सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की गरीब सवर्णों को आरक्षण (EWS Quota) देने के लिए मुहर लग गई। अब दूसरे दिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा-ओबीसी और ईबीसी के को मिल रहा आरक्षण उनकी आबादी के मुताबिक नहीं है। इसलिए इसके दायरे को और बढ़ाना चाहिए।

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 08 नवम्बर 2022 : पटना. एक दिन पहले ही सोमवार को देश की सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला किया है। जिसके मुताबिक अब सामान्य वर्ग के लिए 10% EWS आरक्षण दिया जाएगा। इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले का समर्थन करते हुए ओबीसी और ईबीसी को 50 फीसदी वाले आरक्षण के दायरे को बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए यह बड़ा बयान दिया है।

50 फीसदी आरक्षण की लिमिट बढ़ाने की मांग

दरअसल, सीएम नीतीश कुमार आरक्षण मुद्दे पर मंगलवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि एससी-एसटी को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण मिल रहा है, लेकिन ओबीसी और ईबीसी के को मिल रहा आरक्षण उनकी आबादी के मुताबिक नहीं है। जो 50 फीसदी आरक्षण है, उसकी लिमिट को और बढ़ाया जाना चाहिए। बिहार सीएम ने कहा कि हम बिहार में जातिगत जनगणना कर रहे हैं। ऐसी हालत में जातीय जनगणना की विशेष जरूरत है। इसके जरिए हम लोगों की आर्थिक स्थिति का भी आंकलन कर सकेंगे।

सीएम के बयान के बाद बीजेपी ने सादा निशाना

वहीं नीतीश कुमार के इस बयान के बाद उनकी पूर्व सहयोगी पार्टी बीजपी ने उनपर जमकर निशाना साधा।  भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा, माननीय मुख्यमंत्री स्पष्ट रूप से गरीब सवर्णों को उनका हक मिलने से नाखुश हैं। वह अपने मौजूदा सहयोगी राजद की भाषा बोल रहे हैं।” उन्होंने कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि 50 फीसदी की सीमा बढ़ाई जाए, तो बिहार में संवैधानिक नियमों के मुताबिक जरूरी काम करें। हम इसका स्वागत करेंगे।’

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