रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | पटना | Updated: 18 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया निर्णायक चरण में पहुंच चुकी है। NDA के चार प्रमुख घटक दल— BJP, JDU, HAM(S) और LJP(R) के बीच मंत्रिमंडल का बंटवारा लगभग अंतिम चरण में है। लेकिन अब सारा विवाद विधानसभा स्पीकर के पद पर आकर अटक गया है, जहां JDU और BJP दोनों ही अपनी-अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

क्यों फंसा है स्पीकर पद पर पेच?

BJP का तर्क:

•             विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी BJP है

•             इसलिए स्पीकर उनका होना चाहिए

JDU की दलील:

•             विधान परिषद में सभापति का पद BJP के पास है

•             इसलिए विधानसभा में JDU को स्पीकर पद मिलना चाहिए

दोनों दल अपने-अपने तर्कों पर अड़ गए हैं और इस वजह से सरकार गठन की औपचारिक घोषणा अभी रुकी हुई है।

स्पीकर पद के उम्मीदवार: कौन है रेस में?

JDU की ओर से

दो मजबूत नाम चर्चा में—

•             विजय चौधरी

•             श्रवण कुमार

दोनों नेता 17वीं विधानसभा में मंत्री रह चुके हैं और संगठन के भरोसेमंद चेहरे माने जाते हैं।

BJP की ओर से

•             प्रेम कुमार का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है

•             पार्टी के अंदर विजय सिन्हा को दोबारा स्पीकर बनाए जाने की भी चर्चा हुई,

लेकिन उनके पिछले कार्यकाल के विवादों के कारण संभावनाएँ कम मानी जा रही हैं।

दिल्ली से पटना तक जारी है भागदौड़

स्पीकर पद पर सहमति बनाने के लिए दिल्ली में बैठकों का दौर तेज हो गया है।

•             JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह दिल्ली में मौजूद रहे

•             संजय झा ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की

•             दोनों नेता आज पटना लौटेंगे

•             साथ में BJP बिहार प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान भी रहेंगे

सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में अंतिम फैसला हो सकता है, जिसके बाद बिहार में सरकार गठन की रूपरेखा औपचारिक रूप से सामने आएगी।

क्यों महत्वपूर्ण है स्पीकर का पद?

•             स्पीकर का पद किसी भी सरकार के विधानसभा संचालन के लिए बेहद अहम होता है

•             आने वाले कार्यकाल में विपक्ष की आक्रामकता को देखते हुए यह पद रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है

•             JDU और BJP दोनों ही नहीं चाहते कि यह पद उनके हाथ से जाए

यही वजह है कि यह मुद्दा NDA के भीतर पहला बड़ा टकराव बन गया है।

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