कोरोना काल में दसवां मौका है जब पीएम मोदी राष्ट्र को संबोधित किया।
रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 22 अक्टूबर 2021 : नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह 10 बजे राष्ट्र को संबोधित किया। पीएम मोदी का संबोधन कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज पर केंद्रित रहा, लेकिन उन्होंने आगे भी अलर्ट रहने और दिवाली पर भारत में बनी चीजें खरीदने, भारतीयों द्वारा बनाई चीजें खरीदने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत में 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोज के लिए देशवासियों को बधाई दी। पीएम ने कहा, यह नए भारत की तस्वीर है जो कठिन लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें हासिल करना जानता है। पीएम मोदी ने कहा, कल 21 अक्टूबर को भारत ने 1 बिलियन, 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है।इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है, इसलिए ये सफलता भारत की सफलता है, हर देशवासी की सफलता है। कोरोना वैक्सीन पर फोकस रखते हुए पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मैं आपसे फिर ये कहूंगा कि हमें हर छोटी से छोटी चीज, जो भारत में निर्मित हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो, उसे खरीदने पर जोर देना चाहिए। और ये सबके प्रयास से ही संभव होगा। जैसे स्वच्छ भारत अभियान, एक जनआंदोलन है, वैसे ही भारत में बनी चीज खरीदना, भारतीयों द्वारा बनाई चीज खरीदना,वोकल फार लोकल होना, ये हमें व्यवहार में लाना ही होगा।
कोरोना काल में यह दसवां मौका है जब पीएम मोदी राष्ट्र को संबोधित किया। पिछली बार उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में फ्री वैक्सीन का ऐलान किया था।
पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं। भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, 1 बिलियन का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है। लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहाँ से की है।
दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकी विशेषज्ञा थी। भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था। जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हर सवाल का जवाब दे रही है।
कोरोना महामारी की शुरुआत में ये भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि भारत जैसे लोकतंत्र में इस महामारी से लड़ना बहुत मुश्किल होगा। भारत के लिए, भारत के लोगों के लिए ये भी कहा जा रहा था कि इतना संयम, इतना अनुशासन यहाँ कैसे चलेगा? लेकिन हमारे लिए लोकतन्त्र का मतलब है-‘सबका साथ। सबको साथ लेकर देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ़्त वैक्सीन का अभियान शुरू किया। गरीब-अमीर, गाँव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं नहीं करती, तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता! इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर वीआईपी कल्चर हावी न हो।
भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम विज्ञान की कोख में जन्मा है, वैज्ञानिक आधारों पर पनपा है और वैज्ञानिक तरीकों से चारों दिशाओं में पहुंचा है। हम सभी के लिए गर्व करने की बात है ।
विशेषज्ञ और देश-विदेश की अनेक एजेंसिया भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत सकारात्मक है। आज भारतीय कंपनियों में ना सिर्फ रिकॉर्ड निवेश आ रहा है बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बन रहे है। देश बड़े लक्ष्य तय करना और उन्हें हासिल करना जानता है। लेकिन, इसके लिए हमें सतत सावधान रहने की जरूरत है। हमें लापरवाह नहीं होना है। कवच कितना ही उत्तम हो, कवच कितना ही आधुनिक हो, कवच से सुरक्षा की पूरी गारंटी हो, तो भी, जब तक युद्ध चल रहा है, हथियार नहीं डाले जाते। मेरा आग्रह है कि हमें अपने त्योहारों को पूरी सतर्कता के साथ ही मनाना है।
