दोषी विधायकों के साथ दोषी पुलिस कर्मियों पर भी होगी कार्रवाई|विधायकों की पिटाई करनेवाले पुलिसकर्मियों के संबंध में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट |हंगामा-तोड़फोड़ में शामिल विधायकों के संबंध में आचार समिति करेगी जांच|
रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 26 मार्च 2021 : पटना। बिहार विधानसभा की कार्यवाही चलाने के लिए पहली बार सदन के अंदर पुलिस बुलाने के बाद हुई ‘पुलिसिया कार्रवाई ‘ की क्या अब जांच होगी? विपक्षी विधायकों के आचरण की भी जांच होगी,जिसे खुद सीएम नीतीश कुमार ने गुंडागर्दी करार देकर दूसरे दिन विधान परिषद में कडी भर्त्सना की है।बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने किसी को भी लक्ष्मण रेखा पार करने की छूट नहीं होने का संदेश देकर हंगामा-तोड़फोड में शामिल विधायकों के संबंध अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। ऐसे विधायक के आचरण की जांच आचार समिति के हवाले कर दी है। हंगामा के प्रकरण में जिला जज रहे विधान सचिव के पद की गरिमा का भी ‘माननीय’ ने ध्यान नहीं रखा था।पहले तो उनकी कुर्सी हटा थी और फिर कुर्सी लाने पर छिन ली गयी थी। कार्यवाही शुरू करने के लिए घंटी बजती रही और सचिव हटकर खड़े रहे थे।

सदन की मर्यादा तार-तार करनेवाले कोई और नहीं,’माननीय’ ही थे। अध्यक्ष को कक्ष में ही बंधक बनाने और सदन में अध्यक्ष के आसन पर अध्यक्ष या अभ्यासी सदस्य को नहीं बैठने देने की परिस्थिति भी ‘माननीय’ द्वारा बनायी गई थी। बिडम्बना है कि मंगलवार को सदन में हंगामा-तोड़फोड का दृश्य कार्यवाही के दौरान नहीं बल्कि कार्यवाही फिर शुरू नहीं होने देने के लिए बना था। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद से मंगलवार को विधानसभा में विधायकों की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के मामले में पूरी रिपोर्ट तलब की है। पुलिस विधेयक को लेकर विपक्ष के अभूतपूर्व हंगामा-तोड़फोड , विधानसभाध्यक्ष को उनके कक्ष में ही बंधक बनाने,सदन में अध्यक्ष के आसन को ‘माननीया’ द्वारा घेर रखने, पुलिस के साथ धक्का-मुक्की और पुलिसकर्मियों द्वारा विधायकों की पिटाई की अब जांच होगी। सदन के बाहर पुलिस के जवान ने विपक्षी दलों के विधायकों को घसीट कर बाहर किया। पिटाई की। विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में विधायकों को पीटने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान कर गृह विभाग से पूरी रिपोर्ट मांगी है। जानकारी के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बिहार के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और डीजीपी एसके सिंघल से विधायकों के साथ दुर्व्यवहार और पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों की सूची की मांग की है।

मंगलवार को विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष को घेर कर लगभग उन्हें बंधक बना लिया था। इसके बाद पहली बार ऐसा हुआ कि सदन के अंदर पुलिस को बुलानी पड़ी। डीएम और एसपी को हंगामा कर रहे विधायकों का पहले प्रतिरोध का सामना करना पडा। समझाने का प्रयास नाकाम होने पर पुलिसकर्मियों ने विधायकों को खींच खींच कर बाहर निकाला। इसके बाद भारी संख्या में पहुंचे पुलिस बल के जवानों ने भी विधायकों को घसीट कर बाहर निकालना शुरू किया ।

बिहार सशस्त्र पुलिस बल विधेयक का विरोध कर रहे विपक्षी दल के विधायकों को सदन से बाहर करने के लिए मंगलवार को विधानसभा पुलिस छावनी में तब्दील हो गई थी।बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा पुलिसकर्मियों द्वारा विधायकों के साथ किए जाने वाले व्यवहार से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि सदन की गरिमा का ख्याल रखना सिर्फ सत्ता पक्ष या विपक्ष का नहीं इसकी जवाबदेही सभी की होती है। इसलिए सदन की गरिमा को गिराने कि छूट किसी को नहीं दी जा सकती।सदन के अंदर और सदन के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना की पड़ताल करने के बाद वीडियो फुटेज को विधानसभा के आचार समिति के पास भेजी जाएगी। उसके बाद दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया जाएगा।


