डेहरी ऑन सोन : डेहरी के लॉयर्स चैम्बर में बंदी अधिकार आंदोलन व उद्देश्य भारती द्वारा रविवार को एक दिवसीय विमर्श का आयोजन हुआ। इस विमर्श की शुरुआत अधिवक्ता उमाशंकर पांडेय उर्फ मुटुर पांडे के संबोधन से हुई। श्री पांडेय ने कहा कि जेल में बंद कैदियो को वोट देने का अधिकार देकर सरकार संविधान के आत्मा की आवाज़ सुनें। उन्होंने कहा कि हर भारतीय नागरिक को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार है तो कैदियो के भी नागरिक अधिकार ‘मतदान देने का अधिकार’ बहाल होना चाहिए।

इस दौरान बंदी अधिकार आंदोलन के संयोजक संतोष उपाध्याय ने कहा कि जब जेल में बंद नेता व तमाम लोग चुनाव लड़ रहे है तो किस तर्क के आधार पर सरकारें कैदियो को वोट देने से रोक रही है। उपाध्याय ने यह भी कहा कि पूरी दुनिया मे बढ़ते लोकतंत्र का तकाजा है कि कैदियो को अर्दध नागरिक नहीं समझते हुए इनको मतदान करने का अधिकार प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों ने कैदियो को वोटिंग राइट देकर सशक्त किया है, जिसके लिए वे सभी देश और उनके शासक धन्यवाद के पात्र हैं। विमर्श में मौजूद एडवोकेट प्रवीण दुबे ने कहा कि भारत की जेलें टॉर्चर सेंटर नहीं हैं। कैदियों को सुधार के रास्ते पर लाने के लिए जेल में रखना है। इसीकारण ओपन जेल में कैदियों को अपनी जीविका कमाने हेतु जाने की छूट मिली हुई है। इस विमर्श में प्रोफेसर हरेंद्र मिश्र, साहब सिंह, मुनमुन पांडेय, शांति पांडेय, सुमंत मिश्र और एडवोकेट मनोज पांडेय आदि मौजूद रहे।

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