By Rohtas Darshan Digital Desk | Updated: October 23, 2025 | Sasaram, Rohtas : रोहतास जिला (मुख्यालय: सासाराम) न सिर्फ ऐतिहासिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी यह बिहार का संवेदनशील इलाका बन चुका है। जिले की सात मुख्य विधानसभा सीटें — चेनारी (SC), सासाराम, करगाहर, दिनारा, नॉखा, डेहरी-ऑन-सोन और कराकट — स्थानीय और राज्य दोनों स्तरों पर परिणामों पर असर डालने वाली मानी जाती हैं। जिले की आधिकारिक निर्वाचन व वर्तमान विधायक सूची के अनुसार ये सीटें और 2020 के विधायक निम्न हैं।

1) रोहतास — त्वरित पृष्ठभूमि (District Snapshot)

• जिला मुख्यालय: सासाराम; भौगोलिक विस्तार में शहरी-ग्रामीण मिश्रण के साथ कृषि और औद्योगिक खंड (सीमेंट/खनन) दोनों प्रमुख हैं। District Rohtas

•  जनमत की दिशा पर कृषि-सम्बन्धी मुद्दे, रोजगार, कनेक्टिविटी (सड़क/रेल) व कानून-व्यवस्था प्रमुख चुनावी विषय होंगे।

• 2008 के परिसीमन के बाद जिले की सीटों की रूप-रेखा स्थिर हुई और स्थानीय नेतृत्त्व व जातीय समीकरण ने चुनावी तस्वीर गढ़ी है। District Rohtas

2) सीट-वार प्रोफ़ाइल (Assembly Constituency-wise — Rohtas)

नीचे हर सीट के साथ — 2020 का निर्वाचित विधायक/पार्टी (सरकारी जिले की सूची के अनुसार), पिछला इतिहास, वोटर-बेस/सामाजिक संरचना और 2025 में किन मुद्दों पर लड़ाई संभावित है— दिया गया है। (नोट: जहाँ वोट-मर्जिन/विकसित तथ्य दिए गए हैं, स्रोत जोड़े गए हैं।)

A. 207 — चेनारी (Chenari) (SC)

• वर्तमान विधायक (2020): मुरारी प्रसाद गौतम — भाजपा. District Rohtas

• राजनीतिक पृष्ठभूमि: अनुसूचित जाति आरक्षित सीट; स्थानीय स्तर पर जमीन-संघर्ष, सामाजिक कल्याण, तथा सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन निर्णायक रहे हैं।

• मतदाता समीकरण: SC वोट बैंक निर्णायक; दलों की रणनीति स्थानीय नेतृत्व और सरकारी कल्याण योजनाओं के प्रदर्शन पर टिकेगी।

• 2025 का फोकस: सर्वसाधारण लाभ योजनाओं, आवास/भूमि प्रश्न और रोजगार।

B. 208 — सासाराम (Sasaram)

• वर्तमान विधायक (2020): राजेश कुमार गुप्ता — RJD.

• इतिहास और महत्व: सासाराम जिले का केंद्र और लोकसभा-क्षेत्र का अहम भाग; शहरी और पाटलिपुत्र-रुचि वाले वोटर यहां निर्णायक हैं। 2020 में RJD ने यहां मजबूत प्रदर्शन किया।

• वोटर-बेस: शहरी मध्यमवर्ग, छोटे व्यवसायी, प्रशिक्षित युवा। जातीय समूह में भूमिहार/कायस्थ-प्रभाव देखा जाता है।

• 2025 में देखें: शहरी सुविधाएं (स्वच्छता, बिजली), शिक्षा व निजी क्षेत्र में रोजगार पैकेज पर किस पार्टी की पेशकश भरोसा दिलाती है — यही निर्णायक होगा।

C. 209 — करगाहर (Kargahar / Kargahar block)

• वर्तमान विधायक (2020): संतोष कुमार मिश्रा — कांग्रेस. District Rohtas

• प्रोफाइल: जिले के पश्चिमी/उत्तरी क्षेत्र का मिश्रित विधानसभा क्षेत्र; स्थानीय चक्का-बुनियादी विकास और कृषि बाजार संज्ञान में आते हैं।

• मुख्य मुद्दे: सिंचाई, गांव-सेवाएँ, सड़क संपर्क तथा छोटे-किसान ऋण नीति।

• राजनीतिक एंगल: कांग्रेस की मौजूदगी बताती है कि क्षेत्र में राष्ट्रीय दलों की जड़ें भी मद्धिम नहीं हुईं — गठबंधन समीकरण यहाँ अहम होंगे।

D. 210 — दिनारा (Dinara)

• वर्तमान विधायक (2020): विजय कुमार मंडल — RJD. District Rohtas

• लैंडस्केप: खेतिहर क्षेत्र, स्थानीय पंचायत राजनीति मजबूत; जातीय और पिछड़ा वर्ग के वोट सेंशिटिव होते हैं।

• कठिन चुनौतियाँ: औद्योगिक रोजगार की कमी, सिंचाई व सड़क अमली मुद्दे।

• 2025 विश्लेषण: RJD की पकड़ और विपक्ष की काट कौन कर पाता है— प्रमुख प्रश्न है।

E. 211 — नॉखा (Nokha)

• वर्तमान विधायक (2020): अनीता देवी — RJD.

