5 जुलाई 1997 को दिल्ली में बनाई पार्टी ,पहली बार दिल्ली में हुआ राष्ट्रीय महाधिवेशन

राजद के संस्थापक लालू प्रसाद 12वीं बार पार्टी के अध्यक्ष बने।5 जुलाई 1997 को दिल्ली में बनाई पार्टी ,पहली बार दिल्ली में हुआ राष्ट्रीय महाधिवेशन 

आज नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आहूत राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की

बैठक में सभी साथियों ने संगठित व अनुशासित होकर देश व संविधान विरोधी भाजपा को सत्ता से हटाकर देश बचाने का संकल्प लिया।

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 09 अक्टूबर 2022 : दिल्ली : देश के सभी प्रदेशों से आए पदाधिकारियों ने देश के वर्तमान सामाजिक, आर्थिक एवं सामयिक हालात पर विस्तृत रूप से पार्टी के रूख पर चर्चा की तथा सर्वसम्मति से विभिन्न प्रस्ताव पारित किए।

प्रस्ताव में कहा गया है :

राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद् की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब देश में अधिनायकवादी सत्ता स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों को अनदेखा करते हुए लोकतंात्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादाओं के उल्लंघन पर आमदा है। देश की गंगा-जमुनी संस्कृति और साझी विरा-विरासत को समाप्त करने के लिए समाज में घृणा और उन्माद का माहौल बनाया जा रहा हैं। सदियों की एकता और आपसदारी की बुनियाद पर हमले हो रहे हैं। यह सब कुछ दिल्ली की सत्ता पर काबिज लोगों की शह पर हो रहा है। देश के लिए यह आधुनिक इतिहास का सबसे खतरनाक दौर है। भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा खुलकर सामने आ रहा है। केन्द्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा अपना गुप्त एजेंडा लागू करने पर तुली है। इस परिदृश्य पर मौजूदा सरकार को देखें तो पाते हैं कि पढ़ाई, दवाई, कमाई, सिचाई, सुनवाई, और कारवाई के पैमाने पर समाज के कमजोर वर्ग हाशिये पर चले गए हैं। यह समझ लालू प्रसाद यादव जी को थी। इसी कारणवश उन्होनें 2014 में ही कह दिया था कि अगर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की जीत होती है, तो सवाल यह है कि देश टुटेगा या बचेगा। उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए, राजद सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के माध्यम से कमजोर वर्गों के शोषण और वंचितों के दमन को समाप्त करने के लिए एक आंदोलन के माध्यम से लोकोन्मुख और प्रगतिशील विचारधारा का प्रचार करेगी और वंचित समूह ,पिछड़ी जातियों, और गरीब वर्गों की राजनीतिक गतिविधि और शासन में भागीदारी के सवालों को लगातार जिंदा रखेगी.

1. हम यह मानते है कि जब तक आर्थिक रूप से वंचित जनता का राजनीतिक सशक्तीकरण जब तक नहीं होगा तब तक वे खुद को शोषण के चंगुल से मुक्त नहीं कर पाएंगे। दक्षिणपंथी राजनैतिक संगठन सशक्तिकरण की जगह ग़रीबों के बीच नफरत के बीज बो रहे हैं।

2. वंचितों और शोषितों के पिछड़ेपन को दूर करना, उनके उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ लड़ना, समाज और सार्वजनिक जीवन में उनकी स्थिति में सुधार लाना हमारा लक्ष्य है।

3. राजद संविधान के प्रावधानों को और प्रबल बनाने एवं समाज के कमजोर वर्गों के सामाजिक-आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए हर कोशिश करेगा। हम बिहार में जातिगत जनगणना आगामी दिनों में शुरू करने जा रहे हैं और साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे करवाने के लिए हम निरंतर संघर्षरत रहेंगे.

4. न्यायपालिका में आरक्षण सुनिश्चित करने के सन्दर्भ में राजद ने लगातार सदन और सड़क पर अपना पक्ष रखा है. आज़ादी के 75वें वर्ष में हम कॉलेजियम के बदले अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के माध्यम से संवैधानिक प्रावधानों को सुनिश्चित करने की लड़ाई लड़ते रहेंगे ताकि पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रतिनिधित्व फौरी तौर पर हासिल किया जा सके.

