
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | बिहार | Updated: 24 नवंबर 2025: बिहार की राजनीति में इन दिनों राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे और नवनियुक्त पंचायती राज मंत्री दीपक प्रकाश को लेकर विवाद लगातार बढ़ रहा है। विपक्ष उन पर दो मोर्चों से हमला कर रहा है—
1️⃣ बिना एमएलए या एमएलसी बने मंत्री बनाने पर,
2️⃣ निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट बनने पर, जहां उनकी जमानत जब्त हो गई थी और उन्हें सिर्फ 327 वोट मिले।
ऐसे माहौल में सोमवार, 24 नवंबर 2025 को उपेंद्र कुशवाहा ने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट कर सीधे नाम लिए बिना विपक्ष को जवाब देने की कोशिश की।
नीतीश कुमार की पुरानी सीख का दिया उदाहरण
उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पोस्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘बड़ा भाई’ बताते हुए उनके एक पुराने कथन का जिक्र किया।
उन्होंने लिखा:“कभी-कभी बड़ों की कही बातें याद रखनी चाहिए। आज न जाने क्यों बड़े भाई नीतीश कुमार जी की एक बात याद आ गई। कभी नीतीश जी ने कहा था—
‘खाना खाते वक्त मक्खियाँ भन-भनाएँगी, चिंता मत कीजिए। बाएं हाथ से भगाते रहिए, दाहिने से खाते रहिए।’”
कुशवाहा के इस पोस्ट में विपक्ष, बेटे या विवाद का नाम नहीं है, लेकिन संकेत स्पष्ट रूप से चल रहे राजनीतिक हमलों पर था।
परिवारवाद को लेकर लगातार घिर रहे हैं कुशवाहा
विपक्ष का आरोप है कि:
• पहले उन्होंने अपनी पत्नी स्नेहलता को चुनाव मैदान में उतारा,
• जीत के बाद बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री पद दिलवा दिया,
• साथ ही उनका काउंटिंग एजेंट विवाद राजनीतिक आलोचना का कारण बना।
इन वजहों से विपक्ष लगातार कह रहा है कि कुशवाहा खुले तौर पर परिवारवाद चला रहे हैं। कुशवाहा ने हालांकि परिवारवाद पर सीधे टिप्पणी नहीं की, बल्कि नीतीश कुमार की “मक्खी भगाने” वाली सलाह के सहारे विपक्षी हमलों को हल्के में लिया।
काउंटिंग एजेंट विवाद ने बढ़ाया दबाव
दीपक प्रकाश निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट थे, जहाँ पासवान की जमानत जब्त हो गई और उन्हें 327 वोट ही मिल सके। इस मुद्दे पर विपक्ष का कहना है कि: “जहाँ वे खुद कुछ सौ वोट नहीं ला सके, वहाँ मंत्री बना दिया गया—यह कैसा संदेश है?” इसके चलते मंत्री पद, योग्यता और राजनीतिक जवाबदेही—सभी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
राजनीतिक संदेश साफ – विपक्ष पर पलटवार, लेकिन शब्दों में संयम
उपेंद्र कुशवाहा ने:
• किसी का नाम लिए बिना,
• विवाद को सीधे संबोधित किए बिना,
• एक पुरानी राजनीतिक सीख के जरिए जवाब देने का रास्ता चुना।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
• कुशवाहा फिलहाल टकराव से बचते दिख रहे हैं,
• लेकिन संकेत दे रहे हैं कि विपक्ष की आलोचना में उनका ध्यान नहीं भटकाया जाएगा,
• और वे “काम पर ध्यान – शोर से दूरी” की रणनीति अपना रहे हैं।


