अदालत ने नाबालिग बच्ची के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी पाए गए पूर्व सैन्य अधिकारी की सजा बरकरार रखते हुए कड़ा संदेश दिया है। न्यायालय ने आरोपी की अपील खारिज करते हुए कहा कि ऐसे गंभीर अपराधों के लिए कोई राहत नहीं दी जा सकती और सख्त सजा ही न्याय का वास्तविक स्वरूप है।

इस मामले में पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिलने के साथ-साथ समाज को यह संदेश दिया गया कि कानून सभी के लिए समान है और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यौन अपराधों के खिलाफ कठोर कार्रवाई न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज में अपराधियों के लिए एक चेतावनी भी है।

यह फैसला महिला एवं बाल सुरक्षा कानूनों की शक्ति को दर्शाता है और समाज में जागरूकता बढ़ाने का कार्य करेगा। इस तरह के निर्णयों से पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद मजबूत होती है और न्यायिक प्रणाली में विश्वास बढ़ता है।

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