्चे चाहे वे लड़के हों या लड़की, साइकिल एवं पोशाक योजना का लाभ मिल रहा है। पिछले साल की मैट्रिक की परीक्षा में लड़कियों की संख्या लड़कों से 300 अधिक थी। पूरी दुनिया में आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। बिहार में प्रजनन दर को घटाने की दिशा में भी काम किया गया है। देश भर में यह देखा गया है कि पति-पत्नी में अगर पत्नी मैट्रिक पास है तो देश का औसत प्रजनन दर 2 है और बिहार का भी 2 के करीब था। यदि पत्नी इंटर पास है तो देश का औसत प्रजनन दर 1.7 है, जबकि बिहार का 1.6 है। इसको ध्यान में रखते हुए हमलोगों ने सभी लड़कियों को इंटर तक पढ़ाने का निश्चय किया। इसको लेकर हर पंचायत में प्लस तक की पढ़ाई की व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया। इसको लेकर काफी संख्या में नये स्कूलों का निर्माण कराया गया। कल ही कैबिनेट से 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मंजूरी दी गयी है ताकि हर कोई पढ़े और आगे बढ़े।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार के अस्पतालों की स्थिति भी काफी दयनीय थी। वर्ष 2006 में सर्वेक्षण कराया गया तो पता चला था कि प्रखंड स्तर के अस्पतालों में प्रतिमाह मात्र 39 लोग ही इलाज कराने पहुंचते हैं। हमलोगों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी काम किया है। आज स्थिति यह है कि अब प्रखंड स्तर के अस्पतालों में प्रतिमाह 10 हजार से ज्यादा लोग अपना इलाज कराने पहुंचते हैं। नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना करायी गई। नये संस्थानों का निर्माण कराया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने सभी क्षेत्रों के विकास एवं सभी समुदायों के उत्थान के लिए प्रारंभ से ही काम किया है। शिक्षा सड़क, स्वास्थ्य, पुल-पुलिया, महिलाओं के उत्थान, अनुसूचित जाति-जनजाति, अति पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के साथ-साथ हाशिए पर खड़े लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है। लोगों की आमदनी बढ़ाने के लिए एक-एक काम किया गया लेकिन शराब में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा लोग खर्च कर देते थे, उस पर रोक लगाने के लिए शराबबंदी लागू की गई।

” मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में बेहतर ढंग से स्वयं सहायता समूह गठित नहीं था। हमलोगों ने 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। अब तो 10 लाख के लक्ष्य को भी पूरा कर लिया गया है। अब 1 करोड़ 28 लाख से अधिक महिलाएं इससे जुड़ गई हैं। महिलाओं में इससे कितनी जागृति आयी है। 2006 में होने वाले पंचायत चुनाव में महिलाओं के हमने एक कानून बनाया, जिसमें तय किया कि 50 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं को दिया जाएगा और हमलोगों ने आरक्षण भी दिया। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। अगले साल नगर निकाय चुनाव होने वाला था तो उसके लिए भी हमलोगों ने महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया। अभी हाल ही में ग्राम पंचायत के चुनाव में काफी तादाद में महिलाएं जीत कर आयी हैं। हमने पुलिस एवं सभी सरकारी सेवाओं में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया। इसका नतीजा है कि आज इस देश के बड़े बड़े एवं अमीर से अमीर राज्य में भी इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं पुलिस में नहीं हैं, जितनी बिहार की पुलिस बल में हैं। हम तो गरीब राज्य हैं। हमलोगों ने अनुसूचित जाति-जनजाति और अतिपिछड़े वर्ग के लोगों को व्यापार के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए 5 लाख रूपये तक के अधिकतम अनुदान और 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण तय कर दिया था। उसे अब सभी वर्गों की महिलाओं के लिए भी लागू कर दिया गया है। व्यापार में रुचि रखने वाले सामान्य वर्ग • पुरुषों को 5 लाख रूपये तक का अधिकतम अनुदान और 1 प्रतिशत की ब्याज पर 5 लाख रुपये तक का ऋण मुहैया कराया जा रहा है। सभी समुदाय के उत्थान के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन के खिलाफ लोगों में काफी जागृति आ रही है। अभी कुछ समय पहले ही जहरीली शराब की घटना हुई थी जिसके बाद कुछ लोग कहने लगे कि शराबबंदी का कोई मतलब नहीं है। हमने कहा कि दारु बुरी चीज है, पीओगे तो मरोगे। 16 नवंबर 2021 को राज्य के सभी अधिकारियों के साथ-साथ हमने 7 घंटे तक समीक्षा बैठक कर समाज सुधार अभियान चलाने का निर्णय लिया। 26 नवंबर से इसकी शुरुआत की गई। इस बार कम से कम 12 जगहों पर जाना निश्चित हुआ है। इस बार अभी तक हम 6 जगहों पर जा चुके थे तभी कोरोना की तीसरी लहर आ गयी। बाकी जगहों पर भी जाकर समाज सुधार अभियान को पूरा करेंगे। लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज सुधार अभियान आप निरंतर चलाते रहें। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया का वर्ष 2016 में सर्वेक्षण कराया और 2018 में रिपोर्ट प्रकाशित की। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब पीने से दुनिया एक साल में 30 लाख लोगों की मृत्यु होती है यानि दुनिया में जितनी मृत्यु हुई है उसका 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से हुयी है। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। शराब के सेवन से 200 प्रकार की बीमारियां होती हैं, जबकि 18 प्रतिशत लोग शराब पीने से आत्महत्या कर लेते हैं। डायबिटीज, लिवर सिरोसिस जैसी अनेक बीमारी शराब पीने से होती हैं। शराब पीने के कारण 18 प्रतिशत आपसी झगड़े होते हैं। शराब पीने के कारण दुनिया भर में 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के बाद भी कुछ लोग शराबबंदी को लेकर अनाप शनाप बोलते रहते हैं। शराब मनुष्य में हिंसक प्रवृति को भी बढ़ावा देता है। इससे संबंधित बुकलेट अपने घरों में रखिए और इसके बारें में लोगों को भी बताइये। इसके बाद भी कुछ लोग कहते हैं कि स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए शराब पीने की इजाजत दी जानी चाहिए। शराब की वकालत करने वाले लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बातों को भी भूल जाते हैं। बापू ने कहा था कि शराब, आदमी से न सिर्फ उसका पैसा छीन लेता है बल्कि उसकी बुद्धि भी हर लेता है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। देश में बाल विवाह और दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानून बना हुआ है। इसके बावजूद यह कुप्रथा आज भी देखने को मिल जाती है। पहले परिवार के लोग लड़के को ज्यादा और लड़कियों को कम पढ़ाते थे। हमने लड़कियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने को लेकर व्यवस्था सुनिश्चित की। समाज में अगर पति-पत्नी नहीं रहते तो हम सबका अस्तित्व नहीं रहता। लड़की नहीं होगी तो लड़के की शादी आप किससे करेंगे। दहेज मुक्त शादी समारोह में ही हमने जाने का निर्णय लिया है। शादी के कार्ड पर दहेज मुक्त शादी की बात लिखी जायेगी तो ही हम उस शादी समारोह में जायेंगे। सभी बहनों से हम आग्रह करते हैं कि दहेज प्रथा उन् तु अभियान निरंतर बाल विवाह उन्मूलन को लेकर भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव लाया है। कम उम्र में लड़कियों की शादी होने से वे कई प्रकार की शारीरिक बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। उनके बच्चों की लंबाई भी कम होती है। बच्चे शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी कमजोर होते हैं। उन्होंने कहा कि शराबबंदी, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन को लेकर निरंतर अभियान चलाते रहिए, इसे छोड़ना नहीं है। हमलोग समाज के कल्याण के लिए काम करते रहेंगे। आप लोगों की सेवा करना ही हमारा फर्ज है। आपने हमें मौका दिया है, राज्य को आगे बढ़ाने के लिए हम हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं ताकि देश के विकास में बिहार का महत्वपूर्ण योगदान हो। समाज सुधार अभियान को निरंतर चलाने के पक्ष में जनसभा में उपस्थित लोगों ने हाथ उठाकर संकल्प भी लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सबों ने संकल्प लिया है, लोगों को हमेशा जागरुक करते रहिए। विकास के साथ-साथ समाज सुधार भी जरुरी है। हमलोग आपको आश्वस्त करते हैं कि विकास का काम और तेजी से आगे बढायेंगे आप सभी आपस में प्रेम और भाईचारा का भाव रखें। मिलकर चलेंगे तो तेजी से तरक्की होगी। कार्यक्रम को राजस्व एवं भूमि सुधार सह भागलपुर जिले के प्रभारी मंत्री श्री रामसूरत कुमार, उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन, मंत्री मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन श्री सुनील कुमार, मंत्री ग्रामीण कार्य श्री जयंत राज, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री चैतन्य प्रसाद, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री के०के० पाठक ने भी संबोधित किया। 

इस अवसर पर सांसद श्री अजय कुमार मंडल, सांसद श्री गिरिधारी यादव, विधायक श्री गोपाल मंडल, विधायक श्री ललित नारायण मंडल, विधायक श्री ललन कुमार, विधान पार्षद श्री एन0के0 यादव, विधान पार्षद श्री संजीव सिंह, विधान पार्षद श्री संजय सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, आयुक्त, भागलपुर प्रमण्डल श्री प्रेम सिंह मीणा, जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री बाला मुरुगन डी०, पुलिस उप महानिरीक्षक, भागलपुर पूर्वी प्रक्षेत्र श्री सुजीत कुमार, जिलाधिकारी भागलपुर श्री सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी बांका श्री सुहर्ष भगत, वरीय पुलिस अधीक्षक भागलपुर श्री बाबूराम पुलिस अधीक्षक बांका श्री अरविंद कुमार गुप्ता, पुलिस अधीक्षक नवगछिया श्री सुशांत कुमार सरोज सहित अन्य वरीय पदाधिकारी, जीविका दीदियां एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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