संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घर में ही रहें; घर के अंदर सुरक्षित, सकारात्मक और सहायक वातावरण बनाएं

रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 02 मई 2021 : पटना : कोविड की इस दूसरी लहर ने एक सुनामी का रूप धारण कर पूरे भारत को आक्रांत कर रखा है। इस महामारी से निपटने के लिए बिहार सरकार ने आवश्यक कदम उठाए हैं परंतु अब इससे लड़ना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी बन गई है। इसी जिम्मेदारी के तहत यूनिसेफ़ बिहार एवं प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (PSACWA) साथ आए हैं एवं उन्होंने एक संयुक्त अपील जारी की है जिसके द्वारा भारत के 650 जिलों और 6.4 लाख गाँवों के लगभग 2 लाख से अधिक प्राइवेट स्कूलों तक कोविड से सुरक्षा, सावधानी और सही जानकारियाँ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद और यूनिसेफ़ बिहार की चीफ नफीसा बिनते शफीक ने इस साझा अपील में सर्वाधिक चिंता बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के बारे में जाहिर की है।

इस संयुक्त अपील द्वारा इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि जहां तक संभव हो सभी अपने परिवारों के साथ घर में हीं रहें, जब तक बिल्कुल जरूरी न हो, बाहर ना जाएँ। सुरक्षा प्रोटोकॉल/अनुदेशों और सरकारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें। मास्क का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। जब भी आप बाहर जाएँ, दूसरों से मिलें या किसी कोविड संक्रमित व्यक्ति के पास जाएं, त्रिस्तरिए मास्क का प्रयोग करें। घर से बाहर निकालने की स्थिति में शारीरिक दूरी (कम-से-कम दो गज) का पालन अत्यंत जरूरी है तथा साबुन से कम-से-कम 20 सेकेंड तक अपने हाथों को नियमित धोते रहें। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं तथा अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखें और सभी पात्र-लाभार्थी समय पर कोविड का टीका अवश्य लें।

प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सैयद शमायल अहमद ने बताया कि इस संयुक्त अपील में सर्वाधिक बल इस बात पर दिया गया है कि बच्चों के लिए घर में एक सुरक्षित, सकारात्मक और सहायक वातावरण बनाया जाए।

महामारी के कारण बच्चों के स्कूल बंद हो गए, उनका बाहर खेलने जाना बंद हो गया; उनकी पढ़ाई ऑनलाइन हो गई है; उन्हें दोस्तों, परिवार और मौज-मस्ती से पृथक होना पड़ा है। परिवार के लोग संक्रमित हो रहे हैं, और बच्चे एवं युवा भी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। बच्चों में मानसिक तनाव, उलझन, भय और चिंता बढ़ रही है। उनमे कई तरह की नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियाँ भी देखने को मिल रहे हैं। इस महामारी ने बहुत परिवारों के रोजगार और उनकी जीविका की संभावनाओं पर प्रश्नचिंन्ह लगा दिया है। इसी तथ्य को सामने रखते हुऐ राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने अपने इस अपील में सर्वाधिक चिंता बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर जाहिर की है।
यूनिसेफ़ बिहार की राज्य प्रमुख सूश्री नफ़िसा बिनते शफीक ने सभी माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने वालों से अपील की है कि संकट की इस घड़ी में हम सब को बेहद संवेदनशील होने की आवश्यकता है, “आपके बच्चों को इस समय आपकी सबसे अधिक आवश्यकता है।“ इस महामारी में उनकी शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक भलाई आपके कार्यों और प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करती है। लड़कियों, विशेष जरूरतों वाले बच्चों और हाशिये पर खड़े समूहों के लोगों को ऐसे में विशेष ध्यान और देखभाल की आवश्यकता है। माता-पिता खुद भी बहुत परेशान हैं, ऐसे में अपना मनोबल ऊंचा बनाए रखना है, बच्चों को सकारात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखना जरूरी है, यूनिसेफ़ और अन्य संस्थाओं द्वारा “पेरेंटिंग” पर बहुत से ऑनलाइन सीखने के संसाधन हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है। कैरियर संबंधी जानकारी www.yuwaah.org और www.biharcareerportal.com पर ले सकते हैं।

माता-पिता को तनाव-परामर्शदाता, मनोचिकित्सकीय अथवा मनोवैज्ञानिक परामर्श लेने में झिझक नही करना चाहिए। NIMHANS द्वारा निःशुल्क हेल्पलाइन ( 08046110007)भी चलाई जा रही है। जरूरतमन्द बच्चों के लिए चाइल्डलाइन 1098 पर फोन करें। संकट की इस घड़ी में हम सब की यह जिम्मेदारी है कि हम सभी सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करें। एक-दूसरे के प्रति करुणा और दया का भाव रखें और जहां तक हो सके एक-दूसरे की मदद करें।

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