• इतिहास: नॉखा परंपरागत रूप से ग्रामीण-नगरीय मिश्रण; 2015-20 में RJD का प्रभाव रहा।

• मुद्दे: ग्रामीण विकास, स्थानीय बाजार, और शहरी लिंक-रोड।

• 2025 में: महिला मतदाता और सामाजिक समीकरण प्रभावी रोल निभाएंगे — स्थानीय नेतृत्त्व की छवि निर्णायक होगी।

F. 212 — डेहरी-ऑन-सोन (Dehri-on-Sone / Dehri)

• वर्तमान विधायक (2020): फटे बहादुर सिंह — RJD.

• सिग्निफिकेंस: डेहरी एक महत्वपूर्ण औद्योगिक/ट्रेड हब है (सोन नदी के पास), यहां की आर्थिक-सामाजिक प्रोफ़ाइल अलग है। 2020 की बाज़ी बेहद कड़ी थी—वोट अंतर छोटे रहा।

•  कुंजी मुद्दे: औद्योगिक रोजगार, नदी-पक्षीय बुनियादी ढांचा, औद्योगिक प्रदूषण व संपर्क मार्ग।

•  चुनावी रणनीति: विकास-आधारित संदेश, औद्योगिक निवेश व रोज़गार ही वोटरों को प्रभावित कर सकता है।

G. 213 — कराकट (Karakat)

• वर्तमान विधायक (2020): अरुण सिंह — CPI (ML) (Liberation).

• राजनीतिक परिदृश्य: कराकट में वाम-दल (CPI-ML) की बढ़ती पकड़ और स्थानीय नेतृत्व की छवि अहम है; 2020 में CPI(ML) ने मजबूती दिखाई।

• वोटर-बेस: किसान-किसान मजदूर समुदाय, जातीय गठबन्धन व स्थानीय समस्याएँ (भूमि व मजदूरी) निर्णायक।

• 2025 में देखें: वाम दलों का जन-संपर्क और सामाजिक मुद्दों पर उनका एजेंडा कितना पंसद किया जाता है — प्रमुख बात होगी।

3) राजनीतिक-रणनीतिक एंगल (Political Angle) — क्या खास है 2025 में?

  1. गठबंधन/सीट-शेयरिंग का असर: रोहतास में कई ऐसी सीटें हैं जहां RJD-कांग्रेस-वीआईपी/दाएँ गठबंधन की सीट-बाँट प्रभावी रहती है। 2025 में यदि महागठबंधन और NDA के बीच सीट-बंटवारा स्पष्ट हुआ तो स्थानीय प्रत्याशियों की किस्मत तय होगी। (गठबंधन का प्रभाव शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी निर्णायक होगा)।
  2. स्थानीय बनाम राज्य-स्तरीय मुद्दे: रोहतास के मतदाता अब केवल जातिगत पैमाने पर नहीं, विकास, रोज़गार और बुनियादी सुविधाओं के अनुरूप वोट कर रहे हैं — इसलिए जिस भी पार्टी का लोकल-वर्किंग और विकास वादा भरोसेमंद लगेगा, उसे फायदा होगा।
  3. महिला और युवा वोटरों की भूमिका: सासाराम तथा डेहरी जैसे शहरी/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में युवा और महिला मतदाता निर्णायक बनते जा रहे हैं—डिजिटल जुड़ाव व रोज़गार उनके निर्णय को प्रभावित करेगा।
  4. वाम दलों की जमेय ताकत (Karakat जैसे क्षेत्र): कुछ सीटों पर वाम खेमे की मजबूती चुनाव में सरप्राइज दे सकती है—यदि विपक्षी-गठबंधन इसमें तालमेल रखे।

4) पार्टियों के लिए 2025 के रणनीतिक-टिप्स (What Parties Must Focus On)

•  भाजपा/सहयोगी: शहरी कायस्थ/ऊपरी जाति और विकास-वाद का संदेश रखें; स्थानीय नेतृत्‍व को मज़बूत करें।

• RJD/महागठबंधन: ग्रामीण/कृषक मुद्दों, सामाजिक न्याय और रोज़गार पर जोर; सीट-स्तर पर दावेदारों की स्वीकार्यता सुनिश्चित करें।

• कांग्रेस/कसीन: स्थानीय नेतृत्व और सरकार-विरोधी वोट बैंक साधने का अवसर; सासाराम व करगहर जैसे क्षेत्रों में केंद्रित रणनीति अपनाएँ।

• वाम दल (CPI-ML): कराकट व अन्य प्रभावित क्षेत्रों में मुद्दा-आधारित जुड़ाव जैसा कि मजदूरी, भूमि, महिला अधिकार आदि पर काम करे।

5) 2025 में “क्या-क्या देखें” (Key Watch-Points)

• किन सीटों पर इंकम/रोज़गार वादा ट्रेड-ऑफ बनकर उभरता है।

• क्या महागठबंधन की स्थानीय एकजुटता रोहतास में सटीक सीट-बाँट के रूप में दिखती है?

• वोट शेयर में शहरी बनाम ग्रामीण अंतर कितना बड़ा रहता है — सासाराम/डेहरी बनाम नॉखा/दिनारा।

• क्या वाम दल किसी सीट पर घमासान लड़ाई में सेंध लगा पाते हैं (खासकर कराकट)?

6) निष्कर्ष — रोहतास का चुनावी महत्व

रोहतास उस श्रेणी के जिलों में आता है जहाँ विकास व जातीय-दोनों समीकरण साथ चलते हैं। 2025 के विधानसभा चुनावों में यह जिला न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य-स्तर पर भी संकेत देगा कि कौन-सी राजनीतिक रणनीति — विकास-आधारित या पहचान-आधारित — बिहार के मध्य-पश्चिमी जिलों में कारगर हो रही है। उन पार्टियों के लिए जो यहां जीती हैं, यह क्षेत्र लोकसभा स्तर पर भी प्रभाव डालता है।

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