
रिपोर्ट : Rohtas Darshan बिजनेस डेस्क | मुंबई | Updated: 8 नवंबर 2025:
डीजीजीआई की बड़ी कार्रवाई: 325 करोड़ का टैक्स फ्रॉड उजागर
गुड्स एंड सर्विस टैक्स खुफिया महानिदेशालय (DGGI) भुवनेश्वर जोनल यूनिट को मुंबई में एक बड़ी आर्थिक अपराध सफलता मिली है।
अधिकारियों ने बुधवार को मुंबई निवासी निलेश योगेश जगीवाला को गिरफ्तार किया, जो ₹325 करोड़ से अधिक के जीएसटी घोटाले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
जगीवाला ने 105 फर्जी कंपनियों का नेटवर्क बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दुरुपयोग किया और बड़े पैमाने पर फर्जी चालान (Fake Invoices) के ज़रिए टैक्स चोरी की।
जांच में कैसे खुला फर्जीवाड़े का जाल
डीजीजीआई की जांच में सामने आया कि यह पूरा नेटवर्क फर्जी पहचान पत्रों और जाली निदेशकों के जरिए कंपनियों का पंजीकरण कराता था। इसके बाद उन कंपनियों को वर्चुअल इंफ्रास्ट्रक्चर से संचालित किया जाता था —
यानि कि कोई वास्तविक दफ्तर या स्टाफ मौजूद नहीं था।
घोटाले का तरीका इस प्रकार था:
1. निष्क्रिय (Inactive) कंपनियों को खरीदकर उनमें सक्रिय जीएसटी नंबर (GSTIN) का उपयोग।
2. DIR-12 फाइलिंग के माध्यम से असली निदेशकों को हटाकर नकली निदेशक नियुक्त।
3. फर्जी बैंक खाते खोलना और उन खातों के जरिये चालान बनाना।
4. नकली लेनदेन दिखाकर फर्जी ITC क्लेम करना।
5. बाद में नकद निकासी और कमीशन के ज़रिए असली लाभार्थियों को पैसा पहुंचाना।
तकनीकी सेटअप से चल रहा था घोटाला
डीजीजीआई की टीम को जांच में कई सिम कार्ड, मोबाइल फोन, डिजिटल रिकॉर्ड, नकली मुहरें, जीएसटी पंजीकरण दस्तावेज़ और बैंक डिटेल्स बरामद हुए हैं।
यह नेटवर्क दूरस्थ नियंत्रण (Remote Access) के जरिये संचालित था — यानी आरोपी मोबाइल नेटवर्क और क्लाउड डेटा के जरिये देशभर की कंपनियों के जीएसटी पोर्टल्स तक पहुंच बना रहे थे।
पहले गिरफ्तार हुई थी महिला सहयोगी
इससे पहले, 17 अक्टूबर 2025 को पुणे से एक महिला को गिरफ्तार किया गया था, जो इस घोटाले की मुख्य समन्वयक (Coordinator) बताई गई थी। जांच में सामने आया कि वह निलेश जगीवाला की करीबी सहयोगी थी और
वह नेटवर्क के फर्जी दस्तावेजों, बैंक ट्रांजेक्शन और GST लॉगिन की निगरानी करती थी।
दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया गया है।
325 करोड़ के घोटाले में क्या-क्या जब्त हुआ
मुंबई और पुणे में की गई छापेमारी के दौरान डीजीजीआई ने बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है —

कानूनी कार्रवाई और आगे की जांच
जगीवाला पर सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स (CGST) एक्ट, 2017 की धारा 132(1)(b), (c) और (f) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
👉 यह धारा फर्जी दस्तावेजों से टैक्स चोरी, चालान धोखाधड़ी और वित्तीय लाभ छिपाने से जुड़ी है।
👉 अपराध साबित होने पर 5 वर्ष तक की सज़ा और भारी जुर्माना का प्रावधान है।
Rohtas Darshan का विश्लेषण
भारत में GST फ्रॉड अब सिर्फ चालान तक सीमित नहीं रहा — यह साइबर वित्तीय अपराधों का नया चेहरा बन चुका है।
DGGI और GSTN अब AI आधारित डेटा ट्रैकिंग सिस्टम के जरिये ऐसे फर्जी नेटवर्क की पहचान कर रही हैं।
राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर, यह मामला सरकार की टैक्स ट्रांसपेरेंसी नीति की एक बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है।


