- 25 जुलाई को मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल हो रहा पूरा
- विपक्षी दल बीजेपी की राह मुश्किल बनाने में जुटे, कौन आएगा साथ
- क्षेत्रीय दलों पर नजर कौन किसके साथ जाएगा, विपक्ष एकजुट नहीं
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 02 मई 2022 : नई दिल्ली: आगामी 25 जुलाई को मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इससे पहले नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से कोशिश तेज हो गई है। संख्याबल के आधार पर देखा जाए तो ऐसा लगता नहीं कि सत्तारूढ़ बीजेपी को इस चुनाव में कोई दिक्कत है। बावजूद इसके विपक्षी दल उसकी राह मुश्किल बनाने में जुटे हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है कि दो महत्वपूर्ण क्षेत्रीय दल उसके साथ आएं। जगनमोहन रेड्डी की YSR कांग्रेस और नवीन पटनायक की बीजू जनता दल। विपक्ष की ओर से चुनाव से पहले इन दो नेताओं से संपर्क साधने की कोशिश हुई लेकिन बात नहीं बनी। सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार यह दोनों दल बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की मुहिम में साथ आने को राजी नहीं है।
विपक्ष की मुहिम में साथ आने को राजी नहीं यह दल
सूत्रों ने दावा किया कि दोनों महत्वपूर्ण नेता जगनमोहन रेड्डी और नवीन पटनायक आगामी राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के किसी भी विपक्षी प्रयास का पक्ष लेने के लिए इच्छुक नहीं हैं। जैसे -जैसे देश के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव की तारीख करीब आ रही है सियासी गलियारों में हलचल भी तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक विपक्ष की ओर से जिन नेताओं ने उनसे बात की, उनको यह बताया गया कि वो बीजेपी से भिड़ने को तैयार नहीं हैं। वे सत्ताधारी दल के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं, न ही वे कोई राजनीतिक बयान देने में रुचि रखते हैं।
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने टीओआई को बताया कि दोनों ने कहा कि वे सरकार समर्थक या विरोधी के रूप में किसी भी प्रकार के टैग से दूर रहना चाहते हैं। इन दोनों नेताओं जो स्टैंड रहा है उससे देखकर कहा जा सकता है कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की किसी भी कोशिश में यह दल दूर ही रहेंगे। वहीं एक बात यह भी है कि उनका अंतिम फैसला उस उम्मीदवार से भी प्रभावित हो सकता है जिसका बीजेपी समर्थन करेगी। विपक्ष को भी पता है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी की राह मुश्किल नहीं कर सकती वहीं विपक्ष के भीतर भी आम राय नहीं है। विपक्ष के भीतर भी फूट साफ-साफ देखा जा सकता है।
कांग्रेस कमजोर, विपक्षी दल कैसे आएंगे साथ
कांग्रेस जो लगातार हाल के वर्षों में काफी कमजोर हुई है और वह राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के पूरे मुहिम की अगुवाई करने की कोशिश कर रही है। हालांकि यह बात कांग्रेस को भी पता है कि उसके साथ खड़े होने वाली कुछ ही पार्टियां हैं। इनमें कुछ वैसी राज्य सरकारें हैं जो कांग्रेस के समर्थन से चल रही है। कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस को निशाने पर लिए हैं। ऐसे राजनीतिक दलों के मूड को देखते हुए कहा जा सकता है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और इस चुनाव के लिए गठबंधन की राजनीति में कांग्रेस दूसरी भूमिका में नजर आ सकती है। हालांकि, सत्तारूढ़ उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए वाईएसआरसीपी और बीजद का कोई भी निर्णय आश्चर्यजनक नहीं होगा। 2014 के बाद बीजद, और 2019 के बाद रेड्डी ने अधिकत्तर मौकों पर सरकार का ही पक्ष लिया है। कांग्रेस को यह बात अच्छी तरह से पता है कि कौन से दल उसके साथ आ सकते हैं बावजूद इसके विपक्ष की मजबूती दिखाना भी कांग्रेस की मजबूरी है।