5. नोटबन्दी रू एनएसएसओ (नेशनल सैंपल सर्वे) और पीएलएफएस (पीरियाडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे) के डेटा को देखें तो पाते हैं कि भारत में बेरोजगारी दर पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा देखने को मिली है। 

6. रियल एस्टेट विनियमन विकास अधिनियम 2016 (त्म्त्।) इसके कारण अन्य सेक्टरों पर भी प्रभाव पड़ा है। इसके कारण सीमेंट, लोहा,स्टील,शीशा, लकड़ी,फाइबर,प्लास्टिक एवम अन्य वस्तुओं की खपत में भारी गिरावट के कारण लोगों का रोजगार खत्म हो गया है। इस गिरावट से सबसे ज्यादा परेशानी लेबर क्लास और स्वरोजगार पर निर्भर रहने वाले लोगों का हुआ है।

7. जीएसटी (ळववके ।दक ैमतअपबमे ज्ंग) जीएसटी एक क्रांतिकारी सुधार हो सकता है जो अपने उद्देश्यों से काफी दूर है क्योंकि इसके कार्यान्वयन और टैक्स स्लैब में नीतिगत खामियां हैं।इसके साथ साथ केंद्र सरकार और राज्य सरकार में भी अनेक मसलों पर मतभेद हैं जिससे जीएसटी अपने मूल लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाई है और आम जनता और व्यापारी परेशान हैं। 

8. बीमा कम्पनियों को भी 74ः बेचने का प्रावधान है, एलआईसी को भी बेचा जा रहा है जो 2500 करोड़ डिविडेंड देता है और 6 लाख करोड़ की कमाई करता है। एलआईसी के पास 31 लाख करोड़ के ंेेमजे हैं जिसमें जनता की भागीदारी 29 करोड़ की है और इसमें लगभग 13 लाख लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। इसके कारण आम जनता का रोजगार प्रभावित हुआ है और उसकी गाढ़ी कमाई भी बर्बाद हुई है ।

9. बैंकों की बिक्री करने से प्राइवेट बैंक,वित्त मंत्रालय और आरबीआई से बच जाएंगे जिसका प्रभाव आम जनता पर होगा क्योंकि गड़बड़ी होने की संभावना बनी रहेगी और जनता की गाढ़ी कमाई का नुकसान होगा ।

10. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सिविल एविएशन बाजार है जहाँ 40 करोड़ मध्य वर्ग अगर एक एयर टिकट एक साल में बुक करें तो इस क्षेत्र में क्रांति आ जायेगी।जहां करोड़ों नौकरियों और बाजार का विस्तार होगा।पर सरकार इस क्षेत्र में नीतिगत बदलाव न करके इसे भी बेच रही है और इस क्षेत्र में भी रोजगार की स्थिति बद से बद्तर हुई है।

11. आम जन की सवारी रेलवे जो पूरे भारत को जोड़ती है,उसे भी बेचा जा रहा है । आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार रेलवे पर 1रुपया लगाती है तो 5 रुपये का मुनाफा मिलता है। छंजपवदंस त्ंपस च्संद;छत्च्द्ध के मुताबिक 2031 तक सभी तिपमहज ट्रेनों को बेच दिया जाएगा।सभी एसी कोच और 750 रेलवे स्टेशन बेच दिए जाएंगे । सिर्फ सवेे उंापदह पैसेंजर ट्रेन को रेलवे चलाएगी। इस छत्च् के माध्यम से पता चला है कि सरकार आम जनता की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की मदद कर रही है। इस पूरी प्रक्रिया में लाखों लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी ।

12. कृषि कानून 2020 की लड़ाई खेत और पेट की है जहां सरकार किसानों को अपने ही खेतों में मजदूर बनने के लिए मजबूर कर रही है,वहीं मंडी को खत्म कर एमएसपी हटाने से किसान पूंजीपतियों और बिचौलियों पर आश्रित हो जाएगी जिससे किसानों का दोहन होगा। कांट्राकेट फार्मिग के जरिये सिलिंग एक्ट को भी निश्करिय कर दिया गया है। ताकि आधुनिक भारत में इस कानून के तहत नया जमिनदार पैदा किया जा सके। वहीं, कृषि कानून 2020 में एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव से पूंजीपतियों को फायदा हो रहा है क्योंकि अनाज भंडारण की सीमा तय नहीं है। इसी कारणवश हम देख रहे हैं कि खाद्य पदार्थों के दामों में भारी इजाफा हुआ है जिससे आम जनता त्राहिमाम कर रही है ।

13. शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से शिक्षण संस्थानों को भी बेचने की तैयारी है। इस नीति से निजी विश्विद्यालयों को बढ़ाया जा रहा है और सरकारी विश्वविद्यालयों को लोन लेने के लिए कहा जा रहा है जिसका भुगतान वे बिक्री के द्वारा करेंगे ।

14. राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक मौजूदा सरकार की विदेश नीति पर भी चिंता व्यक्त करती है। पिछले आठ साल में नरेन्द्र मोदी ग्लोब ट्रेटिंग के पर्याय बन गए हैं। वहीं सभी देश साउथ एशियाई देशों के साथ भी जैसे बांगलादेश, भूटान, मालदीव्स, नेपाल और श्रीलंका के सम्बन्ध बेहतर होते जा रहे हैं जो कभी भारत के मूल्यों के साथ थे। ये सभी देश अब ब्ीपदं’े ठमसज ।दक त्वंक प्दपजपंजपअम ;ठत्प्द्ध के साथ हैं। वहीं चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर, इरान और अफगानिस्तान के साथ बनते रिश्ते और रूस-चीन सम्बन्ध भारत की विदेश नीति पर सवालिया निशान लगाते हैं।

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