रोहतास जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन सासाराम के तत्त्वावधान में निराला साहित्य मंदिर, सहसराम में दिनांक 22 नवंबर 2020 दिन रविवार को पुस्तक विमोचन समारोह संपन्न हुआ। इस विमोचन समारोह में तीन पुस्तकें लोकार्पित की गईं। इनमें डॉ सत्यनारायण उपाध्याय का शोध प्रबंध सूर साहित्य में ग्रामीण जीवन एवं संस्कृति, शिव शंकर अविराम का कविता संग्रह पैमाना और बॉबी चंदन का जासूसी कहानी संग्रह हत्यारा कौन लोकार्पित की गईं। इस अवसर पर सर्वप्रथम गोस्वामी तुलसीदास और स्वामी शिवानंद जी तीर्थ के चित्रों पर माल्यार्पण किया गया। दीप प्रज्ज्वलन के बाद पुस्तकों का विमोचन हुआ। यह तीनों पुस्तकें किशोर विद्या निकेतन वाराणसी से प्रकाशित हैं। पुस्तक विमोचन की भूमिका देते हुए प्रसिद्ध विद्वान और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ नंदकिशोर तिवारी ने कहा भारतीय संस्कृति की अविरल धारा हजारों लाखों वर्षों से अभिच्छिन्न चल रही है। इसे एक साहित्यकार ही अपनी लेखनी से लिखकर समाज के सामने ला सकता है। साहित्य के बिना जीवन नहीं है और न ही कोई साहित्य के बिना मनुष्य बन सकता है। सही कहा गया है साहित्य के बिना मनुष्य पूंछ बिहीन पशु है। जीवन में अगर मानवीयता है तो साहित्य के कारण ही है। अगर साहित्य न हो तो मानव मानव नहीं हो सकता। अतः आज जहां विज्ञान की जरूरत है वही साहित्य की भी जरूरत है। बच्चों के लिए तो साहित्य अति आवश्यक है।

इस अवसर पर बोलते हुए रोहतास के इतिहासकार डॉ श्याम सुंदर तिवारी ने कहा कि सचमुच भारतीय संस्कृति सर्व प्राचीन है।पहले माना जाता था कि मानव का उद्भव अफ्रीका में हुआ है लेकिन आज विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि मानव के उद्भव की भूमि भारत है और यहीं से भाषाओं तथा साहित्य का प्रसार पूरी दुनिया में हुआ है। अपनी पुस्तक के बारे में बोलते हुए डॉ सत्यनारायण उपाध्याय ने कहा पूरा सूर साहित्य और भगवान श्री कृष्ण का जीवन ग्रामीण घटनाओं पर आधारित है। अपनी पुस्तक का मर्म समझाते हुए शिव शंकर अविराम ने कहा कि पैमाने का अर्थ है नापना। यह मापन दो संस्कृतियों का हो सकता है, दो व्यक्तित्व का हो सकता है, दो सामानों का हो सकता है। लेकिन उनमें कौन अच्छा है और कौन बुरा है यह पैमाने पर ही कसा जा सकता है। बॉबी चंदन ने अपनी जासूसी कृति के बारे में कहा कि वैसे तो हमने कई कहानियां लिखीं, मंचन किया। किंतु यह पुस्तक हमारा सर्वश्रेष्ठ है। यह अंत तक सस्पेंस बरकरार रखती है। आप इसे पढ़ेंगे तो महसूस करेंगे। यह गुरुजी डॉक्टर नंदकिशोर तिवारी की कृपा से ही प्रकाशित हो पाई है।

इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और कविगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत निराला की सरस्वती वंदना और आज विमोचित पुस्तक पैमाना की कुछ पंक्तियां गाई गईं। गायन वंदना गुप्ता और कन्हैया साहू द्वारा किया गया। कवि गोष्ठी में आगत कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया। सहसराम के कवि बेताब अहमद बेताब, रामगढ़ झारखंड से पधारे विद्याशंकर विद्यार्थी, डिहरी के कवि शोभनाथ लाल घायल, कवि अभिषेक कुमार अभ्यागत, शंभू नाथ दुबे शैल ने काव्य पाठ किया। पुस्तक विमोचन के अवसर पर डॉ श्याम बिहारी पांडे, राघव शरण सिंह, डॉक्टर गुरचरण सिंह, डॉक्टर कृष्णा प्रसाद, डॉक्टर ओम प्रकाश डॉ सत्यनारायण उपाध्याय श्यामसुंदर तिवारी कृष्णकांत तिवारी सुराजी तिवारी, डॉ विजय कुमार सिंह, लाल बिहारी दुबे, लाल बहादुर दुबे, प्रवीण कुमार दुबे, शंभू दुबे, मुरारी तिवारी, मंगलानंद पाठक, हेमंत कुमार, डॉ आलोक कुमार मिश्रा सहित अन्य सुधी श्रोता उपस्थित थे।

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