नगरपालिका ( संशोधन) अध्यादेश जारी

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 14 जनवरी 2022 : पटना : बिहार मेम्बर  शहरी निकायों के  प्रमुख वहां की जनता चुनेगी। हर शहर की सरकार का उप प्रमुख वहां के नगर निकाय की सीमा में रहने वाले मतदाताओं के वोट से निर्वाचित होंगे। प्रदेश के सभी 19 नगर निगमों के महापौर-उपमहापौर तथा 89 परिषदों और 155 नगर पंचायतों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन के लिए इस नयी प्रणाली को लागू किया गया है। गुरुवार की देर शाम राज्य सरकार ने बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश 2022 अधिसूचित कर नगर निकायों में महापौर-उपामहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन की नई प्रणाली लागू की है। बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश 2022 की गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही नगर निकायों में महापौर-उपामहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन की पार्षदों के बीच से चुने जाने की  पुरानी प्रणाली समाप्त हो गई है। अभी तक नगर निकायों में महापौर-उपमहापौर वार्ड पार्षदों के बीच से ही चुने जाते थे। वार्ड पार्षदों के बहुमत से ही उन्हें हटाए जाने की व्यवस्था थी। आगे इन पदों पर बैठे व्यक्ति की मृत्यु, पदत्याग या बर्खास्तगी की स्थिति में बची हुई अवधि के लिए जनता के बीच से निर्वाचित व्यक्ति ही इन पदों को ग्रहण करेंगे। वार्ड पार्षद महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें बहुमत के आधार पर पद से हटा भी नहीं सकेंगे।

https://youtu.be/pBmhsXhWq4I

राज्य सरकार विधानसभा के अगले सत्र में बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश 2022 को बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक के रूप में पेश करेगी। जो पारित होने के बाद बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम-2022 जाएगा। नगरपालिका कानून की धारा 23 और 25 में संशोधननगर निकायों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन जनता के प्रत्यक्ष निर्वाचन की रीति से कराने के लिए बिहार नगरपालिक अधिनियम-2007 की धारा 23 और धारा 25 में संशोधन किया गया है। दोनों धाराओं में महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के पदनाम से सूचित किया गया है।धारा 23 की तीन उपधाराओं के माध्यम से मुख्य पार्षद और उपमुख्य पार्षद के आम निर्वाचन और वैकल्पिक परिस्थितियों में निर्वाचन की व्यवस्था दी गई है। इसी तरह धारा 25 की तीन उपधाराओं में संशोधन के माध्यम से दोनों पदों से बर्खास्तगी या पदत्याग की व्यवस्था दी गई है। अप्रैल-जून तक प्रस्तावित हैं चुनावप्रदेश में सभी 263 नगर निकायों के चुनाव अप्रैल से जून के बीच प्रस्तावित हैं। इसकी प्रक्रिया फरवरी से शुरू कर देनी होगी। बदली हुई प्रणाली के मुताबिक निर्वाचन नियमावली में भी बदलाव लाना होगा। तभी राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव पूर्व प्रक्रिया को पूरा कर पाएगा।

 प्रदेश में पटना, मुजफ्फऱपुर, भागलपुर, गया, बिहारशऱीफ, आरा, छपरा, पूर्णिया, सहरसा, कटिहार, मुंगेर, समस्तीपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, बेतिया और सीवान नगर निगमों में शामिल हैं। बाकी शहरों में नगर परिषद या नगर पंचायत हैं।  *ऐसे होगा निर्वाचन*-नगर निकाय क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज व्यक्ति वोट देकर प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित करेंगे। -मृत्यु, पदत्याग या बर्खास्तगी की स्थिति में बची हुई अवधि के लिए फिर से पहले की तरह जनता ही निर्वाचित करेगी। -सशक्त स्थायी समिति में कोई भी पद खाली होने पर महापौर या अध्यक्ष बची हुई अवधि के लिए वार्ड पार्षदों में से किसी व्यक्ति को नामित करेगा। *ऐसे होगा त्यागपत्र या बर्खास्तगी*-महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष सरकार को संबोधित त्यागपत्र दे।-सात दिनों के भीतर त्यागपत्र वापस नहीं लेने पर पद खाली हो जाएगा।-तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहने, कर्तव्य की उपेक्षा करने या निभाने में अक्षम हो जाने या छह माह से अधि फऱार रहने पर सरकार पद से हटा देगी। -पद से हटाया गया व्यक्ति बाकी बची अवधि के लिए फिर से निर्वाचन का पात्र नहीं होगा।नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा, शहरी निकाय के जनप्रतिनिधियों को प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा चुने जाने से जनता के प्रति उनकी जवाबदेही सुनिश्चित होगी एवं शहरों के विकास हेतु चलाई जा रही महत्वकांक्षी योजना और परियोजनाओं में गति आएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! Copyright Reserved © RD News Network