प्लाज्मा क्या है?
हमारे खून (blood) में चार प्रमुख चीजें होती हैं. डब्ल्यूबीसी, आरबीसी, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा. आजकल किसी को भी होल ब्लड (चारों सहित) नहीं चढ़ाया जाता. बल्कि इन्हें अलग-अलग करके जिसे जिस चीज की ज़रूरत हो वो चढ़ाया जाता है. प्लाज्मा, खून में मौजूद 55 फीसदी से ज्यादा हल्के पीले रंग का पदार्थ होता है, जिसमें पानी, नमक और अन्य एंजाइम्स होते हैं. ऐसे में किसी भी स्वस्थ मरीज जिसमें एंटीबॉडीज़ विकसित हो चुकी हैं, का प्लाज़्मा निकालकर दूसरे व्यक्ति को चढ़ाना ही प्लाज्मा थेरेपी है.
क्या सभी लोग प्लाज्मा दान कर सकते हैं?
नहीं! जो लोग कोरोना होने के बाद ठीक हो चुके हैं. उनके अंदर एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी हैं. सिर्फ वे ही लोग ठीक होने के 28 दिन बाद से 120 दिन के अंदर प्लाज्मा दान कर सकते हैं.। जो महिला कोविड़ होने के बाद मातृत्व सुख प्राप्त कर चुकी हो वो नही कर सकती हे।
आपकी आयु भी 55 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।
प्लाज्मा देने वाले को क्या खतरे हो सकते हैं?
प्लाज्मा देने वाले को कोई खतरा नहीं है. बल्कि यह रक्तदान से भी ज्यादा सरल और सुरक्षित है. प्लाज्मा दान करने में डर की कोई बात नहीं है. हीमोग्लोबिन भी नहीं गिरता. प्लाज्मा दान करने के बाद सिर्फ एक-दो गिलास पानी पीकर ही वापस पहली स्थिति में आ सकते हैं.
रक्तदान और प्लाज्मा दान में क्या अंतर है?
रक्तदान में आपके शरीर से पूरा खून लिया जाता है. जबकि प्लाज्मा में आपके खून से सिर्फ प्लाज्मा लिया जाता है और रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स वापस आपके शरीर में पहुंचाए जाते हैं. ऐसे में प्लाज्मा दान से शरीर पर कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता.
प्लाज्मा दान में कितना वक्त लगता है?
400 ML प्लाज्मा लेने में 30 से 45 मिनट लगते है


