रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | कोलकाता | Updated: 13 दिसंबर 2025: पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की SIR (Special Intensive Revision) अभियान के दौरान मतदाता सूची में कई भारी विसंगतियों का खुलासा हुआ है। हाल ही में किए गए विशेष सघन पुनरीक्षण में पता चला कि राज्य की वोटर सूची में 85 लाख मतदाताओं के पिता का नाम गलत या अधूरा दर्ज है। इसके अलावा लगभग 13.5 लाख मतदाताओं के रिकॉर्ड में माता और पिता का नाम समान पाया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर त्रुटियाँ केवल टाइपिंग की भूल नहीं हो सकती। यह संकेत करता है कि मतदाता सूची तैयार करने और अपडेट करने की प्रक्रिया में गंभीर तकनीकी और प्रशासनिक कमियां हैं।

SIR अभियान क्या है?

SIR यानी Special Intensive Revision एक विशेष अभियान है जिसे चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया है। इसके तहत:

• घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन किया जाता है।

• दस्तावेज़ और जन्म तिथियों की जांच की जाती है।

• डुप्लीकेट, मृतक या संदिग्ध मतदाताओं के रिकॉर्ड की पहचान की जाती है।

• माता-पिता के नाम, पते और अन्य व्यक्तिगत विवरणों को सुधारकर सूची को अपडेट किया जाता है।

चुनाव आयोग का कहना है कि इस अभियान से न केवल वोटर लिस्ट की शुद्धता सुनिश्चित होगी, बल्कि भविष्य के चुनावों में फर्जीवाड़ा और गलत प्रविष्टियों को भी रोका जा सकेगा।

मुख्य Findings (विस्तृत विवरण):

1. पिता के नाम में त्रुटियाँ (85 लाख वोटर)

o  85 लाख मतदाताओं के पिता के नाम गलत, अधूरे या असंगत पाए गए।

o कई मामलों में पिता का नाम बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र या परिवार रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता।

2. माता-पिता का नाम समान (13.5 लाख वोटर)

o 13.5 लाख मतदाताओं में पिता और माता के कॉलम में एक ही नाम दर्ज।

o यह या तो सिस्टम माइग्रेशन की गलती है या जानबूझकर की गई प्रविष्टि।

3. पिता-बेटे की असामान्य उम्र अंतर (11.95 लाख मामले)

o 11,95,230 मामलों में पिता की उम्र बेटे से केवल 15 साल अधिक।

o जैविक और सामाजिक दृष्टि से यह लगभग असंभव माना जाता है।

4. अत्यधिक संतान वाले रिकॉर्ड (24.21 लाख मामले)

o 24,21,133 मामलों में एक ही व्यक्ति के छह या अधिक बच्चे दर्ज।

o विशेषज्ञों का कहना है कि यह बड़ी संख्या असामान्य है और एक ही पहचान कई वोटरों के लिए इस्तेमाल होने की संभावना को दिखाती है।

5. दादा-पोते की असामान्य उम्र अंतर (3.29 लाख मामले)

o 3,29,152 मतदाताओं के रिकॉर्ड में दादा की उम्र पोते से केवल 40 साल अधिक।

o यह पीढ़ीगत संबंधों में गंभीर विसंगतियों को दर्शाता है।

विशेषज्ञों की राय

चुनाव प्रक्रिया विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में डेटा विसंगतियाँ न केवल तकनीकी खामी हैं बल्कि चुनावी भरोसे को प्रभावित कर सकती हैं। उनका मानना है कि यह अभियान जरूरी है ताकि आगामी चुनाव साफ-सुथरे और निष्पक्ष हों।

निष्कर्ष

SIR अभियान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में व्यापक त्रुटियाँ और संभावित गड़बड़ियाँ हैं। यह न केवल चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि डेटा मैनेजमेंट और सत्यापन में सुधार की सख्त आवश्यकता है।

चुनाव आयोग की अगली रिपोर्ट के बाद यह भी सामने आएगा कि कितने डुप्लीकेट या फर्जी रिकॉर्ड हटाए गए और सूची पूरी तरह अपडेट हुई।

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