आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 24 नवम्बर 2022 : पटना: तेजस्वी यादव और आदित्य ठाकरे की मुलाकात को आरजेडी समेत पूरा महागठबंधन विपक्षी एकता के लिए बड़ा कदम बता रहा है। लेकिन ऐसा थोड़े ही न होता है कि जो दिखता है वही सच में हो भी। खेल तो वोट बैंक का ही है। अब ऐसे समझिए कि बिहार में आकर कोई मराठी मानुष वोट करने से रहा। हां, ये तय है कि बिहार-यूपी के लोग महाराष्ट्र में वोटिंग जरूर करते हैं, क्योंकि यहीं के लोग तो मुंबई जैसे शहरों में रोजी-रोटी के लिए पलायन करते हैं। कोई मराठी बिहार पलायन तो करता नहीं। सवाल ये कि आदित्य ठाकरे बिहार क्यों आए? आखिर इसके पीछे उनका क्या प्लान है?

ये सब वोट बैंक का खेल है

जल्द ही बृहन्मुंबई कॉरपोरेशन चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले ही एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका दिया। अलग पार्टी तो बनाई ही, बीजेपी के साथ सरकार लाकर बाल ठाकरे के वारिस को सत्ता से बेदखल तक कर दिया। उद्धव ठाकरे के लिए ये एक बड़ा झटका था। अब यहां से समझिए कि उद्धव आगे की राजनीति कैसे करना चाहते हैं। उन्हें बखूबी पता है कि जिसने BMC पर कब्जा जमाया, सत्ता की तरफ एक कदम आगे बढ़ाया। हिंदुत्व के एजेंडे चल रही शिंदे-फड़नवीस सरकार को बीएमसी चुनाव में अगर कोई कड़ी टक्कर दे सकता है तो वो है उत्तर भारतीयों का वोट बैंक। यानि वो मजदूर या कामकाजी वर्ग जो बिहार-यूपी से काम की तलाश में मुंबई जा बसा है।

मुंबई में कितने बिहारी वोटर

हाल ही में एक बीजेपी नेता के दिए आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में कुल मतदाताओं में से लाखों वोटर यूपी और बिहार से आते हैं। इन आंकड़ों को थोड़ा और फिल्टर करें तो मुंबई में करीब 40 लाख उत्तर भारतीय वोटर हैं। यानि वो मतदाता जो यूपी या फिर बिहार के रहने वाले हैं। इतना ही नहीं, उत्तर भारतीय मतदाताओं की तादाद को देखें तो मुंबई में जितने वोटर हैं, उसके एक तिहाई से ये संख्या थोड़ी ही कम है। उन्हीं बीजेपी नेता के मुताबिक बीएमसी (BMC) में कुल 227 वार्ड हैं और इनमें से 40 पर तो उत्तर भारतीय मतदाताओं की ज्यादा पैठ है। इतना ही नहीं इन 227 में से 50 वार्डों पर तो यूपी-बिहार के वोटरों की निर्णायक भागीदारी है।

ये है आदित्य ठाकरे का प्लान

ठाकरे परिवार को ये अच्छी तरह से पता है कि नीतीश कुमार तेजस्वी यादव से हाथ मिला देश में मोदी विरोधी और विपक्षी एकता की मुहिम पर निकले हुए हैं। ऐसे में अगर उनकी तरफ हाथ बढ़ाया जाए तो बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय वोटरों को अपने पाले में किया जा सकता है। लेकिन यहां एक पेच भी है, मुंबई में बसे बिहारी वोटरों में भी अपने राज्य को लेकर सेंटीमेंट्स यानि भावनाएं उबाल मारती रहती हैं। ऐसे में वहां भी बिहार की राजनीति वोटरों को प्रभावित तो कर ही सकती है।

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